निराशा से डरने की नहीं, लड़ने की जरूरत: कुमार विश्वास

निराशा से डरने की नहीं, लड़ने की जरूरत: कुमार विश्वास

निराशा से डरने की नहीं, लड़ने की जरूरत: कुमार विश्वास

Tricity Today | Kumar Vishwas

कवि डॉक्टर कुमार विश्वास ने गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधित कियाgangaजीबीयू ने नवागत छात्रों के लिए वर्चुअल इंडक्शन पखवाड़े का आयोजन किया है

शनिवार को गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में वर्चुवल इंडक्शन पखवाड़े में कवि डॉ. कुमार विश्वास छात्रों से मुखातिब हुए। उन्होंने कहा कि निराशा से डरने की नहीं बल्कि लड़ने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि शिक्षित होना और ज्ञानी होना अलग-अलग है। ये अंतर सिर्फ भारत में ही मिलता है। विश्वविद्यालय आपको शिक्षित कर सकता है, लेकिन जीवन जीने के लिए आपको ज्ञानी होना होगा।

जीबीयू में नवागंतुक छात्रों के लिए इंडक्शन पखवाड़ा 18 जून से चल रहा है। इसमें शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोग ऑनलाइन बच्चों से जुड़ते हैं और उन्हें आगे बढ़ने की राह दिखाते हैं। अपने संबोधन में डॉ. कुमार विश्वास ने कहा कि आप अपने आप को धन्य समझिए की आप एक बड़े विश्वविद्यालय के छात्र हैं, जहां के कुलपति प्रोफेसर भगवती प्रकाश शर्मा जैसे विद्वान व्यक्ति हैं। उन्होंने इतिहास की कई घटनाओं को बताया और यह समझाने का प्रयास किया कि किस तरह प्राचीनकाल से लेकर आज के समय तक लोगों ने हर विषम परिस्थिति का सामना किया और उस पर जीत हासिल की है।

उन्होंने अपने संबोधन में अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के मुद्दे को भी साझा किया। वह उनके साथ चंदा मामा नामक फ़िल्म पर काम कर रहे थे। आत्महत्या को उन्होंने साफ़ शब्दों में नकारा ही नहीं बल्कि उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया की ऐसी कोई परिस्थिति को अपने आप पर हावी नहीं होने देना चाहिए कि कोई व्यक्ति आत्महत्या जैसा कदम उठाने की सोच ले। एक छात्र ने निराशा से सम्बंधित प्रशन किया तो उन्होंने इतिहास के कई उदाहरण दिए, जिसमें महात्मा गांधी लेकर रोज़ेवेल्ट, विन्स्टॉन चर्चिल, हिटलर आदि शामिल रहे। 

डॉ कुमार विश्वास ने छात्रों को यह समझाने की कोशिश की कि निराशा से लड़ने की ज़रूरत है, डरने की नहीं है। कार्यक्रम में डॉ मनमोहन सिंह सिशोदिया, डॉ अरविन्द कुमार सिंह, डॉ संदीप सिंह राणा आदि मौजूद रहे।

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