राष्ट्रीय लोक दल के अस्तित्व को खतरा, जानिए कैसे

राष्ट्रीय लोक दल के अस्तित्व को खतरा, जानिए कैसे

राष्ट्रीय लोक दल के अस्तित्व को खतरा, जानिए कैसे

Google Image | राष्ट्रीय लोक दल

कभी राष्ट्रीय लोक दल का नाम क्षेत्र में ऐसा था कि पार्टी से जुड़े पदाधिकारी ही नहीं देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह अजीत सिंह के मामूली कार्यकर्ताओं तक को सरकारी अधिकारी इतनी तवज्जो देते थे कि लोक दल वाले ने जो काम बता दिया वह होता था। चौधरी अजीत सिंह ने क्षेत्र में विशेष दिलचस्पी दिखाई थी। 

आज हालात बिल्कुल उल्टे हो गए हैं, कुछ नामों को छोड़कर बाकी लोक दल वाले फूल की शरण में पहुंच चुके हैं। आम लोगों को अब यह भी ठीक से पता नहीं है कि राष्ट्रीय लोक दल का नेता कौन-कौन है। कहने के लिए तो बहुत से लोग अभी भी अपने को लोकदल का सिपाही कहते हैं। लेकिन वह कभी-कभी नाम मात्र के लिए कहीं दिखलाई देते हैं। 

जिन लोगों ने राष्ट्रीय लोक दल के नेताओं द्वारा अपनी समस्याओं का निराकरण कराया था। वह आज भी कहते हैं कि काश अब भी पार्टी का कोई सिपाही क्षेत्र में ऐसा होता जिससे वह अपने दुख दर्द दूर करा लेते। हालांकि इस सरकार में खुद सत्ताधारी पार्टी के पदाधिकारी विधायक तक अधिकारियों द्वारा सुनवाई न किए जाने के दर्द से दो चार है। लेकिन लोकदल का सरकारी मशीनरी पर इतना असर होता था कि सत्ता से दूर होने के बावजूद उनके जायज कार्यों को करने के लिए किसी अधिकारी की हिम्मत नहीं होती थी। लेकिन अब औरों के दुख दर्द दूर कराने वाली पार्टी कहां खो गई लोग उसे अभी भी ढूंढ रहे हैं। क्षेत्र चौधरी अजीत सिंह के क्षेत्र का महत्वपूर्ण भाग है। वहां पार्टी का लापता होना भविष्य के लिए अच्छे संकेत नहीं है। 

पार्टी का परंपरागत मतदाता जाट बड़ी संख्या में सत्ताधारी दल की ओर आकर्षित है। समाज के कुछ बुजुर्ग चौधरी चरण सिंह अजीत सिंह को याद करते हैं। लेकिन युवा वर्ग शायद राष्ट्रीय लोक दल की महत्वता से अनभिज्ञ है। यही कारण है कि इस क्षेत्र में पार्टी लगातार क्षीण होती जा रही है। ग्राम पंचायतों के चुनावों का चर्चा शुरू हो चुका है। पार्टियां ग्राम पंचायत चुनावों में पार्टियों के चुनाव चिन्हों पर प्रत्याशियों को उतारेंगे ऐसी स्थिति में लोकदल को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। 

राष्ट्रीय लोक दल किसान मजदूर अल्पसंख्यकों की पार्टी मानी जाती थी लेकिन वही वर्ग अब छिटक गया है। क्योंकि किसान कुछ जातिगत प्रत्याशियों में बंट जाता है। मुस्लिम भाजपा को हराने वाले की तलाश करता है। वह तलाश भी उन्हें फिलहाल पार्टी में दिखलाई नहीं दे रही पार्टी का जनाधार पूरी तरह से इधर उधर हो चुका है। युवा वर्ग उस और देख नहीं रहा जो कुछ पुराने समय के नेता थे वह अब लोगों से दूर हो गए हैं। पार्टी आलाकमान भी इस और ध्यान नहीं दे रहा। लेकिन आने वाला समय महत्वपूर्ण है। यदि ग्राम पंचायत स्तर के चुनाव पार्टी प्रत्याशियों को सिंबल पर मैदान में उतारा गया तो शायद लोकदल बहुत पीछे रह सकती है। 

आवश्यकता है कि स्थानीय कार्यकर्ता नेता घरों से निकले जनता के बीच पहुंचे, उनके सुख दुख में शामिल हो और हाईकमान को भी इस ओर ध्यान देते हुए किसी मजबूत कार्यकर्ता को जिम्मेदारी देनी चाहिए। अभी भी चौधरी चरण सिंह अजीत सिंह और उनकी पार्टी को चाहने वालों की कमी नहीं है। आवश्यकता है उन्हें उचित मंच मिले नेता भी ऐसा हो जो लोगों की समस्याएं दूर हो या न हो कम से कम अपने प्रयास तो करें आम जनता भी उसी नेता को पसंद करती है। जो उनके सुख दुख में उनके बीच में हो इस बारे में राष्ट्रीय लोक दल युवा के मेरठ मंडल महासचिव असलम खान ने बताया कि पार्टी स्तर से मिले। कार्यक्रमों को सफल बनाने का प्रयास किया जाता है। आने वाले समय के लिए पार्टी आलाकमान का कोई संदेश मिलने के बाद नई रणनीति बनाई जाएगी।
 

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