शारदा यूनिवर्सिटी की सेमिनार में बोले जस्टिस दीपक मिश्रा- लोकतंत्र की रक्षा में न्याय पालिका ने कई मौकों पर अपनी भूमिका निभाई

शारदा यूनिवर्सिटी की सेमिनार में बोले जस्टिस दीपक मिश्रा- लोकतंत्र की रक्षा में न्याय पालिका ने कई मौकों पर अपनी भूमिका निभाई

शारदा यूनिवर्सिटी की सेमिनार में बोले जस्टिस दीपक मिश्रा- लोकतंत्र की रक्षा में न्याय पालिका ने कई मौकों पर अपनी भूमिका निभाई

Google Image | शारदा यूनिवर्सिटी

शारदा विश्वविद्यालय के विधि संकाय में रविवार को "संविधान के मूल्यों को बनाए रखने में न्यायपालिका की भूमिका", विषय पर आनलाइन सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा, सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस इंदिरा बनर्जी, यूनिवर्सिटी के चांसलर पीके गुप्ता, लॉ कॉलेज के डीन डा.प्रदीप कुलश्रेष्ठ ने अपने विचार व्यक्त किए।

पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा में न्याय पालिका ने कई मौके पर अपनी भूमिका निभाई है। अपने कई फैसलों से प्रोग्रेसिव सोसायटी की तरफ कदम बढ़ाया है। न्याय पालिका अपने निर्णयों के माध्यम से सामाजिक न्याय को बढ़ावा देती है। उन्होंने विशाखा, सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश, इथोनिया आदि मामलों का जिक्र किया। सुप्रीम कोर्ट की जज न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी ने कहा कि जो लोग अथवा संस्थाएं संविधान की रक्षा के लिए जिम्मेदार हैं। उन्हें आगे आना होगा। न्यायपालिका की अपनी सीमा है और उसे दायरे में ही काम करना होता है। न्यायपालिका कानून नहीं बना सकती है, केवल कानून की रक्षा कर सकती है। जूडिशरी संविधान के द्वारा नागरिकों को दी गई शक्तियों की रक्षा करता है।

इस मौके पर शारदा विवि के चांसलर पीके गुप्ता ने कहा कि संविधान में महिला और पुरूषों को समान अधिकार दिए गए हैं। हमारे संस्थान में सांविधानिक मूल्यों का पूर्ण रूप से पालन किया जाता है। यहां  किसी प्रकार का नस्लीय, क्षेत्रीय या लैंगिक भेदभाव नहीं होता है। स्कूल ऑफ़ लाॅ के डीन डाॅ.प्रदीप कुलश्रेष्ठ ने कहा कि हम लोग शिक्षण और सीखने के नए तरीके का उपयोग करते हैं। इसके तहत सेमिनार, मूट कोर्ट प्रतियोगिताओं और सार्वजनिक क्षेत्रों में लोगों को जागरूक करना शामिल है।

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