नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों ने तैयारी शुरू कर दी है। नई शिक्षा नीति पर 20 से ज्यादा राज्यों ने केंद्र सरकार को सुझाव भेज दिया है। इतने ही राज्यों ने नई शिक्षा नीति का विश्लेषण तथा अध्ययन कर लिया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय भी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए एक समीक्षा समिति और एक कार्यान्वयन समिति का गठन करेगा। हाल ही में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ नई शिक्षा नीति-2020 को लागू करने संबंधी समीक्षा बैठक की थी। उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लेकर उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा की अगुवाई में अब तक कई बार बैठक की जा चुकी है।
शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि ' राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन में राज्य प्रमुख पक्षकार हैं सभी राज्य इस दिशा में कार्य कर रहे हैं। करीब डेढ़ दर्जन राज्यों ने इस दिशा में समिति गठित कर अध्ययन एवं सुझाव तैयार करने का काम लगभग पूरा कर लिया है। इस बीच, केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने सभी पक्षकारों से नीति के कार्यान्वयन को लेकर 25 जनवरी, 2021 तक सुझाव देने की अपील की है। मंत्री ने राष्ट्री य शिक्षा नीति (एनईपी) का शीघ्र कार्यान्व यन सुनिश्चित करने के लिए उच्चा शिक्षा सचिव की अध्यपक्षता में एक समीक्षा समिति तथा एक कार्यान्वईयन समिति गठित करने का सुझाव दिया है। राज्य भी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के बारे में तेजी से काम कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को प्रदेश के शिक्षण संस्थानों में लागू करने के लिये उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में गठित समिति की कई बैठकें हो चुकी हैं। इस संदर्भ में बुनियादी शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, प्राविधिक शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा तथा उच्च शिक्षा विभाग ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लागू करने की दिशा में 150 पृष्ठ की संकलित रिपोर्ट प्रस्तुत की है। उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लागू करने के लिये गठित संचालन समित अब तक 30 बैठकों का आयोजन कर चुकी है। नई नीति के अनुरूप पाठ्यक्रम बनाने का काम किया जा रहा है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लागू करने को लेकर उत्तराखंड सरकार ने कार्य बल का गठन किया था। कार्य बल ने नई नीति के मुताबिक जरूरी बदलावों का अध्ययन किया है और यह अपना सुझाव जल्द पेश करेगा। असम सरकार ने पिछले वर्ष एक अगस्त को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन के लिये 40 सदस्यीय समिति की घोषणा की थी। समिति की कई बैठकें हो चुकी हैं और रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा है। अक्तूबर महीने में ओडिशा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का अध्ययन करने और सुझाव देने के लिये छह उप समितियों और एक कार्यबल का गठन किया था। राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री शाश्वत मिश्रा ने हाल में संवाददाताओं को कहा था कि समितियों ने अपनी सिफारिशें दे दी हैं।
कर्नाटक में पूर्व मुख्य सचिव एस पी रंगनाथ की अध्यक्षता वाले कार्यबल ने राज्य में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन पर विचार करने के बाद मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा को रिपोर्ट सौंप दी है। समिति ने प्रदेश सरकार को राज्यभर में विशेष शिक्षा क्षेत्र स्थापित करने का सुझाव दिया है। पश्चिम बंगाल, केरल, मेघालय ने भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने पर विचार करने के लिये समिति का गठन किया था। पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, दिल्ली, झारखंड सहित कुछ राज्यों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर कुछ सवाल उठाये हैं। गोवा सरकार ने भी नई नीति पर विचार करने के लिये उपसमितियों का गठन किया था। इस संबंध में रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
बताते चलें कि पिछले साल 19 सितंबर को मंत्रालय ने सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों एवं केंद्रीय उच्च शैक्षणिक संस्थानों के निदेशकों की ''विजिटर्स कांफ्रेंस'' आयोजित की थी। सितंबर महीने में ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर राज्यपालों का सम्मेलन आयोजित किया गया था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके उद्घाटन सत्र को संबोधित किया था। नई नीति के तहत सबसे पहले राष्ट्रीय पाठ्यचर्या (करिक्यूलम) ढांचे पर काम शुरू होगा। उसके बाद राज्य पाठ्यचर्या ढांचे पर काम किया जायेगा। इसके बाद केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, केंद्रीय विद्यालय, जवाहर नवोदय विद्यालय में सुधार का काम किया जायेगा। एनसीईआरटी पुस्तकों को फिर से डिजाइन करने का काम वर्ष 2021-24 के दौरान तीन चरणों में किया जायेगा। शिक्षक प्रशिक्षण एवं पाठ्यचर्या का कार्य 2021-24 के दौरान किया जाएगा।