गाजियाबाद : 15 लाख रुपये देने का झांसा 1.96 लाख रुपये ठगे, बेटे के इलाज के लिए चाहिए रुपये

गाजियाबाद : 15 लाख रुपये देने का झांसा 1.96 लाख रुपये ठगे, बेटे के इलाज के लिए चाहिए रुपये

गाजियाबाद : 15 लाख रुपये देने का झांसा 1.96 लाख रुपये ठगे, बेटे के इलाज के लिए चाहिए रुपये

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राजनगर एक्सटेंशन में रहने वाले रिटायर्ड टीचर से साइबर ठगों ने लकी ड्रॉ के नाम पर 1.96 लाख रुपये की ठगी कर ली है। उन्हें ड्रॉ में महेंद्रा एक्सयूवी कार या 15 लाख रुपये देने का झांसा दिया गया था। बुजुर्ग की तुरंत सुनवाई के आदेश के बाद शिकायत भी 20 दिन बाद मुकदमा दर्ज किया गया है। उनका आरोप है कि थाने में पुलिसकर्मी उन्हें शिकायत लेकर घुमाते रहे। सीओ साइबर सेल अभय कुमार मिश्रा ने बताया कि मामले की जांच की जाएगी। ठगी करने वालों के बारे में भी जानकारी की जा रही है।

वीवीआईपी सोसायटी में रहने वाले सुरेश चंद ने बताया कि उनके प्रफेसर बेटे का 2017 में एक्सिडेंट हुआ था। इसके बाद से वह कोमा में है। वह अक्सर शॉपक्लूज से शॉपिंग करते हैं। उनके पास इसी कंपनी के नाम से महेंद्रा एक्सयूवी लकी ड्रॉ में निकलने का मेसेज आया, उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया। इसके बाद उनके पास रणजीत सिंह की कॉल आई, उन्हें बताया गया कि शॉपिंग के आधार लकी ड्रॉ में उनका पहला इनाम निकला है। उनके कुछ पुराने ऑर्डर के बारे में जानकारी भी दी गई, जिससे उन्हें विश्वास हो गया। इसके बाद उन्हें बताया गया कि वह कार के बदले 15 लाख रुपये भी ले सकते हैं। बेटे के इलाज में रुपये की जरूरत को देखकर उन्होंने रुपये देने की बात कही।

सुरेश चंद ने बताया कि रुपये ट्रांसफर की बात होने पर सबसे पहले उनसे रजिस्ट्रेशन के नाम पर 7400 रुपये ट्रांसफर करने के लिए कहा गया। यह रुपये देने पर उन्हें अकाउंट में 14 लाख 85 हजार रुपये देने की बात कही गई। इसके बाद उनसे कई प्रकार की फीस के नाम पर 2 नवंबर तक कई बार में 1 लाख 96 हजार डलवाए गए। यह रुपये उनसे अशोक कुमार सोना के नाम अकाउंट में डलवाए गए।

पीड़ित ने बताया कि वह 66 साल के हैं और जब थाने पहुंचे तो उनकी समस्या सुनने के स्थान पर पुलिस ने पहले ही कह दिया ऐसा तो रोज हो रहा है। उनका परिवार किस समस्या में इससे उन्हें कोई मतलब नहीं था। उनकी शिकायत लेकर रख ली गई, लेकिन कुछ हुआ नहीं। इसके बाद वह दोबारा थाने गए तो एसएचओ से मुलाकात ही नहीं हुई। 23 नवंबर को थाना प्रभारी से मुलाकात के बाद रिपोर्ट लिखने को कहा गया। प्रभारी के आदेश के बाद वह अगले दिन कॉपी लेकर गए तो भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ था। उनके जाने के बाद शिकायत देखी गई। एक्सपर्ट की मानें तो अगर पुलिस फौरन एक्टिव हुई होती तो शायद बुजुर्ग को रुपये वापस मिल सकते थे।

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