गौतमबुद्ध नगर बेसिक शिक्षा विभाग की अंधेर नगरी, नौ महीनों से वेतन के लिए धक्के क्यों खा रहे टीचर, जानिए पूरा मामला

गौतमबुद्ध नगर बेसिक शिक्षा विभाग की अंधेर नगरी, नौ महीनों से वेतन के लिए धक्के क्यों खा रहे टीचर, जानिए पूरा मामला

गौतमबुद्ध नगर बेसिक शिक्षा विभाग की अंधेर नगरी, नौ महीनों से वेतन के लिए धक्के क्यों खा रहे टीचर, जानिए पूरा मामला

Tricity Today | प्रतीकात्मक फोटो

गौतम बुद्ध नगर में बेसिक शिक्षा विभाग से जुड़ा एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे सुनने के बाद हर कोई दंग रह जाएगा। एक और उत्तर प्रदेश सरकार विभाग को हाईटेक और तकनीक से लैस करने में जुटी है, दूसरी ओर विभाग के अफसर और कर्मचारी पलीता लगाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे हैं। अध्यापकों पर ऐप से हाजिरी लगाने के लिए खूब कोहराम मचा, लेकिन उनकी समस्याओं का समाधान करने की ओर बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कोई ध्यान नहीं है।

गौतमबुद्ध नगर में करीब 9 महीने पहले सरकार ने नवनियुक्त  8 अध्यापक भेजे थे। इनकी जुलाई 2019 में नियुक्ति की गई थीं। इनके दस्तावेजों का सत्यापन नहीं होने के कारण पिछले 9 माह से वेतन नहीं मिला है। अध्यापकों की ओर से जब भी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय से सम्पर्क किया गया, वहां से जवाब आया कि सत्यापन प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है।

अब जानकारी मिली है कि सबका सत्यापन होकर जनवरी 2020 में बीएसए कार्यालय पहुंच चुका है। सवाल उठता है कि इसके बावजूद इन अध्यापकों को वेतन क्यों नहीं दिया गया है। प्राथमिक शिक्षक संघ दनकौर ब्लॉक के अध्यक्ष प्रवीण शर्मा का कहना है कि सभी अध्यापक दनकौर ब्लॉक और जेवर ब्लॉक में तैनात हैं। दनकौर ब्लॉक और जेवर ब्लॉक के ग्रामों में कार्यरत हैं। पिछले 9 माह से वेतन नहीं मिला है। इसकी वजह से सारे परिवार आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। 

प्रवीण शर्मा का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से व्हाट्सएप के माध्यम से कई बार जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को अवगत करा चुके हैं। उनकी ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला है।

दूसरी ओर इस बारे में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी धीरेन्द्र कुमार का कहना है, मुझे अभी गौतम बुद्ध नगर जिले में चार्ज लिए 15 दिन व्यतीत हुए हैं। इसी दौरान यहां लॉकडाउन शुरु हो चुका था। लेकिन मैं बताना चाहता हूं कि सत्यापन की प्रक्रिया उन विश्वविद्यालयों के एंड पर अटकती है, जहां से इन अध्यापकों ने अपनी पढ़ाई की होंगी। दिल्ली-मेरठ और बड़े महानगरों के विश्वविद्यालयों के साथ ईमेल या और तकनीकी माध्यमों से सत्यापन की प्रक्रिया तेजी से कर ली जाती है। लेकिन, कुछ विश्वविद्यालय अभी भी ऐसे हैं जहां सत्यापन की प्रक्रिया पूरी करने का एकमात्र जरिया पत्राचार ही है। वहां से समय लग जाता है।

बीएसए आगे कहते हैं, हालांकि पत्राचार के माध्यम से भी अधिकतम एक से डेढ़ महीने में सत्यापन पूरा हो जाता है। इन अध्यापकों का सत्यापन 9 महीने से अटका हुआ है, यह अपने आप में बड़ी बात है। अभी तक यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं था। अब मैं इस प्रकरण पर तेजी से कार्यवाही करवा लूंगा।

इन अध्यापकों को नहीं मिला 9 महीने से वेतन

  • पूजा यादव, प्राइमरी विद्यालय डेरीन ख़ूबन, दनकौर ब्लॉक
  • प्रदीप कुमार, प्राइमरी विद्यालय गोपालगढ़, जेवर ब्लॉक
  • शिखा, प्राइमरी विद्यालय ख़्वाजपुर, जेवर ब्लॉक
  • दवेंद्र, प्राइमरी विद्यालय ख़्वाजपुर, जेवर ब्लॉक
  • मिथलेश, प्राइमरी विद्यालय मलिन बस्ती, जेवर ब्लॉक
  • रोहित, प्राइमरी विद्यालय किशोरपुर, जेवर ब्लॉक
  • प्रियंका, प्राइमरी विद्यालय-1 जेवर
  • प्रीति, प्राइमरी विद्यालय किशोरपुर, जेवर ब्लॉक

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