Google Image | Journalist Rajeev Sharma
दिल्ली पुलिस ने शनिवार को कहा कि गिरफ्तार पत्रकार राजीव शर्मा सीमा संबंधी भारतीय रणनीति, सेना की तैनाती और खरीदारी के बारे में चीनी खुफिया एजेंसियों को संवेदनशील जानकारी दे रहा था। दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ के उपायुक्त (डीसीपी) संजीव कुमार यादव ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि पुलिस इस बारे में जांच कर रही है कि स्वतंत्र (फ्रीलांस) पत्रकार शर्मा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट और ईमेल आईडी से चीनी खुफिया अधिकारियों को क्या जानकारी उपलब्ध कराई हैं।
पुलिस ने बताया कि पूछताछ के दौरान शर्मा द्वारा दिये गये बयान के आधार पर चीनी महिला क्विंग शी और उसके नेपाली सहयोगी शेर सिंह उर्फ ताज बोहरा को भी शनिवार सुबह गिरफ्तार किया गया। डीसीपी ने बताया, ''चीनी महिला और उसका सहयोगी दिल्ली के महिपालपुर इलाके में मुखौटा कंपनियों के निदेशक थे तथा वे चीन को दवाइयों का निर्यात करते थे और इसके बदले में मिली मोटी रकम यहां अपने एजेंटों को देते थे।
पुलिस ने बताया कि 61 वर्षीय पत्रकार के खिलाफ शासकीय गोपनीयता अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। पत्रकार से चीनी खुफिया अधिकारियों ने तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा से संबंधित जानकारी भी देने को कहा था। पुलिस ने कहा, ''एक खुफिया एजेंसी से हाल में खुफिया जानकारी मिली थी कि राजीव शर्मा के विदेशी खुफिया अधिकारी से संबंध हैं और उसे राष्ट्रीय सुरक्षा एवं विदेशों से संबंधों से जुड़ी संवेदनशील जानकारी देने के लिए अवैध माध्यमों से धन मुहैया कराया जा रहा था।
पुलिस ने बताया कि चीनी खुफिया अधिकारी मिचाइल ने कथित तौर पर 2016 में शर्मा से संपर्क किया था और उसने 2018 तक उनसे संवेदनशील जानकारी कथित तौर पर साझा की थी। पुलिस अधिकारी ने बताया कि शर्मा एक सोशल मीडिया मंच के जरिये मिचाइल के संपर्क में आया और वह चीन भी गया था, जहां उसे आकर्षक प्रस्ताव दिये गये थे।
उन्होंने बताया कि शर्मा ने कथित तौर पर रक्षा से संबंधित संवेदनशील जानकारी चीनी खुफिया अधिकारी को देनी शुरू कर दी। पुलिस ने दावा किया कि मिचाइल ने शर्मा की चीन की यात्रा का पूरा खर्च भी उठाया। डीसीपी ने दावा किया, ''शर्मा ने 2010 से 2014 तक ग्लोबल टाइम्स के लिए एक साप्ताहिक स्तम्भ लिखा करता था। ग्लोबल टाइम्स को चीन सरकार का मुखपत्र कहा जाता है।
पुलिस ने एक बयान में कहा, ''इन स्तम्भों को देखकर चीन के कुनमिंग शहर के मिचाइल ने शर्मा से संपर्क किया और उसे एक मीडिया कंपनी में साक्षात्कार के लिए कुनमिंग शहर आने के लिए आमंत्रित किया। उसने बताया कि शर्मा चीनी खुफिया अधिकारियों से मिलने थाईलैंड और नेपाल भी गया था। यादव ने दावा किया, ''2019 में शर्मा, जॉर्ज नाम के एक अन्य चीनी खुफिया अधिकारी के संपर्क में आया और उसने भारत की रक्षा से संबंधित जानकारी को साझा करना जारी रखा।
पुलिस अधिकारी के मुताबिक शर्मा 40 साल से पत्रकारिता में था और 2010 से वह स्वतंत्र (फ्रीलांस) पत्रकार के रूप में काम कर रहा था। उन्होंने दावा किया कि शर्मा को “गत डेढ़ साल में 40-45 लाख रुपये मिले। उसे प्रत्येक जानकारी के बदले 1,000 अमेरिकी डॉलर (मौजूदा विनिमय दर के हिसाब से करीब 73 हजार रुपये) मिलते थे। उन्होंने बताया कि शर्मा कुछ भारतीय मीडिया संस्थानों के साथ-साथ चीन के ग्लोबल टाइम्स अखबार के लिए भी रक्षा मामलों पर लिखा करता था।
उन्होंने बताया कि उसने पूर्व में यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया, द ट्रिब्यून, हिंदुस्तान टाइम्स और द टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ काम किया था। पुलिस ने बताया कि पत्र ने रिपोर्ट के रूप में चीनी खुफिया अधिकारियों को कई दस्तावेज भेजे थे और उसे बदले में मोटी रकम मिली थी। उन्होंने बताया कि शर्मा 'राजीव किष्किन्धा नाम से एक यूट्यूब चैनल भी चला रहा था। पुलिस ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि शर्मा के पास पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) का मान्यता कार्ड भी था, जिससे जाहिर होता है कि मंत्रालयों तक पहुंचना उसके लिए आसान था।
डीसीपी ने कहा, ''शर्मा भारत-चीन सीमा विवाद के बारे में, चीन के साथ सीमा पर मौजूदा गतिरोध, सेना की तैनाती और रक्षा खरीद तथा भारत सरकार की सीमा पर रणनीति के बारे में चीनी खुफिया अधिकारी को निरंतर जानकारी दे रहा था। यह पूछे जाने पर कि शर्मा ने क्या गोपनीय जानकारी साझा की थी, डीसीपी ने कहा, ''हम उसके सोशल मीडिया अकाउंट और ईमेल आईडी को अन्य एजेंसियों के जरिये खंगाल रहे हैं ताकि यह पता चल सके कि उसने चीनी खुफिया के साथ क्या जानकारी साझा की थी।
यह पूछे जाने पर कि क्या किसी मंत्रालय का कोई अधिकारी भी संलिप्त था, डीसीपी ने कहा कि उसके सोशल मीडिया अकाउंट और ईमेल आईडी को खंगालने के बाद यह पता चल सकता है कि कहां से गोपनीय दस्तावेज लीक हुए थे। उन्होंने बताया कि कि भारतीय खुफिया सूचना के आधार पर जब 14 सितंबर को शर्मा को गिरफ्तार किया गया था, तब उसके घर से पुलिस ने रक्षा से जुड़े कुछ गोपनीय दस्तावेज भी जब्त किये थे।
डीसीपी ने बताया कि अपने नेपाली सहयोगी के साथ गिरफ्तार की गई चीनी महिला को 2013 में एक नर्सिंग पाठ्यक्रम में दाखिला मिल गया था और वह भारत में रह रही थी। महिला के जब्त किए गए मोबाइल फोन और लैपटॉप का फोरेंसिक विश्लेषण किया जा रहा है ताकि पूरे नेटवर्क और षड्यंत्र का पता लगाया जा सके। उन्होंने कहा कि षड्यंत्र में शामिल अन्य विदेशी नागरिकों की पहचान करने और भूमिका का पता लगाने की भी कोशिश की जा रही है।