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मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने लॉकडाउन के दौरान 30 वर्षीय विवाहिता से छेड़छाड़ करने के आरोपी की जमानत अर्जी मंजूर करते वक्त अनूठी शर्त लगाई है। आरोपी को रक्षाबंधन के दिन महिला के घर जाकर उससे राखी बंधवाने का आदेश दिया है। साथ ही, भविष्य में एक भाई की तरह हर हाल में उसकी रक्षा करने का वचन देने और आशीर्वाद लेने को कहा है।
उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति रोहित आर्य ने मामले में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पड़ोसी उज्जैन जिले के विक्रम बागरी (26 वर्ष) की जमानत अर्जी 30 जुलाई को मंजूर की है। वह दो महीने से न्यायिक हिरासत के तहत जेल में कैद है।
पीठ ने मामले की सुनवाई कर रही निचली अदालत में 50,000 रुपये का निजी मुचलका और इतनी ही राशि की जमानत भरने पर बागरी को जेल से रिहा किये जाने का आदेश दिया।
अदालत ने इसके साथ यह शर्त भी लगायी कि (विवाहिता से छेड़छाड़ के मामले का) आरोपी रक्षाबंधन पर सोमवार पूर्वाह्न 11 बजे अपनी पत्नी के साथ राखी और मिठाई लेकर शिकायतकर्ता महिला के घर जायेगा।
अदालत ने आदेश दिया, ''आरोपी इस महिला (शिकायतकर्ता) से उसे राखी बांधने का निवेदन करेगा। इसके साथ ही, एक भाई के तौर पर उसे वचन देगा कि वह भविष्य में हर हाल में उसकी रक्षा करेगा।
एकल पीठ ने यह भी कहा, ''जिस तरह रक्षाबंधन की रस्म के मुताबिक राखी बंधवाने वाला भाई अपनी बहन को उपहार देता है, उसी तरह आरोपी की ओर से शिकायतकर्ता महिला को 11,000 रुपये दिये जायेंगे और वह उसका आशीर्वाद भी लेगा।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि आरोपी रक्षाबंधन के मौके पर शिकायतकर्ता महिला के बेटे को 5,000 रुपये देगा, ताकि वह त्योहार पर नये कपड़े और मिठाइयां खरीद सके।
अभियोजन का बागरी पर आरोप है कि आरोपी नजदीकी उज्जैन जिले के भाटपचलाना क्षेत्र में 20 अप्रैल को तड़के अपने पड़ोस में रहने वाली 30 वर्षीय विवाहिता के घर में जबरन घुस गया था और बुरी नीयत से उसका हाथ पकड़ लिया था।
पुलिस ने महिला की शिकायत पर बागरी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 452 (चोट पहुंचाने, हमला करने या बंधक बनाने के लिए जबरन घर में घुसना), धारा 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने की नीयत से उस पर आपराधिक बल प्रयोग करना) और अन्य सम्बद्ध धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।