बड़ा खुलासा: नोएडा पुलिस ने पकड़े 2 अवैध टेलिकॉम एक्सचेंज, जालसाजों और बड़े अपराधियों की मदद का शक

बड़ा खुलासा: नोएडा पुलिस ने पकड़े 2 अवैध टेलिकॉम एक्सचेंज, जालसाजों और बड़े अपराधियों की मदद का शक

बड़ा खुलासा: नोएडा पुलिस ने पकड़े 2 अवैध टेलिकॉम एक्सचेंज, जालसाजों और बड़े अपराधियों की मदद का शक

Noida Police | नोएडा पुलिस ने पकड़े अवैध टेलिकॉम एक्सचेंज

नोएडा में अवैध टेलीकाॅम एक्सचेंज का पुलिस ने खुलासा किया है। एक गैंग बाकायदा इस अवैध गतिविधि में लगा था। इससे न केवल ठगी को अंजाम देने वाले जालसाज साफ बच निकलते हैं, बल्कि बड़ी आपराधिक वारदातों को अंजाम देने में यह टेलीकॉम एक्सचेंज इस्तेमाल किया जा सकता है। दूरसंचार विभाग की शिकायत पर नोएडा पुलिस ने सोमवार को सेक्टर-2 और सेक्टर-8 में चल रहे दो फर्जी कॉल सेंटरों को सील कर दिया है। पुलिस ने इसके संचालक को गिरफ्तार कर लिया है। नोएडा पुलिस मामले की छानबीन में जुट गई है।

कैसे चलता है यह गोरखधंधा

पुलिस और टेलीकम्युनिकेशन के विशेषज्ञों का कहना है कि इसके लिए टेलीकॉम सैटअप बनाया जाता है। इस सिस्टम के माध्यम से वैध टेलीफोन कॉल गेटवे (भारत सरकार से लाइसेंस शुदा) को दरकिनार कर दिया जाता है। इसके बाद भारतीय टेलीफोन नंबरों पर अन्तराष्ट्रीय वाॅयस काल को ट्रांसफर कर देते हैं। इन कॉल सेंटर या एक्सचेंज में ऐप बेस्ड कॉलिंग फर्जी गेटवे के माध्यम से की जाती हैं। बड़ी समस्या यह है कि इस तरह की कॉल्स का रिकॉर्ड भारत सरकार के पास नहीं होता है। 

जालसाज और बड़े अपराधी ऐसे टेलीकॉम गेटवे इस्तेमाल करते हैं

संगठित बड़े अपराधी और संगठित आर्थिक अपराध को अंजाम देने वाले गैंग इस तरह के टेलीकॉम गेटवे का इस्तेमाल करते हैं। लोगों को भारत में ही बैठकर कॉल की जाती हैं। उनके मोबाइल पर पहुंचने वाले नंबर यूरोप अमेरिका और एशिया के दूसरे मुल्कों के दिखाई देते हैं। कॉल डिटेल और कॉल बुक में भी विदेशी नंबर ही दर्ज होते हैं। इससे अपराधी की पहचान और उसकी ओर से इस्तेमाल किए गए मोबाइल या लैंडलाइन नंबर का पता पुलिस को नहीं चल पाता है। कोई बड़ा अपराध होने पर अगर पुलिसिया जांच एजेंसी इन नंबरों को पकड़ने की कोशिश करती है तो कुछ हाथ नहीं लगता है। इस एक्सचेंज की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आतंकी संगठन भी इसी तरह के कॉल गेटवे का इस्तेमाल करते हैं।

नोएडा पुलिस ने क्या-क्या बरामद किया

नोएडा पुलिस ने मौके से काफी संख्या में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बरामद किए हैं। नोएडा जोन के डीसीपी संकल्प शर्मा ने बताया कि पुलिस की टीम ने मौके से टेलीकाॅम सैटअप और दस्तावेज बरामद किए हैं। मौके से 2 लैपटाॅप, 2 एसआईपी सर्वर, 2 अन्य सर्वर, 4 सीपीयू, 4 राउटर, 6 स्विच, 1 एसआईपी ट्रंक डिवाईस, 12 वीओआईपी डायलर, 1 लैंडलाईन फोन, 2 जी-पाॅन ओएनटी, 2 स्पैक्ट्रा नैट डिवाईस बरामद किये गए हैं।

रैकेट तक कैसे पहुंची नोएडा पुलिस

नोएडा पुलिस के डीसीपी संकल्प शर्मा ने बताया कि दूरसंचार विभाग के सहायक महानिदेशक कमल देव त्रिपाठी, सहायक मंडल अभियंता अंकित शुक्ला और सहायक निदेशक जियाउर्रहमान से पुलिस को इनपुट मिला था कि नोएडा में दो स्थानों पर एक फर्जी कॉल सेंटर चल रहा है। यह कॉल सेंटर फर्जी गेटवे बनाकर भारतीय टेलीफोन नंबरों पर अंतरराष्ट्रीय वॉइस कॉल ट्रांसफर कर रहा है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। क्योंकि इस कॉलिंग का डाटा भारत सरकार के पास नहीं होता है। इससे भारत सरकार और दूरसंचार विभाग को काफी आर्थिक नुकसान भी हुआ है। 

सोमवार की दोपहर पुलिस ने छापेमारी की

दूरसंचार विभाग से मिले इनपुट के बाद नोएडा पुलिस की टीम ने सोमवार को सेक्टर-2 के मकान नम्बर ए-44 2 सेक्टर-8 के मकान नम्बर ई-14 में छापेमारी की। वहां से इस नेटवर्क का संचालक शकरपुर दिल्ली का निवासी सुमित कुमार गिरफ्तार किया गया है। यह आरोपी अवैध टेलीकाॅम सैटअप बनाकर अपने सिस्टम के माध्यम से भारतीय टेलीफोन नंबरों पर अन्तराष्ट्रीय वाॅयस काल को स्थानान्तरित कर रहा था। अवैध रूप से लाभ प्राप्त कर रहा था। 

पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया और आरोपी को जेल भेजा

आरोपी के खिलाफ धोखाधड़ी और भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885 के तहत मुकदमा पंजीकृत किया गया है। पुलिस ने बताया कि फर्जी टेलीकॉम एक्सचेंज चला रहे सुमित कुमार को गिरफ्तार करके जिला अदालत के सामने पेश किया गया। कोर्ट ने उसके अपराध की गंभीरता को देखते हुए 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। जल्दी ही पुलिस उसे रिमांड पर लेगी और उसके गैंग के बाकी सदस्यों को भी गिरफ्तार किया जाएगा। पुलिस का मानना है कि इस गैंग में और भी लोग शामिल हैं। पुलिस यह भी जांच पड़ताल कर रही है कि इस अवैध टेलीकॉम एक्सचेंज के जरिए किस तरह की वॉइस कॉल ट्रांसफर की गई हैं।

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