ग्रेटर नोएडा और ग्रेनो वेस्ट में भारी बिजली कटौती, एनपीसीएल के खिलाफ लोगों में गुस्सा

ग्रेटर नोएडा और ग्रेनो वेस्ट में भारी बिजली कटौती, एनपीसीएल के खिलाफ लोगों में गुस्सा

ग्रेटर नोएडा और ग्रेनो वेस्ट में भारी बिजली कटौती, एनपीसीएल के खिलाफ लोगों में गुस्सा

Tricity Today | NOIDA POWER COMPANY LIMITED

ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट में बिजली कटौती से हाहाकार मचा हुआ है। एक और भीषण गर्मी पड़ रही है, दूसरी ओर रोजाना कई-कई घंटे बिजली गुल हो रही है। ऐसे में लोग नोएडा पावर कंपनी के खिलाफ गुस्से में हैं। इतना ही नहीं पावर बैकअप के नाम पर हजारों रुपए महीना अलग से लोगों को बिल्डरों को चुकाने पड़ रहे हैं। ग्रेटर नोएडा के मुकाबले ग्रेटर नोएडा वेस्ट का और ज्यादा बुरा हाल है। वहां की हाउसिंग सोसायटीज से जानकारी मिल रही है कि रोजाना कई-कई घंटे कटौती की जा रही है। दूसरी ओर नोएडा पावर कम्पनी के अधिकारी जवाब देने के लिए तैयार नहीं हैं।

ग्रेटर नोएडा, ग्रेटर नोएडा वेस्ट और ग्रेटर नोएडा के आसपास के ग्रामीण इलाकों में बिजली आपूर्ति करने की जिम्मेदारी प्राइवेट फॉर्म नोएडा पावर कंपनी के पास है। नोएडा पावर कंपनी, उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन से बिजली खरीद कर शहर में आपूर्ति करती है। हर साल मई-जून के महीनों में बिजली सप्लाई चरमरा जाती है। लोगों को कई-कई घंटे कटौती का सामना करना पड़ता है। एक और तापमान 42 डिग्री सेल्सियस चल रहा है, दूसरी ओर हाई राइज हाउसिंग सोसाइटीज में लोग उबल रहे हैं।

25 रुपये यूनिट है सोसायटियों में पावर बैकअप, कटौती पड़ रही जेब पर भारी
इतना ही नहीं पावर बैकअप के नाम पर हर महीने लोगों की जेब से कई-कई हजार रुपये निकल जाते हैं। जिससे नोएडा पावर कंपनी के खिलाफ आम आदमी गुस्से में है। ग्रेटर नोएडा वेस्ट की पंचशील ग्रीन हाउसिंग सोसायटी में रहने वाले मयंक प्रताप सिंह का कहना है, "हमारी सोसाइटी में रोजाना दो-तीन घंटे बिजली कटौती हो रही है। दोपहर में जब भीषण गर्मी पड़ती है, उसी वक्त बिजली चली जाती है। बिल्डर डीजल जनरेटर के जरिए पावर बैकअप देता है। इसका दोहरा नुकसान हम लोगों को उठाना पड़ रहा है। एक और वायु प्रदूषण हो रहा है। दूसरी ओर डीजल जनरेटर से मिलने वाली बिजली की दर ₹25 यूनिट तक वसूल की जाती है। ऐसे में हम लोगों को हर महीने हजारों रुपए अलग से चुकाने पड़ रहे हैं।"

गांवों का हाल शहर के सेक्टरों और सोसायटियों से भी बुरा है
ग्रेटर नोएडा का भी यही हाल है। गांव में तो पांच-पांच घंटे बिजली कटौती की जा रही है। सुथियाना गांव के रहने वाले अन्नू कश्यप का कहना है, "रोजाना दिन में 5 घंटे बिजली कटौती की जा रही है। शाम को 4:00 से 7:00 और सुबह 7:00 बजे से 9-10 बजे तक बिजली गुल रहती है। इस दौरान लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।" अन्नू कश्यप का कहना है कि नोएडा पावर कंपनी आज तक बिजली आपूर्ति सही ढंग से नहीं कर पाई है। कंपनी केवल कमीशनखोरी के बूते शहर में टिकी हुई है। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन से बिजली लेकर महंगी दाम पर हम लोगों को बेच रही है।

कौड़ियों के भाव महंगी जमीन लेकर पावर जेनरेशन प्लांट नहीं लगाया
ग्रेटर नोएडा के सेक्टर म्यु टू में रहने वाले शोभित शर्मा का कहना है, "हमारा सेक्टर शहर के बाहरी छोर पर है। यहां रात के समय में सुरक्षा को लेकर बड़ा संकट है। दिन में गर्मी से जूझना पड़ता है और रात को अंधेरा होने के कारण चोरों उचक्कों का भय सताता है। एनपीसीएल ना ढंग से दिन में बिजली आपूर्ति कर पाती है और ना रात के समय में कर पाती है। हम लोगों को इनवर्टर के सहारे समय काटना पड़ रहा है। हर साल करीब ₹20,000 लोगों को इन्वर्टर पर अतिरिक्त रूप से खर्च करने पड़ते हैं। एनपीसीएल की बिजली आपूर्ति बेहद खराब है। कंपनी को जब ग्रेटर नोएडा में लाइसेंस दिया गया था तो एग्रीमेंट में पावर जेनरेशन प्लांट लगाने की शर्त थी। इसके लिए कंपनी ने ग्रेटर नोएडा में कौड़ियों की कीमत पर जमीन का बड़ा क्षेत्रफल आवंटित करवा रखा है। लेकिन आज तक कंपनी ने पावर जेनरेशन प्लांट नहीं लगाया है।" 

शोभित का कहना है, "अब तो एनसीआर में प्रदूषण नियंत्रण की नीति सख्त हो जाने के कारण पावर जेनरेशन प्लांट लगाया भी नहीं जा सकता है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि इतना कीमती संसाधन इस प्राइवेट फॉर्म को विकास प्राधिकरण ने क्यों दे रखा है। सही मायने में एनपीसीएल का लाइसेंस रद्द किया जाना चाहिए। ग्रेटर नोएडा में भी उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन को बिजली आपूर्ति करने की जिम्मेदारी मिलनी चाहिए।"

देश में सबसे महंगी बिजली लेकिन फिर भी शहर के लोगों का बुरा हाल
ग्रेटर नोएडा में सीनियर सिटीजन हाउसिंग सोसायटी की आरडब्ल्यूए के पूर्व अध्यक्ष आरबी माथुर का कहना है, "मैं करीब 20 साल से ग्रेटर नोएडा शहर में रह रहा हूं। पिछले 20 सालों में नोएडा पावर कंपनी बिजली आपूर्ति नहीं सुधार पाई। इस कंपनी का मकसद केवल सस्ती बिजली खरीद कर आम उपभोक्ता को महंगी बिजली बेचना है। बीच का पैसा करोड़ों रुपए सालाना कमा कर कंपनी एक बड़े कारोबारी समूह की जेब भर रही है। इस कंपनी का एग्रीमेंट सही मायने में अब से पहले खारिज हो जाना चाहिए था। लेकिन इसके साथ विकास प्राधिकरण की मिलीभगत है। जिसके चलते कंपनी शहर में राज कर रही है। हजारों करोड रुपए का इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी को विकास प्राधिकरण ने मुफ्त में दिया है। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश ही नहीं देश में सबसे महंगी बिजली ग्रेटर नोएडा शहर में दी जा रही है। घरेलू बिजली की दर ₹7.35 रुपये प्रति यूनिट तक शहर में है। देश में सबसे महंगी बिजली के बावजूद लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।"

एनपीसीएल की कमी का बिल्डर भरपूर फायदा उठा रहे हैं
ग्रेटर नोएडा वेस्ट की गौर सिटी के फोर्थ एवेन्यू में रहने वाले आईटी इंजीनियर अमित कहते हैं, "एनपीसीएल की कमी का फायदा बिल्डर जमकर उठा रहे हैं। रोजाना एनपीसीएल 3 घंटे तक बिजली कटौती कर रही है। इस दौरान बिल्डर डीजल जनरेटर सेट चलाकर हमें पावर बैकअप देते हैं। जिसकी एवज में मोटी कीमत ले रहे हैं। हम लोग जब भी सोसाइटी के मेंटेनेंस डिपार्टमेंट में फोन करके पूछते हैं तो जवाब दिया जाता है कि पीछे से बिजली नहीं आ रही है। इसके बाद हम एनपीसीएल के कस्टमर केयर पर फोन करते हैं तो जवाब दिया जाता है कि कोई फॉल्ट नहीं है। अब सवाल यह उठता है कि यह सारा गोरखधंधा कैसे चल रहा है। एनपीसीएल 3 घंटे तक बिजली सामान्य रूप से काटता है। हम लोगों से रोजाना 5 घंटे तक डीजल जनरेटर सेट के पावर बैकअप का खर्चा लिया जा रहा है। हम लोग अपने प्रीपेड मीटर रिचार्ज कर करके परेशान हो गए हैं। हमें लगता है एनपीसीएल और बिल्डरों में बड़ा नेक्सस बन चुका है।"

गैलेक्सी नॉर्थ एवेन्यू हाउसिंग सोसायटी में रहने वाले गौरव ने बताया, "शुक्रवार को हमारी हाउसिंग सोसाइटी में दोपहर करीब 1:30 बजे बिजली गई थी। तब से लगातार डीजल जनरेटर सेट से आपूर्ति की जा रही है। मैंने मेंटेनेंस डिपार्टमेंट में फोन करके जानकारी ली तो वहां से बताया गया है कि एनपीसीएल से आपूर्ति नहीं आ रही है। मेंटेनेंस डिपार्टमेंट का कहना है कि शाम 5:00 बजे तक एनपीसीएल से पावर सप्लाई शुरू होने की उम्मीद है।" गौरव का कहना है कि यह हालात लगातार बने हुए हैं। रोजाना दिन में 10-15 बार बिजली कटती है। जिसके कारण लोगों को वर्क फ्रॉम होम करना भी मुश्किल हो गया है। बिजली जाने के कारण इंटरनेट कनेक्शन बंद हो जाता है। सोसाइटी का पावर बैकअप शुरू होता है तो उसके बाद इंटरनेट कनेक्शन को रिज्यूम होने में कई मिनट का समय लगता है। अक्सर वीडियो कॉल और ऑनलाइन काम प्रभावित हो जाता है।"

ग्रेटर नोएडा वेस्ट के गौर नार्थ एवेन्यू-2 में रहने वाले राहुल ने बताया कि पावर कट होने से ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में काफी परेशानी होती है। वर्क फ्रॉम होम करने वाले लोग वाई-फाई का यूज़ करते हैं। लेकिन बार बार पावरकट होने से वाई फाई बंद हो जाता है। वाई फाई को दोबारा शुरू होने में लगभग 2-3 मिनट लग जाते हैं। जिससे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में रुकावट आ जाती है। उन्होंने बताया कि रोजाना 10 बार लाइन कट हो जाती है।

दूसरी ओर नोएडा पावर कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट पर बिजली कटौती के बारे में कोई सूचना उपलब्ध नहीं करवाई गई है। वेबसाइट पर किसी भी तरह के पावर आउटेज के बारे में सूचना उपलब्ध ना होने की बात लिखी गई है। इस बारे में एनपीसीएल के वाइस प्रेसिडेंट (ऑपरेशन) सारनाथ गांगुली से बात करने के लिए कई बार फोन मिलाया गया लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की। उन्हें एसएमएस और व्हाट्सएप मैसेंजर के माध्यम से पब्लिक के सवाल और पावर सप्लाई में कटौती के बारे में पूछने के लिए मैसेज भेजा गया है। जिसका उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया है।

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