गलगोटिया यूनिवर्सिटी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेस पर ऑनलाइन समिट का आयोजन किया, दुनियाभर से विशेषज्ञ शामिल हुए

गलगोटिया यूनिवर्सिटी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेस पर ऑनलाइन समिट का आयोजन किया, दुनियाभर से विशेषज्ञ शामिल हुए

गलगोटिया यूनिवर्सिटी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेस पर ऑनलाइन समिट का आयोजन किया, दुनियाभर से विशेषज्ञ शामिल हुए

Tricity Today | Galgotias University, Greater Noida

समिट को एआईसीटीई के चेयरमैन डॉ.अनिल सहस्रबुद्धे, भारतीय विश्वविद्यालय संघ की महासचिव डॉ पंकज मित्तल ने संबोधित किया।gangaसुनील गलगोटिया ने कहा, "यह महामारी दूसरे विश्व युद्ध के बाद दुनिया में सबसे बड़े बदलाव लेकर आएगी। शिक्षा, संस्कृति और सामाजिक परिवेश में बड़े बदलाव देखने के लिए मिलेंगे।gangaगलगोटिया यूनिवर्सिटी के सीईओ ध्रुव गलगोटिया ने कहा, "अभी तक सामान्य तकनीक का दौर चल रहा था लेकिन, इस महामारी ने तकनीक को पूरी तरह मानव जीवन में शामिल कर दिया है।

ग्रेटर नोएडा के गलगोटिया विश्वविद्यालय में रविवार को कोविड-19 के दौर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर ऑनलाइन समिट का आयोजन किया गया। इस समिट में गलगोटिया विश्वविद्यालय के शीर्ष अधिकारियों के साथ अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, भारतीय विश्वविद्यालय संघ और दुनिया भर के विशेषज्ञों ने भाग लिया। गलगोटिया विश्वविद्यालय के विशेष प्रयासों के द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉल्यूशंस विषय पर कोविड-19  वर्चुअल समिट का यह आयोजन किया गया।

समिट में एआईसीटीई के चेयरमैन डॉ.अनिल सहस्रबुद्धे, भारतीय विश्वविद्यालय संघ की महासचिव डॉ पंकज मित्तल और गलगोटिया यूनिवर्सिटी के कुलपति सुनील गलगोटिया ने उपस्थित विद्वानों की सभा को संबोधित किया। विश्वविद्यालय की उप कुलपति डाॅ प्रीति बजाज और विश्वविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ध्रुव गलगोटिया ने सभी अतिथियों और वक्ताओं का स्वागत किया। 

समिट में दुनियाभर के प्रतिभागी कई प्रकार के आईसीटी प्लेटफार्मों पर लाइव सत्र में शामिल हुए। प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों ने इस संकट व महामारी के समय में प्रौद्योगिकी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग के बारे में बात की। कहा कि दुनिया में मानवीय मूल्यों, नैतिकता, शिक्षा की अखंडता और प्रतिमान बदलाव को विश्वविद्यालय ने बरकरार रखा है।

गलगोटिया यूनिवर्सिटी के चांसलर सुनील गलगोटिया ने कहा, "कोरोनावायरस के कारण पूरी दुनिया में फैली महामारी ने कई बड़े बदलाव किए हैं। सबसे बड़ा बदलाव भारतीय परिप्रेक्ष्य में हुआ है। यहां अभी तक जिन तकनीक और संसाधनों का उपयोग करने से लोग कतराते थे, अब वह तकनीक रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल हो गई हैं। अमेरिका और यूरोप में वेबीनार, ऑनलाइन समिट और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन सामान्य जीवन में हो रहा है। अब भारत के लोगों को भी इसे बेहतर ढंग से अपनाना पड़ेगा।" 

सुनील गलगोटिया ने कहा, "यह महामारी दूसरे विश्व युद्ध के बाद दुनिया में सबसे बड़े बदलाव लेकर आएगी। शिक्षा, संस्कृति और सामाजिक परिवेश में बड़े बदलाव देखने के लिए मिलेंगे। हमें इन बदलावों को चुनौती और मौके के तौर पर लेना चाहिए। जो लोग बदलती दुनिया को अच्छे से परख लेंगे, वह इसका बेहतर उपयोग कर पाएंगे। आने वाले दिनों में भी अवसरों की कोई कमी नहीं होगी।"

गलगोटिया यूनिवर्सिटी के सीईओ ध्रुव गलगोटिया ने कहा, "अभी तक सामान्य तकनीक का दौर चल रहा था लेकिन, इस महामारी ने तकनीक को पूरी तरह मानव जीवन में शामिल कर दिया है। ऐसे सेक्टर जहां अभी तक टेक्नोलॉजी नहीं की बराबर इस्तेमाल हो रही थी, अब वहां काम-धंधे को आगे बढ़ाने के लिए तकनीक को बढ़ावा देना अपरिहार्य हो गया है। ऐसे में टेक्निकल यूनिवर्सिटी, टेक्निकल कॉलेज और टेक्निकल एजुकेशन के लिए और बेहतर रास्ते खुलेंगे।

ध्रुव गलगोटिया ने आगे कहा, "आने वाले दिनों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हर क्षेत्र का बड़ा हिस्सा बनने वाली है। कुछ और ऐसी तकनीक सामने आएंगी, जो पुरानी पड़ चुकी विधाओं की जगह ले लेंगी। लिहाजा, हमें, हमारे शिक्षकों को और छात्रों को इस बदलाव के लिए पहले से ही तैयारी करनी होगी।" गलगोटिया विश्वविद्यालय और शिक्षण संस्थान आने वाले वक्त की चुनौतियों और अवसरों को बेहतर ढंग से समझ चुके हैं।"

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