पुलिस कमिश्नर सिस्टम क्यों लागू करना पड़ा, ये हैं 2 बड़ी वजह

पुलिस कमिश्नर सिस्टम क्यों लागू करना पड़ा, ये हैं 2 बड़ी वजह

पुलिस कमिश्नर सिस्टम क्यों लागू करना पड़ा, ये हैं 2 बड़ी वजह

Tricity Today | Noida Gate

नोएडा और ग्रेटर नोएडा में अपराध थम नहीं रहा, बीते साल 2019 में करीब 1000 लूट और 114 हत्याओं ने तैयार की कमिश्नरी की जमीनgangaयूपी की आर्थिक राजधानी गौतमबुद्ध नगर में अगले 5 वर्षों में 2 लाख करोड़ रुपये का निवेश आने की उम्मीद, इंटरनेशनल शहर को चाहिए इंटरनेशनल पुलिसिंग

Noida: उत्तर प्रदेश सरकार ने नोएडा और लखनऊ में सोमवार को पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू किया है। लखनऊ महानगर है और जनसंख्या करीब 35 लाख है, ऐसे में वहां पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करना समझ में आता है। लेकिन, एक सवाल उठ रहा है कि महज 16-17 लाख की जनसंख्या और 22 स्थानों वाले गौतमबुद्ध नगर जिले में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने की क्या जरूरत थी। जबकि, यूपी में गाजियाबाद, मेरठ, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, बरेली और गोरखपुर जैसे बड़े शहर भी हैं।

इसके पीछे की दो बड़ी वजह हैं। एक नोएडा और ग्रेटर नोएडा में तमाम कोशिशों के बावजूद अपराध नहीं थम रहा है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बीते वर्ष 2019 में 1000 से ज्यादा लूट की वारदातें हुई हैं। जबकि 114 लोगों की हत्या कर दी गई। दूसरी ओर ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र में तेजी से विदेशी निवेश बढ़ रहा है। जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर काम शुरू हो चुका है। ऐसे में इसमें कोई शक नहीं कि कि गौतमबुद्ध नगर एक अंतर्राष्ट्रीय शहर बन चुका है, जिसके लिए अंतरराष्ट्रीय पुलिस इनकी जरूरत है।

गौतमबुद्ध नगर एक छोटा जिला है और कई बड़े जिलों को पछाड़कर यहां कमिश्नरी सिस्टम लागू किया गया है। इसके पीछे मुख्य कारण अपराध है। बीते साल एक हजार लूट की घटनाएं, 114 हत्याएं और 299 दुष्कर्म की घटनाएं हुई हैं। डकैती की घटनाओं का पर्दाफाश पुलिस नहीं कर सकी। दरअसल, गौतमबुद्ध नगर में महिला थाना सहित कुल 22 थाने हैं। इसमें कुछ थाने ऐसे भी जहां पूरे साल में 300 मुकदमे भी दर्ज नहीं होते हैं, उन थानों का क्षेत्र छोटा है।

अब दूसरी वजह पर गौर कीजिए। गौतमबुद्ध नगर में संगठित अपराध के चलते उद्योगपतियों में डर का माहौल है। जिले में कई बड़े गिरोह कंपनियों के ठेके कब्जाने के लिए मैनेजमेंट पर दबाव बनाते हैं। मनसूबे पूरे नहीं होते तो कम्पनी अफसरों पर हमला आम बात हो गई है। ओप्पो कम्पनी में सुरक्षाकर्मी की हत्या कर दी गई। करीब 2 महीने पहले हायर कम्पनी के एचआर मैनेजर के हाथ-पांव तोड़ दिए गए। ये गिरोह ठेके कब्जाने के लिए कई बार वारदात करते रहे हैं। रंगदारी के मामले सामने आए हैं। अगर इन अपराध पर लगाम लगती है तो यहां नए उद्योग और निवेश लाने के लिए बेहतर माहौल बनेगा। 

नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण की पहचान औद्योगिक क्षेत्र के रूप में है। दिल्ली से नजदीकी अंतरराष्ट्रीय उद्यमियों के लिए अच्छी बात है। जेवर में अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट  का निर्माण होना है। इसके चलते यहां उद्योगों की बड़ी संभावनाएं हैं। पिछले साल निर्माणाधीन मोबाइल कंपनी के गेट पर बदमाशों ने दो बार फायरिंग की। इसमें दो सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गईं। इनमें एक मामले का पुलिस ने खुलासा किया है। एक गिरोह के कई बदमाशों पर पुलिस-प्रशासन एनएसए के तहत कार्यवाही की। लेकिन दूसरे सुरक्षाकर्मी की हत्या का अब तक खुलासा नहीं हुआ है।

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