Google Image | प्रतीकात्मक फोटो
सुबह छाई धुंध से लोगों के आंखों में जलन और खांसी की परेशानी से जूझना पड़ा तेजी से बढ़ रहे प्रदूषण के कारण यह परेशानी पिछले 10 दिन से लोगों को हो रही है। लेकिन बृहस्पतिवार को पूरे दिन छाई धुंध के कारण लोग परेशान दिखाई दिए। इसके अलावा मौसम में हो रहे तेजी से बदलाव के कारण भी लोग वायरल बुखार, जुुकाम की चपेट में आ रहे हैं। इसे लोग कोरोना समझकर जांच करा रहे हैं। इसमें से ढाई से तीन हजार सैंपल जांच के लिए भेजे जा रहे हैं, उसमें से सिर्फ सवा सौ से डेढ़ सौ मरीजों में संक्रमण की पुष्टि हो रही है।
वरिष्ठ फिजीशियन एवं आईएमए अध्यक्ष डा. आशीष अग्रवाल का कहना है कि किसी भी वायरस की वजह से होने वाला बुखार वायरल होता है। यह विशेषकर मौसम बदलने के दौरान होने वाली बीमारी है, जब भी मौसम बदलता है तब तापमान के उतार-चढ़ाव के कारण हमारे शरीर की प्रतिरक्षी तंत्री कमजोर पड़ जाती है और शरीर जल्दी वायरस के संक्रमण में आ जाता है। वायरल बुखार होने के कारण आम तौर पर वायरल फीवर मौसम के बदलने पर प्रतिरक्षा तंत्र के कमजोर होने पर होता है, लेकिन इसके सिवा और भी कारण होते है, जिनके कारण बुखार आता है।
दूषित जल एवं भोजन का सेवन, प्रदूषण के कारण दूषित वायु में मौजूद सूक्ष्म कणों का शरीर के भीतर जाना, रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी, वायरल बुखार हुए रोगी के साथ रहना होता है। वायरल फीवर होने के लक्षण थकावट, खांसी, संक्रामक जुकाम, उल्टी, दस्त जैसे लक्षण देखने को मिलते है और तापमान अधिक होने के कारण डिहाइड्रेशन भी हो सकता है। थकान, पूरे शरीर में दर्द होना, शरीर का तापमान बढऩा, खांसी जोड़ो में दर्द, दस्त, त्वचा के ऊपर रैशेज होना, सर्दी लगना, गले में दर्द, सिर दर्द, आंखों में लाली तथा जलन रहना। उल्टी और दस्त का होना। वायरल बुखार ठीक होने में 5-6 दिन भी लग जाते है।
शुरूआती दिनों में गले में दर्द, थकान, खांसी जैसी समस्या होती प्रदूषण से इस तरह करें बचाव प्रदूषण से बचाव के लिए सुबह के समय घर से बाहर निकलने से बचें अगर बाहर निकलना ही पड़ रहा है तू मास्क लगाकर जाएं और घर वापस आने पर अच्छी तरह से नहा कर ही कुछ खाए पिए। कुछ सावधानियां बरतने यानि जीवनशैली और खान-पान में थोड़ा बदलाव लाकर वायरल की चपेट में आने से बच सकते हैं। खाने में उबली हुई और हरी सब्जियां खाना चाहिए। दूषित पानी एवं भोजन से बचें। पानी को पहले उबाल कर थोड़ा गुनगुना ही पिएं। वायरल बुखार से ग्रस्त रोगी के संपर्क में आने से बचें। मौसम में बदलाव के समय उचित आहार-विहार का पालन करें।
रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाए रखने के लिए आयुर्वेदिक उपचार एवं अच्छी जीवन शैली को अपनाएं। फिजीशियान अंशुल वार्ष्णेय का कहना है कि इसमें हैवी डोज की दवाइयां या एंटीबायोटिक लेने से बचना चाहिए। आराम करने के साथ ही लोगों के संपर्क में आने से बचना चाहिए। खाने-पीने में विशेष सावधानी बरतें। तीन से पांच दिन में बुखार समाप्त हो जाता है। अगर लापरवाही की जाए तो 15 दिन से अधिक भी लग सकते हैं।