Tricity Today | नोएडा प्राधिकरण में आग लगी
नोएडा विकास प्राधिकरण के इंडस्ट्री डिपार्टमेंट में सोमवार की सुबह भीषण आग लग गई। जिसमें बड़ी संख्या में फाइलें जलकर खाक हो गई हैं। इस मामले में प्राधिकरण की मुख्य कार्यपालक अधिकारी ऋतु महेश्वरी ने जांच का आदेश दिया है। जांच करने के लिए छह अधिकारियों की एक टीम का गठन किया गया है। यह टीम एक सप्ताह में जांच करके रिपोर्ट मुख्य कार्यपालक अधिकारी को सौंपेगी।
मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रवीण कुमार मिश्र की अध्यक्षता में 6 अफसरों की जांच समिति बनाई है। इस समिति में विशेष कार्याधिकारी राजेश कुमार सिंह, विशेष कार्याधिकारी, संतोष उपाध्याय, महाप्रबंधक राजीव त्यागी, महाप्रबंधक केके अग्रवाल और महाप्रबंधक सिस्टम्स को शामिल किया गया है। यह समिति एक सप्ताह में रिपोर्ट देगी। करीब एक साल पहले भी बड़ी आग लगी थी। तब भी सैकड़ों फाइल जल गई थीं।
पहले आग और फिर पानी ने रिकॉर्ड को मटियामेट कर दिया
सीईओ ऋतु महेश्वरी की ओर से जारी किए गए आदेश के मुताबिक सोमवार की सुबह 8:45 बजे प्राधिकरण के कार्यालय में आग लगी आग है। आग इंडस्ट्रियल डिपार्टमेंट के लेखा विभाग में लगी है। सीओ ने इस समय का उल्लेख उन्हें दी गई सूचना के आधार पर किया है। ऐसे में जाहिर है कि आग और पहले लगी होगी। रिकॉर्ड रूम में रखी फाइलों को पहले आग ने स्वाहा कर दिया, फिर आग पर काबू पाने के लिए फायर ब्रिगेड की टीम ने भारी मात्रा में पानी फेंका है। जिससे रिकॉर्ड को दोगुना नुकसान पहुंचा है। मतलब, पहले आग ने रिकॉर्ड को जलाया और रही सही कसर पूरी पानी ने कर दी। अनुमान लगाया जा रहा है कि बड़ी संख्या में फाइलें जलकर राख हो गई हैं।
प्राधिकरण में कई वर्षों से चल रहा है डिजिटाइजेशन का काम, पूरा नहीं हो रहा
विकास प्राधिकरण में लंबे अरसे से दस्तावेजों का डिजिटाइजेशन किया जा रहा है। कई वर्षों से यह काम चल रहा है लेकिन पूरा होने का नाम ही नहीं ले रहा है। दरअसल, विकास प्राधिकरण डिजिटलाइजेशन को लेकर कोई खास संजीदा नहीं है। कई बार विकास प्राधिकरण के विभागों में पेपर लेस वर्क करने पर भी जोर दिया गया। इस दिशा में भी कोई कामयाबी नहीं मिली है। प्राधिकरण के पास रिकॉर्ड को रखने की पुख्ता व्यवस्था नहीं है। स्ट्रांग रूम उपलब्ध नहीं हैं। विभागों में स्पेस की बहुत ज्यादा कमी है। इन सब समस्याओं का समाधान करने के लिए प्राधिकरण का नया दफ्तर बन रहा है। लेकिन उसके निर्माण की परियोजना भी एक दशक से पूरी नहीं हो पाई है। कुल मिलाकर प्राधिकरण खुद ही समस्याओं से बुरी तरह घिरा हुआ है।
प्राधिकरण के 10 साल के कामकाज की जांच करवा रही है सरकार
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार नोएडा विकास प्राधिकरण के 10 वर्षों के कामकाज का ऑडिट सीएजी से करवाया रही है। सीएजी की ओर से ऑडिट रिपोर्ट सरकार को सौंपी जा चुकी है। हालांकि, अब तक इस मामले में कोई कार्यवाही आगे नहीं बढ़ी है। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जानकारी दे चुके हैं कि नोएडा विकास प्राधिकरण में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी की सरकारों के कार्यकाल में करीब 20,000 करोड रुपए के घोटाले अंजाम दिए गए हैं। आशंका जताई जा रही है कि इन सारे गोरखधंधों पर पर्दा डालने के लिए विकास प्राधिकरण में लगातार इस तरह की घटनाएं हो रही हैं। प्राधिकरण के अधिकारियों ने सीएजी को भी मांगे गए दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवाए थे। सीएजी की आपत्तियों और सवालों के जवाब भी नहीं दिए गए थे। अब आगजनी की घटनाओं में जलने वाले दस्तावेज क्या ऑडिट से ताल्लुक रखते हैं, यह सवाल उठ रहा है।
प्राधिकरण में 26 जून 2019 को भी आग लगी थी
इससे पहले नोएडा विकास प्राधिकरण के कार्यालय में 26 जून 2019 को भी आग लगी थी। उस दिन वर्क सर्किल-10 के कार्यालय के पीछे एक जूनियर इंजीनियर का दफ्तर जल गया था। कारण एसी में शॉर्ट सर्किट बताया गया था और घटना में सैकड़ों फाइलें जलकर खाक हो गई थीं। तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी आलोक टंडन ने मामले में जांच का आदेश दिया था। यह जांच विशेष कार्याधिकारी अविनाश त्रिपाठी को सौंपी गई थी। आग लगने की वजह और कौन सी फाइल जली थीं, इस बारे में अब तक कोई भी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। हालांकि, तब बताया जा रहा था कि वर्ष 2005 में हुए टेंडरों से जुड़ी फाइलें जलकर खाक हो गई हैं। उस वक्त विकास प्राधिकरण का सीएजी ऑडिट चल रहा था और प्राधिकरण के अफसरों पर दस्तावेज देने के लिए दबाव था।