Tricity Today | नोएडा का औद्योगिक क्षेत्र
शहर के औद्योगिक क्षेत्रों में कंपनी और फैक्ट्रियों के लिए आवंटित भूखंडों पर बड़ी संख्या में लोग घर बनाकर रह रहे हैं। पूर्व में इन भूखंडों पर कंपनी और फैक्ट्रियों का निर्माण किया गया था, लेकिन अब बड़ी संख्या में फैक्ट्रियां बन्द हो चुकी हैं। वहां घरों के तौर पर इनका इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसे तमाम आवंटन का पता लगाने के लिए विकास प्राधिकरण ने एक बड़ी मुहिम शुरू की है। इन मंत्रियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
शहर में सेक्टर 1, 2, 3, 4, 5 और 6 पूरी तरह औद्योगिक सेक्टर है। यहां चल रही फैक्ट्री और कंपनियां बड़ी संख्या में बंद हो चुकी हैं। इमारतों का अलग-अलग तरह से इस्तेमाल किया जा रहा है। कहीं कमर्शियल उपयोग में फैक्ट्री और कंपनी की इमारत उपयोग हो रही है। बड़ी संख्या में आवंटियों ने अपने घर बना लिए हैं। घर बनाकर किराए पर दे रखे हैं। ऑफिस खोल लिए हैं। किराए पर ऑफिस भी चल रहे हैं। यह सारी गतिविधियां नाजायज हैं। औद्योगिक श्रेणी में आवंटित भूखंडों पर किसी भी तरह की आवासीय, वाणिज्यिक और संस्थागत गतिविधि अनुमन्य नहीं है। विकास प्राधिकरण के बिल्डिंग बाइलॉज के मुताबिक औद्योगिक भूखंडों पर केवल निर्धारित गतिविधियां संचालित की जा सकती हैं।
पहले भी कई बार उठ चुका है यह मुद्दा
यह कोई नया मामला नहीं है। करीब एक दशक से बार-बार यह मामला उठता रहा है। बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी की सरकारों के कार्यकाल में विकास प्राधिकरण ने इन भूखंडों के कन्वर्जन की योजना लाने पर काम शुरू किया था। विकास प्राधिकरण का मानना था कि इससे राजस्व की प्राप्ति होगी। दूसरी ओर अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाई जा सकेगी। लेकिन कानूनी दांवपेच और तमाम दूसरी तरह की समस्याओं के चलते ऐसा नहीं हो सका। दरअसल, औद्योगिक भूखंडों पर दूसरी गतिविधियां संचालित करने के खिलाफ शहर के बिल्डरों ने विकास प्राधिकरण पर दबाव बनाया था। बिल्डरों का मानना है कि अगर औद्योगिक भूखंडों का कन्वर्जन शहर में किया गया तो उनकी प्रॉपर्टी खरीदने वाला कोई नहीं मिलेगा। लिहाजा, इस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। दूसरी ओर औद्योगिक भूखंडों पर गैर अनुमन्य गतिविधियां बदस्तूर जारी हैं।
अब सेक्टर-11 में हुए हादसे से मामला फिर तूल पकड़ गया
शुक्रवार की रात शहर के सेक्टर-11 में एक इंडस्ट्रियल भूखंड पर चल रहा निर्माण ढह गया था। विकास प्राधिकरण ने इस मामले की जांच-पड़ताल शुरू की। पता चला कि भूखंड में तमाम तरह की दूसरी गतिविधियां भी संचालित हो रही थीं। इस हादसे में 2 लोगों की मौत हो गई और 3 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। जानकारी सामने आने के बाद नोएडा विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ऋतु महेश्वरी ने जांच करने के लिए तीन अफसरों की एक कमेटी का गठन किया है। अधिकारियों की यह कमेटी अगले 1 सप्ताह में रिपोर्ट पेश करेगी।
विकास प्राधिकरण कुछ जरूरी कदम उठा सकता है
ऋतु महेश्वरी ने जांच समिति में प्राधिकरण के विशेष कार्य अधिकारी अविनाश त्रिपाठी, महाप्रबंधक राजीव त्यागी और चीफ आर्किटेक्ट प्लानर सुधीर कुमार को शामिल किया है। आने वाले शुक्रवार तक इन तीनों अधिकारियों को अपनी जांच रिपोर्ट मुख्य कार्यपालक अधिकारी को देनी है। विकास प्राधिकरण से जानकारी मिली है कि औद्योगिक भूखंडों में चल रही गैर अनुमन्य गतिविधियों पर नियंत्रण करने के लिए एक विस्तृत कार्य योजना तैयार की जा रही है। जिस पर जल्दी ही अमल शुरू हो सकता है। आने वाले दिनों में विकास प्राधिकरण भूखंडों पर निर्माण के लिए पास किए गए नक्शों का सख्ती से पालन करवाएगा। गैर जरूरी निर्माण की जांच की जाएगी। अगर निर्माण मानकों के मुताबिक नहीं होगा तो उसे तोड़ा जाएगा। गैर जरूरी निर्माण भी तोड़ा जाएगा। अगर किसी भूखंड पर कंपाउंडिंग लायक निर्माण किया गया है तो विकास प्राधिकरण आवंटी से जुर्माना वसूल करके अतिरिक्त निर्माण को वैध घोषित करेगा।
प्राधिकरण से पास करवाए नक्शे का पालन न करना आम बात हुई
भूखंड आवंटी को निर्माण करने के लिए तय मानकों पर भवन का नक्शा बिल्डिंग बाइलॉज के मुताबिक पास करवाना होता है। अब शहर में यह आम चलन बन गया है कि लोग भूखंडों पर अनाप-शनाप ढंग से निर्माण कर रहे हैं। निर्माण करने के लिए प्राधिकरण से पास करवाए गए नक्शों का पूरी तरह पालन नहीं किया जाता है। भवन की ऊंचाई, ग्राउंड कवरेज, बेसमेंट, छज्जे, रैंप, दरवाजों की संख्या, चारदीवारी की ऊंचाई और दरवाजे की चौड़ाई जैसे मानकों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिसकी वजह से अवैध निर्माण को बढ़ावा मिल रहा है। शहर की खूबसूरती भी खराब हो रही है।