फ्लैट्स में रहने वाले वास्तु दोष कैसे दूर करें, जानिए कैसे मदद करता है तुलसी का पौधा

फ्लैट्स में रहने वाले वास्तु दोष कैसे दूर करें, जानिए कैसे मदद करता है तुलसी का पौधा

फ्लैट्स में रहने वाले वास्तु दोष कैसे दूर करें, जानिए कैसे मदद करता है तुलसी का पौधा

Google Image | प्रतीकात्मक फोटो

- सही स्थान पर तुलसी का पौधा रखने और उसका लगातार पूजन करने से वास्तु दोष संबंधी समस्याओं से मिलता है छुटकाराganga- फ्लैट्स में अपने अनुसार दीवारें हटवाने का बनवाने में आने वाली समस्याओं का एकमात्र इलाज वास्तुशास्त्री तुलसी के पौधे को मानते हैं

दिल्ली-एनसीआर में फ्लैट्स कल्चर की अधिकता होने के चलते आम लोगों के बीच घरों में मौजूद वास्तु दोष को कम करने में काफी समस्या का सामना करना पड़ता है। यदि घर का कोई भी स्थान वास्तु दोष की समस्या से ग्रसित है तो उसे बराबर करने के लिए फ्लैट में अधिक तोड़फोड़ कराए जाने में दिक्कत आती है। वास्तु शास्त्री मानते हैं कि तुलसी के पौधे में सकारात्मक ऊर्जा के गुण को लोग अपने फ्लैट्स में मौजूद वास्तु दोष को दूर करने में उपयोग में ला सकते हैं।

वास्तु शास्त्री पंडित दीपक पांडे ने जानकारी दी कि वास्तु शास्त्र में तुलसी के पौधे को बेहद अहम माना गया है। पूजा में पवित्र होने के साथ ही तुलसी का पौधा सभी पौधों में सबसे ज्यादा सकारात्मक ऊर्जा वातावरण में छोड़ता है। ऐसी स्थिति में आप घरों में यदि वास्तु दोष है और उस दोष की वजह से पूरा परिवार प्रभावित हो रहा है तो सिर्फ एक तुलसी के पौधे से उस वास्तु दोष को काफी हद तक कम किया जा सकता है। फ्लैट्स कल्चर में यदि किसी के घर में वास्तु दोष होता है और उसमे रहने वाला परिवार उसे दूर कराने के लिए प्रयासरत भी है तो भी फ्लैट्स में बहुत अधिक तोड़फोड़ की अनुमति ना मिलने की वजह से भी तुलसी का पौधा बेहद उपयोगी सामग्री बनकर सामने आता है। तो आइए जानते हैं किस तरह से अपने घरों में मौजूद वास्तु दोष को कर सकते हैं आसानी से दूर...

घर का दक्षिण पश्चिम भाग यदि कटा हो तो : यदि घर का दक्षिण पश्चिम भाग कटा हुआ हो, छोटा हो या फिर दक्षिण पश्चिम भाग में वास्तु संबंधी दोष हो तो घर में तमाम तरह की परेशानियां सामने आती हैं। घर के किसी भी सदस्य को यदि लगातार कमर दर्द हो रहा है और उसके योजनाबद्ध तरीके से किए जाने वाले कार्य भी दिल से पूरे हो रहे हैं तो यह माना जाता है कि घर का दक्षिण पश्चिम भाग उसके जीवन को प्रभावित कर रहा है। ऐसी स्थिति में यदि तुलसी के पौधे को घर के ईशान कोण यानी उत्तर पूर्वी स्थान पर रख दिया जाए तो प्रभावित हुआ दक्षिणी पश्चिमी भाग ईशान कोण से सीधे प्रभावित होता है। इस तरह 45 दिन तक तुलसी का पौधा ईशान कोण में रखे जाने से परिवार के सदस्यों को लाभ दिखाई देना शुरू हो जाता है।

घर का उत्तर पूर्वी भाग कटा हुआ हो तो : यदि घर का उत्तर पूर्वी भाग कटा हुआ हो तो वास्तु दोष के अनुसार यह बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है। घर के उत्तरी पूर्वी भाग के कटे होने की पहचान इस तरह से की जा सकती है कि यदि घर के किसी भी सदस्य के सामने रोजगार संबंधी समस्या सामने आ रही है तो इस वास्तु दोष के निवारण से लाभ हासिल हो सकता है। इसके अलावा यह भाग प्रभावित होने से घर में धन का रुकना भी कम हो जाता है। यदि धन आता भी है तो किसी न किसी प्रकार से जल्द ही खर्च भी हो जाता है। इस स्थिति से बचने के लिए तुलसी के पौधे को यदि उत्तरी पूर्वी भाग में रखकर उसका 52 दिन तक पूजन किया जाए और शाम के समय उस स्थान पर दीपक जलाया जाए तो वास्तु संबंधी दोष से काफी हद तक लाभ मिल सकता है।

उत्तरी पश्चिमी कोना कटा हुआ है तो : घर का उत्तरी पश्चिमी कोना यदि कटा हुआ है तो यह गंभीर वास्तुदोष संबंधी समस्या मानी जाती है। इस समस्या की पहचान परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य संबंधी विकारों से आसानी से की जा सकती है। यदि घर के वरिष्ठ सदस्य को लगातार पेट संबंधित समस्या और खास तौर पर अपच की बीमारी है तो वास्तुशास्त्री मानते हैं कि समस्या घर के पश्चिमी उत्तरी कोने में मौजूद है। घर का घर कुंडा खास तौर पर कैरियर संबंधी परेशानियां और वाद विवाद की अधिकता घर पर लाता है। घर के किस कोने की वास्तु संबंधी समस्या को दूर करने के लिए तुलसी के पौधे को ईशान कोण से 2 फीट दूर रखने से 66 दिन में इस समस्या का समाधान काफी हद तक संभव हो सकता है।

दक्षिण पूर्व का कोना कटा हुआ है तो : घर के दक्षिण पूर्व का कोना यदि कटा हुआ है तो घर पर परिवार के सदस्यों के बीच में कलेश, दांपत्य जीवन में वाद विवाद सहित अन्य समस्याएं सामने आती हैं। वास्तु शास्त्री मानते हैं कि यदि दक्षिण पूर्वी होने की समस्या का समाधान नहीं किया गया तो परिवार में दांपत्य जीवन में अलगाव जैसी स्थिति भी खड़ी हो जाती है। यह समस्या को दूर करने के लिए तुलसी के पौधे को ईशान कोण के पूर्वी भाग में स्थापित कर 78 दिनों तक लगातार पूजन करना चाहिए। यह पूजन परिवार की बुजुर्ग महिला या फिर यदि परिवार एकल है तो फिर पत्नी की ओर से भी कराया जा सकता है।

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