लक्ष्मी विलास बैंक में नोएडा और गाजियाबाद के 10 हजार से ज्यादा खाता धारक, 100 करोड़ फंसे

लक्ष्मी विलास बैंक में नोएडा और गाजियाबाद के 10 हजार से ज्यादा खाता धारक, 100 करोड़ फंसे

लक्ष्मी विलास बैंक में नोएडा और गाजियाबाद के 10 हजार से ज्यादा खाता धारक, 100 करोड़ फंसे

Google Image | लक्ष्मी विलास बैंक

लक्ष्मी विलास बैंक से जुड़े मामले में एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने गुरुवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने संकटग्रस्त लक्ष्मी विलास बैंक के बारे में तेजी से समाधान करने, समस्या को काबू करने और बैंकिंग प्रणाली में स्थिरता बनाए रखने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। दूसरी तरफ नोएडा और गाजियाबाद के करीब 10 हजार से ज्यादा खाता धारक लक्ष्मी विलास बैंक में फंस गए हैं। नोएडा और गाजियाबाद के लोगों के करीब 100 करोड़ लक्ष्मी विलास बैंक में फंस गए हैं।

नोएडा में सेक्टर-16 के बी ब्लॉक में लक्ष्मी विलास बैंक की ब्रांच है। दूसरी ओर गाजियाबाद के नेहरू नगर में ब्रांच है। नोएडा ब्रांच के मैनेजर ने बताया, "शहर में हमारे करीब चार हजार खाताधारक हैं। इनके खातों में करीब 40 करोड़ रूपये हैं। बैंक का मर्जर हो रहा है। आरबीआई ने अभी 25 हजार रुपये से अधिक धनराशि निकालने पर पाबंदी लगाई है। बैंक में हालात सामान्य हैं। उपभोक्ता जानकारी लेने आ रहे हैं। लोगों को 25 हजार रुपये तक धनराशि दी जा रही है।" दूसरी ओर गाजियाबाद शाखा में करीब सात हजार एकाउंट हैं। इन खतों में करीब 60 करोड़ रूपये हैं। इस तरह दोनों शहरों में करीब 10 हजार लोगों के 100 करोड़ रुपये जमा हैं।

डीबीएस लक्ष्मी विलास बैंक में 2,500 करोड़ लगाएगी

आपको बारे दें कि आरबीआई ने लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) का डीबीएस बैंक इंडिया लिमिटेड (डीबीआईएल) के साथ विलय का प्रस्ताव रखा है। इस प्रस्ताव के तहत डीबीआईएल सिंगापुर में स्थित डीबीएस बैंक की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक इकाई बन जाएगा। इसके तहत डीबीएस लक्ष्मी विलास बैंक में 2,500 करोड़ रुपये की पूंजी लगाएगी। एसएंडपी ने कहा कि यह सौदा भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के लिए सकारात्मक है और इससे एलवीबी को बहुप्रतीक्षित राहत मिलेगी।

रेटिंग एजेंसी ने सरकार के कदम को सही बताया है

एसएंडपी ने आगे कहा, ''संकटग्रस्त लक्ष्मी विलास बैंक का तेजी से समाधान करने के आरबीआई के उपायों से समस्या को काबू में करने तथा बैंकिंग प्रणाली में स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी। हमारा मानना है कि आरबीआई ने डीबीआईएल के स्वस्थ बहीखाते और पूंजीकरण को ध्यान में रखा है। अमेरिका में स्थित रेटिंग एजेंसी ने कहा कि उसका हमेशा से मानना है कि भारत सरकार बैंकिंग क्षेत्र के लिए अत्यधिक मददगार है और वहां की सरकार हमेशा कमजोर बैंक का मजबूत बैंक के साथ विलय को बढ़ावा देती है।

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