खुशखबरी : गौतमबुद्ध नगर का हर बाशिंदा कमा रहा 6.71 लाख रुपये सालाना, यूपी में जिला नंबर वन, देखिए बाकी जिलों की स्थिति

खुशखबरी : गौतमबुद्ध नगर का हर बाशिंदा कमा रहा 6.71 लाख रुपये सालाना, यूपी में जिला नंबर वन, देखिए बाकी जिलों की स्थिति

खुशखबरी : गौतमबुद्ध नगर का हर बाशिंदा कमा रहा 6.71 लाख रुपये सालाना, यूपी में जिला नंबर वन, देखिए बाकी जिलों की स्थिति

Google Image | प्रतीकात्मक तस्वीर

उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल में सभी जिलों के नवीनतम सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़े जारी किए हैं। राज्य में विभिन्न जिलों के बीच बड़े पैमाने पर आर्थिक विषमताएं देखने को मिली हैं। सरकार का दावा है कि इस असंतुलन में तेजी से सुधारात्मक कार्रवाई की जा रही है। यूपी सरकार का उद्देश्य राज्य को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना है।

गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) ने राज्य के सभी जिलों में प्रथम स्थान हासिल किया है। हालांकि, वर्ष 2017-18 के मुकाबले 0.17% की मामूली गिरावट के बावजूद राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में 10.12% का योगदान दिया है। लखनऊ, जो नोएडा के बाद दूसरे स्थान पर है।  राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 3.85% योगदान दिया है। भले ही राज्य की राजधानी में लोगों की आमदनी नोएडा के मुकाबले 40% कम है।

2,793.87 करोड़ रूपये की जीडीपी के साथ श्रावस्ती जिला राज्य की अर्थव्यवस्था में केवल 0.25% योगदान कर रहा है और सूची में सबसे नीचे है। प्रति व्यक्ति आय के मामले में भी नोएडा पहले स्थान पर है। यहां प्रत्येक व्यक्ति औसतन 6.71 लाख रुपये प्रति वर्ष कमा रहा है। जबकि, बलरामपुर जिले में प्रति व्यक्ति आय का औसत 32,305 रुपये प्रतिवर्ष है, जो सूची के अंत में है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछली सरकारों पर व्यापक आर्थिक असमानता का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद देश में यूपी की प्रति व्यक्ति आय सबसे अधिक थी, लेकिन जब वह सीएम  बने तो राष्ट्रीय औसत से उत्तर प्रदेश काफी नीचे है।

योगी आदित्यनाथ ने कहा, “जब हम सत्ता में आए तो यूपी की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत के आधे से भी कम थी। हम राज्य में रोजगार पैदा करने के लिए तेजी से काम कर रहे हैं और प्रति आय राष्ट्रीय औसत से अधिक हो गई है।” उन्होंने कहा, दो जिले चित्रकूट और महोबा की जीडीपी और प्रति व्यक्ति आय में गिरावट आई है।

चित्रकूट की राज्य की जीडीपी में हिस्सेदारी 2017-18 में 0.50% थी। जो अब घटकर 0.32% हो गई है। जबकि, इसकी प्रति व्यक्ति आय 56,402 रुपये से घटकर 38,751 रुपये प्रति वर्ष हो गई है। दोनों मापदंडों में गिरावट देखने वाला दूसरा जिला महोबा है। इसकी जीडीपी में हिस्सेदारी 0.68% से घटकर 0.51% और प्रति व्यक्ति आय 89,035 रुपये से गिरकर 75,573 रुपये हो गई है।

राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में विभिन्न क्षेत्रों की हिस्सेदारी लगभग स्थिर बनी हुई है। एक बार फिर राज्य के विकसित और अविकसित विस्तार के बीच एक विस्तृत खाई है। राज्य की जीडीपी में पश्चिमी यूपी की हिस्सेदारी 51.71% है। बुंदेलखंड से केवल 5.22% हिस्सेदारी है। हालांकि, इस सरकार के कार्यकाल में कुछ सुधार आया है। यह 4.95% से आगे बढ़ी है।

यूपी के वित्त और सांख्यिकी निदेशक अरविंद कुमार पांडेय ने कहा, सरकार के पास उपलब्ध सीमित आंकड़ों के कारण जिलों की वास्तविक आर्थिक स्थिति का आंकलन करना मुश्किल है। हालांकि, प्रति व्यक्ति आय की गणना संभव थी। नतीजतन, राज्य ने विश्वसनीय जिलावार जीडीपी के आंकड़ों की गणना करने के लिए एक विस्तृत अभ्यास शुरू किया है।

योजना विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्य भी जिला जीडीपी की गणना कर रहे हैं और यूपी को अधिक सटीक जानकारी के लिए अधिक व्यवस्थित तरीके से अधिक डेटा एकत्र करना होगा। अधिकारी ने कहा, "उत्तर प्रदेश जीडीपी की गणना करने के लिए संकेतक की पहचान करने के लिए सतत विकास लक्ष्यों का उपयोग करने जा रहा है। यह केवल आर्थिक कारकों तक ही सीमित नहीं है।"

उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक प्रति व्यक्ति आय वाले 10 जिले

जिला

प्रति व्यक्ति

गौतमबुद्ध नगर

6,71,208 रुपये

मेरठ

1,28,667 रुपये

एटा

1,06,607 रुपये

लखनऊ 

1,04,016 रुपये

आगरा 

99,940 रुपये

अमरोहा 

99,422 रुपये

हाथरस 

96,452 रुपये

कानपुर नगर

96,001 रुपये

हमीरपुर

93,045 रुपये

हापुड़ 

92,942 रुपये

उत्तर प्रदेश में सबसे कम प्रति व्यक्ति आय वाले 10 जिले

जिला

प्रति व्यक्ति

देवरिया

38,568 रुपये

गोंडा

38,343 रुपये

श्रावस्ती 

38,152 रुपये

गाज़ीपुर 

36,730 रुपये

सन्त कबीर नगर 

36,507 रुपये

बलिया 

34,515 रुपये

प्रतापगढ़ 

33,530 रुपये

जौनपुर 

33,406 रुपये

बहराइच 

32,973 रुपये

बलरामपुर 

32,305 रुपये

 

 

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