गौरव चंदेल की हत्या के बाद टूटी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की नींद, हिंडन पुल पर स्ट्रीट लाइट लगेंगी

गौरव चंदेल की हत्या के बाद टूटी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की नींद, हिंडन पुल पर स्ट्रीट लाइट लगेंगी

गौरव चंदेल की हत्या के बाद टूटी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की नींद, हिंडन पुल पर स्ट्रीट लाइट लगेंगी

Tricity Today | हिंडन पुल पर स्ट्रीट लाइट लगेंगी

ग्रेटर नोएडा के इतिहास में शहर का इस समय सबसे बुरा हाल है, प्राधिकरण की लापरवाही से निवासियों में रोषgangaस्ट्रीट लाइट, सड़कों, पार्कों और सफाई के लिए थी शहर की पहचान, सारे आधारभूत ढांचे का बुरा हालgangaप्राधिकरण फिलहाल 7000 करोड़ रुपये के कर्ज तले है लेकिन अफसरों के पास इसकी कोई समाधान योजना नहींgangaसीईओ, एसीईओ, महाप्रबंधक तो लोगों के डर के कारण शहर में निकलते ही नहीं, छोटे अफसरों की मनमानी चल रही है

Greater Noida West: गौरव चंदेल की हत्या के बाद ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के अफसरों नींद टूटी है। ग्रेटर नोएडा वेस्ट के लोग बार-बार प्राधिकरण से मांग कर रहे थे कि स्ट्रीट लाइटों का बुरा हाल है। अंधेरे का लाभ उठाकर अपराधी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। आलम यह कि प्राधिकरण के बड़े अफसर अपनी कोटरों से निकलकर शहर का बुरा हाल देखने को तैयार नहीं और नीचे के अधिकारी मनमर्जी कर रहे हैं।

गौरव चंदेल की हत्या के बाद ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सड़कों पर पसरे अंधेरे को मीडिया ने प्रमुख आसुरक्षा के कारण के रूप में इंगित किया। यहां के निवासियों की चिंताओं को उजागर किया। जिसके बाद विकास प्राधिकरण की नींद टूटी और आनन-फानन में हिंडन नदी पर स्ट्रीट लाइट की हालत देखने के लिए मंगलवार की रात एक अफसर को भेजा गया। इस बारे में फ्लैट खरीदारों की संस्था नेफोवा का कहना है कि हम लोगों ने डार्क स्पॉट के बारे में प्राधिकरण के सीईओ से लेकर तमाम अफसरों को न जाने कितनी बार पत्र लिखे और मुलाकात की हैं। कल रात प्राधिकरण के सीईओ को फिर एक रिपोर्ट दी। परिणामस्वरूप खाजान सिंह के नेतृत्व में GNIDA की टीम आई। हिंडन ब्रिज का निरीक्षण किया। कल शाम 8:30 बजे के आसपास उन्होंने देखा कि यहां अंधेरे का क्या हाल है। अफसरों ने बताया कि एक प्रस्ताव बनाया गया है और बुधवार को औपचारिक अनुमोदन के लिए सीईओ के सामने प्रस्तुत किया जाएगा।

NEFOWA के मनीष कुमार और सुमील जलोटा ने GNIDA टीम के साथ सर्वे करवाया। इनको उम्मीद है कि अनुमोदन आदि को लालफीताशाही में नहीं घसीटा जाएगा और रोशनी जल्दी हो जाएगी। नेफोवा के अध्यक्ष अभिषेक कुमार का कहना है कि ग्रेटर नोएडा वेस्ट को विकास प्राधिकरण ने लावारिश मानकर छोड़ दिया है। यहां बड़ी-बड़ी हाउसिंग सोसायटी तो बनाकर खड़ी कर दी हैं लेकिन सुविधाएं क्या हैं। सरकारी स्कूल नहीं, अस्पताल नहीं है। सड़कों का बुरा हाल है। प्राधिकरण ने नया थाना तो दूर पुलिस चौकी के लिए जमीन नहीं छोड़ी है। ग्रीन बेल्ट, पार्क और सड़क की जमीन पर पुलिस चौकियां बनाई गई हैं। हम लोग न जाने कितनी बार सीईओ से मिल चुके। समस्याएं बता चुके हैं, कोई सुनवाई नहीं होती है। सबका एक जवाब है, पिछली सरकारें खराब कर गई हैं, अब हम क्या करें।

शहर के प्रमुख सामाजिक संगठन एक्टिव सिटीजन टीम के वरिष्ठ सदस्य हरेंद्र भाटी कहते हैं, मैं इस शहर में बचपन से रह रहा हूं। पिछली सरकारों में भले ही खूब भ्रष्टाचार था लेकिन, आम आदमी की सुनवाई होती थी। शहर की जितनी बुरी स्थिति इस समय है, उतनी बुरी स्थिति कभी नहीं रही। सही कहूं तो यह शहर के इतिहास का सबसे बुरा समय चल रहा है। हर तरफ गंदगी के ढेर हैं। सड़कें टूटी पड़ी हैं। पार्क बदहाल हैं। ग्रीन बेल्ट सूख चुकी हैं। चौराहों और तिराहा पर सौंदर्यकरण समाप्त हो चुका है। एक समय था जब यह शहर दुल्हन की तरह सजा हुआ नजर आता था। आज उजड़ा हुआ दिखाई देता है। डिवाइडर पर कंटीले तार और खंभे टूट चुके हैं। कोई देखने वाला नहीं है। 

हरेंद्र भाटी आगे कहते हैं, पूरे शहर में स्ट्रीट लाइट का बुरा हाल है। उसके बावजूद हर महीने करोड़ों रुपए बिल एनपीसीएल को प्राधिकरण दे रहा है। यह समझ नहीं आता कि आखिर विकास प्राधिकरण के अफसर कर क्या रहे हैं। प्राधिकरण के बड़े अधिकारी अपने दफ्तरों से बाहर निकलकर हालात को देखना नहीं चाहते। पब्लिक का सामना करना नहीं चाहते और छोटे अधिकारी मौज की छान रहे हैं।

वरिष्ठ नागरिक समाज के सदस्य आरबी माथुर बताते हैं कि वह करीब 20 वर्ष से ग्रेटर नोएडा में रह रहे हैं। रिटायरमेंट के बाद वह सीधे आकर ग्रेटर नोएडा में बस गए थे। उस वक्त शहर बहुत छोटा था लेकिन बेहद खूबसूरत था। वह याद करते हैं कि तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी बृजेश कुमार रोजाना शहर में भ्रमण करते थे। कमियां और समस्याओं को सुनते थे और उनका समाधान मौके पर ही करवाते थे। उस वक्त प्राधिकरण के अधिकारियों उनसे कुछ भी नहीं छुपा सकते थे क्योंकि वह अपने दफ्तर से बाहर निकलकर शहर को देखना पसंद करते थे। आरबी माथुर कहते हैं कि मैं करीब 85 साल की उम्र का व्यक्ति हूं। यह मानव मानसिकता है कि जब आपका लगाव किसी चीज से होगा तो आप उसको संभालने और उसका विकास करने के बारे में विचार करेंगे। यदि आपका लगाव शहर से नहीं है तो आप केवल समय व्यतीत करेंगे। मुझे लगता है कि मौजूदा अधिकारी इसी रवैये पर काम कर रहे हैं। उन्होंने तो शहर से लगाव नहीं है और ना ही इसके विकास और सुधार की उनके पास कोई योजना है। मौजूदा अधिकारी की प्रवृत्ति तो केवल दंड, जुर्माना और समस्याओं को नजरअंदाज करना है। मैं कई बार प्राधिकरण के कार्यालय गया और समस्याओं की जानकारी दी लेकिन सीईओ ने केवल अड़ियल रुख का इस्तेमाल किया। प्राधिकरण के सीईओ, एसीईओ, डीसीईओ, ओएसडी और महाप्रबंधक अपने दफ्तरों से बाहर निकलकर हालात देखना ही नहीं चाहते हैं।

कुल मिलाकर गौरव चंदेल की हत्या के बाद पूरे शहर में रोष व्याप्त है। शहर के लोग इसके लिए केवल पुलिस को जिम्मेदार नहीं मानते हैं, विकास प्राधिकरण को भी जिम्मेदार मानते हैं। लोगों का कहना है कि सुरक्षा देने न केवल पुलिस का काम है बल्कि हमें यहां बुलाकर बसाने वाले विकास प्राधिकरण की भी है।

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