Tricity Today | ग्रेटर नोएडा की सबसे बुजुर्ग एओए ने कोरोना के खिलाफ लड़ी मजबूत जंग
वाकई अनुभव की कोई बराबरी नहीं होती है। यह बात ग्रेटर नोएडा में सीनियर सिटीजन होम कंपलेक्स की सबसे बुजुर्ग अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन ने साबित करके दिखाई है। कोरोना वायरस के खिलाफ इस बुजुर्ग अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन (एओए) ने मजबूत लड़ाई लड़ी है। बुजुर्गों ने न केवल खुद को बल्कि सोसाइटी में रहने वाले करीब 4,000 से ज्यादा लोगों को कोरोना वायरस से बचाया है।
ग्रेटर नोएडा शहर की सबसे पुरानी हाउसिंग सोसायटी सीनियर सिटीजन होम कंपलेक्स है। इस हाउसिंग सोसायटी की खासियत यह है कि यहां विभिन्न सरकारी और निजी संस्थानों से सेवानिवृत्त बुजुर्ग और उनके परिवार निवास करते हैं। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सोसाइटी की अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन के सदस्यों की औसत उम्र 72 वर्ष है।
एओए के अध्यक्ष आरपी सिंह हैं। आरपी सिंह उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग से सेवानिवृत्त चीफ इंजीनियर हैं। उनकी उम्र 78 वर्ष है। आरपी सिंह बताते हैं, "लॉकडाउन लागू होने के तुरंत बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय की गाइडलाइंस को हमने फॉलो किया। शहर में सबसे पहले सेनिटाइजेशन टनल हमारी हाउसिंग सोसाइटी में लगाई गई थी। विकास प्राधिकरण, कॉलेजों और शहर की यूनिवर्सिटी में भी टनल बाद में लगाई गई। केंद्रीय गृह मंत्रालय और उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से लागू की गई सारी गाइडलाइंस का हम लोगों ने अक्षर से पालन कर रहे हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा मिला है।"
डॉ. केसी तिवारी (75 वर्ष) चिकित्सक हैं और अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन के महासचिव हैं। उनका कहना है, "हमारी सोसायटी में 954 घर हैं। सबसे पहले मार्च महीने में विदेश यात्रा करके वापस लौटे लोगों को हमने होम क्वॉरेंटाइन रहने के लिए प्रेरित किया। उसके बाद सोसाइटी से नियंत्रित आवागमन रहा। सेनिटाइजेशन टनल ने संक्रमण को रोकने में बड़ी मदद की है।
मई के तीसरे सप्ताह में हमारे एक निवासी के यहां आए दो रिश्तेदार संक्रमित मिले थे। उन्होंने नियमों का उचित पालन नहीं किया था। हमारी सोसाइटी का एक भी निवासी संक्रमण की चपेट में नहीं आया है। बाहर से आए 2 लोगों के संक्रमित मिलने के बाद हम लोगों ने व्यक्तिगत रूप से कांटेक्ट ट्रेसिंग और सेनिटाइजेशन पर ध्यान दिया। एसोसिएशन ने अपने स्तर पर दवाओं का छिड़काव और फॉगिंग की। जिस टावर में संक्रमित लोग मिले थे, वहां नियमों के मुताबिक पूरे 21 दिन सख्ती के साथ कंटेनमेंट जोन से जुड़े नियमों का पालन किया गया।"
सेवानिवृत्त प्रोफेसर और एसोसिएशन की उपाध्यक्ष श्याम कुमारी (67 वर्ष) कहती हैं, "हमारी हाउसिंग सोसाइटी में 100 साल के बुजुर्गों से लेकर नवजात बच्चे हैं। सबसे ज्यादा खतरा सोसायटी में रहने वाले बुजुर्गों को ही माना जा रहा था। दरअसल, कोई घर ऐसा नहीं है जिसमें एक या दो बुजुर्ग नहीं हैं। सभी की उम्र 70 साल और इससे अधिक है। लेकिन हमारी हाउसिंग सोसायटी का एक भी बुजुर्ग कोरोना वायरस की चपेट में नहीं आया है। यह हम लोगों के आत्म नियंत्रण और देखभाल की बदौलत संभव हो सका है।"
लॉकडाउन के दौरान आवश्यक वस्तुओं की कमी नहीं आई
सोसाइटी के निवासी मुकेश शर्मा का कहना है कि एओए के कोषाध्यक्ष एसके मेहता बैंक से रिटायर्ड अफसर हैं और उनकी उम्र भी 75 वर्ष है। इस महामारी से निपटने में बुजुर्गों का अनुभव बहुत काम आया है। पूर्व जिला पंचायत सदस्य सतीश भाटी एडवोकेट का कहना है कि यह शहर की सबसे बुजुर्ग अपार्टमेंट एसोसिएशन है। बुजुर्गों के कारण सोसायटी के निवासियों में अनुशासन बना रहा। लॉकडाउन के दौरान पूरे शहर में लोगों को आवश्यक वस्तुओं के लिए भटकना पड़ा। हमारी सोसाइटी में आवश्यक सेवाओं की कोई कमी इन लोगों ने नहीं आने दी। फल, सब्जी, दूध और दवा समेत तमाम दूसरी वस्तुओं के लिए सोसाइटी में अच्छी व्यवस्था की गई थी।"
जिला प्रशासन और पुलिस के पास एक भी शिकायत नहीं पहुंची
सोसाइटी की निवासी श्वेता गुप्ता का कहना है कि पिछले 4 महीनों के दौरान कोरोना काल में हमारी हाउसिंग सोसाइटी से एक भी शिकायत पुलिस और प्रशासन को नहीं की गई है। सोसाइटी की अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन ने लॉकडाउन से लेकर अब तक फोन, ईमेल और व्हाट्सएप के जरिए लोगों की परेशानियां सुनी और उनका समाधान अपने स्तर पर किया है। यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। इस दौरान हमें पूरे शहर में लोगों की परेशानियों के बारे में जानकारी मिलती रही। दूसरी ओर हमारी सोसाइटी में है यह बुरा वक्त बेहद सुकून के साथ बीता है।