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उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के मामले में एक दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनी के तत्कालीन सेल्समैन फैजान खान को दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को जमानत दे दी। सेल्समैन पर जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र को फर्जी दस्तावेज के आधार पर सिम कार्ड बेचने का आरोप है।
अदालत ने कहा कि पुलिस यह दर्शाने में नाकाम रही कि आरोपी नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ होने वाले प्रदर्शन को आयोजित करने की साजिश का हिस्सा रहा। यह आरोप लगाया गया कि फर्जी दस्तावेज के आधार पर ली गई सिम का इस्तेमाल सीएए के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन आयोजित करने के लिए किया गया और पुलिस ने सेल्समैन के खिलाफ आतंकवादी-रोधी कानून, यूएपीए लगाया था।
हालांकि, अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता पर कोई आरोप नहीं है कि वह किसी भी तरह की आतंकी वित्तपोषण या ऐसी अन्य सहायक गतिविधियों में लिप्त है। राहत प्रदान करते हुए जस्टिस सुरेश कैत ने कहा कि जमानत देने के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत प्रतिबंध तत्काल मामले में लागू नहीं होगा क्योंकि जांच एजेंसी ने यह नहीं दिखाया है कि आरोपी सीएए के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन आयोजित करने के लिए किसी भी साजिश का हिस्सा था।
पुलिस ने 29 जुलाई को फैजान को गिरफ्तार किया था और उसके खिलाफ यूएपीए, आईपीसी, शस्त्र अधिनियम की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया था।
गौरतलब है कि नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच संघर्ष के बाद 24 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, घोंडा, चांदबाग, शिव विहार, भजनपुरा, यमुना विहार इलाकों में साम्प्रदायिक दंगे भड़क गए थे।
इस हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से अधिक लोग घायल हो गए थे। साथ ही सरकारी और निजी संपत्ति को भी काफी नुकसान पहुंचा था। उग्र भीड़ ने मकानों, दुकानों, वाहनों, एक पेट्रोल पम्प को फूंक दिया था और स्थानीय लोगों तथा पुलिस कर्मियों पर पथराव किया।
इस दौरान राजस्थान के सीकर के रहने वाले दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल की 24 फरवरी को गोकलपुरी में हुई हिंसा के दौरान गोली लगने से मौत हो गई थी और डीसीपी और एसीपी सहित कई पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल गए थे। साथ ही आईबी अफसर अंकित शर्मा की हत्या करने के बाद उनकी लाश नाले में फेंक दी गई थी।