Tricity Today | नोएडा में दिनभर चली श्रमिक संगठनों की हड़ताल
केंद्र सरकार की नीतियों और नए कानूनों के खिलाफ गुरुवार को श्रमिक संगठनों ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल का ऐलान किया था। जिसके मद्देनजर नोएडा में भी श्रमिक संगठनों ने हड़ताल की, प्रदर्शन किया और मार्च निकाला। इस दौरान श्रमिक नेताओं ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। इन लोगों ने कहा कि मोदी सरकार कॉरपोरेट की कठपुतली है। श्रमिकों और किसानों को कॉरपोरेट के हाथों बेचने के लिए देश में बड़ी साजिश रची जा रही है। अगर केंद्र सरकार को मिलकर नहीं रोका गया तो वह दिन दूर नहीं जब देश आर्थिक गुलाम हो जाएगा। श्रमिकों और किसानों के अधिकारों का हनन किया जा रहा है। पिछले 100 वर्षों के दौरान संघर्ष करके जो उपलब्धियां हासिल की थीं, उन्हें यह सरकार एक झटके में खत्म कर रही है।
सीटू के जिलाध्यक्ष गंगेश्वर शर्मा ने श्रमिकों को सम्बोधित करते हुए कहा, सरकार की गलत नीतियों के कारण आज मजदूर, कर्मचारी, मेहनतकश वर्ग, देश के अन्नदाता और फुटकर व्यापारी सबसे ज्यादा शिकार हुए हैं। केन्द्र सरकार ने श्रमिकों से जुड़ी संहिता बनाई जो लोकसभा और राज्यसभा में पारित हो चुकी हैं। इनके लागू होते ही पुराने श्रम कानून खत्म हो जायेंगे। इन संहिता में फिक्स टर्म कर्मचारी लाकर परमानेन्ट नौकरी को खत्म कर दिया है। अब फिक्स समय के एग्रीमेंट से नौकरी मिलेगी। कम्पनी वाले कभी भी निकाल सकते हैं और इनके लिए एग्रीमेंट और ट्रेड यूनियन का तो सवाल ही नहीं उठता है। कर्मचारियों की नौकरी की सुरक्षा खत्म कर दी गई हैं।
गंगेश्वर शर्मा ने कहा, नौजवान पीढ़ी का वर्तमान और भविष्य दोनों ही बर्बाद कर दिए हैं। कारखानों में असहनीय शोषण, दमन और अत्याचार बढ़ गया है। गुलामों की तरह व्यवहार होने लगा है। हर बात पर नौकरी से भगाने की धमकी और ज्यादा घंटे तक काम कराने को मजबूर करना आम बात हो गई हैं। इस सरकार ने मेहनतकश वर्ग के 100 सालों के संघर्ष में पाये अधिकारों को खत्म कर दिया है। इन नई संहिताओ से असंगठित क्षेत्र में श्रमिकों, निर्माण मजदूर, खेत मजदूर, स्कीम वर्कर (आशा ऊषा, ऑगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका और मध्याह्न भोजन कर्मी), ट्रांसपोर्ट कर्मी, ड्राइवर कन्डेक्टर क्लीनर, मैकेनिक कई क्षेत्र के श्रमिकों को श्रमिक की परिभाषा से बाहर करने की साजिश चल रही है।
उन्होंने आगे कहा, "इसी आधार पर इनके कल्याण वोर्डो को भी खत्म करने की तैयारी है। सभी मेहनतकश वर्ग पर जबरदस्त हमला किया गया। इससे देशी-विदेशी कॉर्पोरेट कंपनियों का भारी मुनाफा बढ़ गया है। किसानों के बारे में दो कानून बनाये गये हैं। दो कानूनों में संशोधन करके किसानों को देशी-विदेशी कंपनियों को लूटने के लिए छोड़ दिया है। जिसके विरोध किसान संगठन 26-27 नवम्बर को देशव्यापी आन्दोलन कर रहे हैं। इस नीति से देशी-विदेशी कॉर्पोरेट को भारी फायदा होगा।
श्रमिक नेताओं ने कहा, "100 फीसदी FDI करने के बाद हमारे देश में देशी विदेशी कंपनियों का बड़ा जाल बन गया है। ऑनलाइन मार्केटिंग ने फुटकर व्यापार के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है। आज फुटकर व्यापारियों के व्यवसाय कमजोर पड़ गए हैं। आगे और बुरी दुर्दशा होना सुनिश्चित है। मगर व्यापारी वर्ग अब भी सरकार के खिलाफ आन्दोलन करने से डर रहा है। मगर सब कुछ बर्बाद करने के बाद जागने पर बड़ा नुकसान हो जाएगा। इससे देशी विदेशी कॉर्पोरेट कंपनी भारी मुनाफा कमा रही हैं।
प्रदर्शन के दौरान इन लोगों ने कहा कि यह सब करने के बाद भी देश के सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों, रेलवे, बैंक, बीमा, हथियार बनाने वाली कंपनी, हवाई अड्डे, लोहे, ऑयल रिफाइनरी, बिजली, पानी, सड़क सब कुछ देशी विदेशी कंपनियों को बेचना जारी है। ये देश के सारे संसाधनों पर देशी विदेशी पूंजीपतियों का कब्जा करवाकर देश को आर्थिक रूप से गुलाम बनाने की साजिश कर रहे हैं। देशी विदेशी पूंजीपति भारी मुनाफा कमाकर विदेशों में भारी धन लूट ले जा रहे हैं।
इसके साथ सर्विस सेक्टर में शिक्षा, स्वास्थ्य की सरकारी व्यवस्था को नष्ट करके, निजीकरण करके देशी विदेशी कंपनियों को सौंप रहे हैं। जिससे शिक्षा और स्वास्थ्य आम आदमी की पहुंच से बाहर निकल गए हैं। इसमें ये कंपनी भारी लूट कर रही हैं।
गंगेश्वर शर्मा ने कहा, इस परिस्थिति को बदलने के लिए संघर्ष के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इन गलत नीतियों को बदलने के लिए और सरकार को रोकने के लिए आज देश की सभी ट्रेड यूनियन संगठनों ने देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है।
ज्ञापन के जरिए ये मांग रखी गई हैं