Tricity Today | Green City Hospital, Greater Noida
ग्रेटर नोएडा में नवजात बच्चे की मौत के मामले में गौतमबुद्ध नगर के स्वास्थ्य विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। नवजात की मौत के मामले में स्वास्थ्य विभाग ने ग्रेटर नोएडा के ग्रीन सिटी अस्पताल का सोमवार शाम 5 बजे लाइसेंस सस्पेंड किया और रात 10 बजे वापस ले लिया है। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि जांच के बाद पाया गया कि मरीज के परिजन अपनी मर्जी से दूसरे अस्पताल गए थे। इसी मामले में शामिल कृष्णा अस्पताल को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। अस्पताल प्रबंधन के जवाब के बाद कार्रवाई हो सकती है।
अब सवाल यह है कि स्वास्थ्य विभाग को अस्पताल का लाइसेंस सस्पेंड होने के बाद पता चला कि परिजन अपनी मर्जी से बच्चे को लेकर गए थे। तब 14 दिनों से किस चीज की जांच चल रही थी। 25 मई को अस्पताल में इलाज नहीं मिलने के कारण एक नवजात की मौत हो गई थी। मौत का वीडियो बनाकर राजकुमार दंपत्ति ने वायरल किया था। स्वास्थ्य विभाग की जांच में ग्रीन सिटी अस्पताल को पहले दोषी माना गया था। सोमवार को अस्पताल का लाइसेंस सस्पेंड कर दिया गया। इस बारे में मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने मीडिया को जानकारी दी।
इसके बाद रात 10 बजे फिर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन ने स्वास्थ्य विभाग को सबूत दिए कि मरीज को अस्पताल ने नहीं भेजा था, बल्कि मरीज को परिजन अपनी मर्जी से दूसरे अस्पताल में ले गए थे। अस्पताल में इलाज के लिए अधिक पैसे मांगने का आरोप लगा था। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. दीपक ओहरी ने बताया कि ग्रीन सिटी अस्पताल ने सबूत दिए कि उनकी गलती नहीं थी। ऐसे में निलंबन वापस ले लिया गया है। कुल मिलाकर 14 दिनों तक चली जांच में स्वास्थ्य विभाग के दो डिप्टी सीएमओ यह भी पता नहीं कर पाए की मरीज को अस्पताल ने भेजा था या परिजन खुद लेकर गए थे।
अब सवाल यही खड़ा हो रहा है कि दो डिप्टी सीएमओ की जांच रिपोर्ट में क्या लिखा गया, क्या नहीं लिखा गया? जांच हुई भी या नहीं या केवल जांच के नाम पर लीपापोती की गई है। आपको बता दें कि 25 मई को ग्रेटर नोएडा के सेक्टर 36 में रहने वाले राजकुमार की पत्नी ने ग्रेटर नोएडा के कृष्णा लाइफलाइन अस्पताल में एक बच्चे को जन्म दिया था। जन्म के बाद परेशानी हुई और बच्चे की तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ गई। कृष्णा लाइफलाइन अस्पताल ने बच्चे को ग्रीन सिटी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। परिजनों ने आरोप लगाया था कि ग्रीन सिटी अस्पताल के प्रबंधन ने उनसे ₹25000 रोजाना का खर्च देने के लिए कहा था। वह खर्च उठाने में असमर्थ थे। जिस पर अस्पताल ने बच्चे को किसी सरकारी अस्पताल ले जाने की सलाह दी। परिजनों ने बच्चे को सरकारी अस्पताल ले जाने के लिए सहमति दे दी। बच्चे को सरकारी अस्पताल भेजने के लिए ग्रीन सिटी अस्पताल ने एंबुलेंस उपलब्ध नहीं करवाई। बच्चा वेंटिलेटर पर था, उसे रेफर करने के लिए जरूरी प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया था।
सीएमओ के प्रेस बयान में भी थी गड़बड़ी
उस दिन मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने इस तरह की कई कमियां बताते हुए एक प्रेस बयान जारी किया गया था। उसमें भी त्रुटि की गई थी। तीन गलतियां ग्रीन सिटी अस्पताल की बताई गई थीं और नोटिस भेजने की बात कृष्णा लाइफलाइन अस्पताल के लिए लिखी गई थी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी की ओर से जारी किए गए इस बयान में यह साफ नहीं हो रहा था की गलती कृष्णा लाइन लाइफलाइन अस्पताल की है या ग्रीन सिटी अस्पताल की है। नोटिस किस अस्पताल को भेजा गया है। अब मुख्य चिकित्सा अधिकारी का कहना है कि गलती ग्रीन सिटी अस्पताल की नहीं थी। अब उन्होंने कृष्णा लाइफलाइन अस्पताल को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। कृष्णा लाइफलाइन अस्पताल जवाब देगा तो आगे की कार्रवाई की जाएगी। कुल मिलाकर 14 दिन में जांच और कार्रवाई जहां की तहां पहुंच गई है।