उत्तर प्रदेश : अब किसान विकास प्राधिकरण की तरह अपनी जमीन पर इंडस्ट्री, मॉल्स और ग्रुप हाउसिंग योजनाएं ला सकेंगे, पढ़िए पूरी खबर

उत्तर प्रदेश : अब किसान विकास प्राधिकरण की तरह अपनी जमीन पर इंडस्ट्री, मॉल्स और ग्रुप हाउसिंग योजनाएं ला सकेंगे, पढ़िए पूरी खबर

उत्तर प्रदेश : अब किसान विकास प्राधिकरण की तरह अपनी जमीन पर इंडस्ट्री, मॉल्स और ग्रुप हाउसिंग योजनाएं ला सकेंगे, पढ़िए पूरी खबर

Google Image | अब किसान विकास प्राधिकरण की तरह अपनी जमीन पर इंडस्ट्री, मॉल्स और ग्रुप हाउसिंग योजनाएं ला सकेंगे

उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए बड़ी खबर है। दशकों से चली आ रही किसानों की मांग अब सरकार ने पूरी की है। इसका सबसे बड़ा लाभ गौतमबुद्ध नगर के किसानों को मिलने वाला है। अब किसान भी विकास प्राधिकरण की तरह अपनी जमीन पर खुद मॉल, उद्योग और ग्रुप हाउसिंग योजनाएं ला सकेंगे। यह रास्ता प्रदेश सरकार की लैंड पूलिंग नीति से खुला है। विकास प्राधिकरण किसान से जमीन लेंगे और विकसित करने के बाद उन्हें 50 प्रतिशत जमीन वापस करेंगे। मिश्रित भू-उपयोग की इस जमीन का किसान अपने हिसाब से प्रयोग कर सकेंगे। इस योजना का मकसद किसानों को विकास में भागीदार बनाना है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने लैंड पूलिंग नीति को मंजूरी दे दी है। अब किसी परियोजना के लिए किसानों से जमीन लेने का एक विकल्प और बढ़ गया है। अभी तक अधिग्रहण और किसानों से सीधे जमीन खरीदी जाती रही है। लेकिन अब जमीन लेते समय किसानों को लैंड पूलिंग का भी विकल्प दिया जाएगा। कई राज्यों में यह विकल्प चल रहा है और किसान इसमें शामिल भी हो रहे हैं। इस योजना का लाभ अब गौतम बुद्ध नगर जनपद के किसानों को भी मिल सकता है।

किसान इस तरह लेंगे इस योजना का लाभ

लैंड पूलिंग योजना 25 एकड़ जमीन पर लागू होगी। यह जमीन एक या कई किसानों की हो सकती है। इस जमीन को प्राधिकरण लेकर पहले विकसित करेगा। विकसित जमीन का 50 प्रतिशत किसानों को वापस दे दिया जाएगा। इस जमीन का इस्तेमाल किसान अपने हिसाब से कर सकेगा। इसका वह औद्योगिक, व्यावसायिक व ग्रुप हाउसिंग में इस्तेमाल कर सकता है। यही नहीं किसान अपने हिसाब से जमीन को बेच सकता है। किसानों की सहमित के बाद इस विकल्प को चुना जाएगा।

अगर किसानों की जमीन नहीं बिकती है तो प्राधिकरण खरीद लेगा

अगर किसानों की जमीन नहीं बिकती है तो पांच साल बाद प्राधिकरण जमीन खरीदेगा। किसानों की जमीन प्रति वर्ष कितनी खरीदी जानी है, इसका प्रतिशत तय होगा। यह जमीन प्राधिकरण अपनी दर पर खरीदेगा। अगर बाजार में जमीन नहीं बिकती है तो प्राधिकरण उनकी इस समस्या का भी समाधान करेगा।

किसानों को मिश्रित भू-उपयोग मिलेगा

  • प्रकार                              प्रयोग का प्रतिशत
  • औद्योगिक                            80
  • ग्रुप हाउसिंग                          12
  • व्यावसायिक                          08

 
किसानों को ये लाभ मिलेंगे 

  1. -योजना के लिए किसानों और प्राधिकरण के बीच रजिस्टर्ड अनुबंध हेागा।
  2. -इस योजना के तहत जिस दिन किसान की जमीन प्राधिकरण ले लेगा, उस दिन से और विकसित जमीन लौटाने तक किसानों को प्रति एकड़ 5 हजार रुपये हर महीने प्राधिकरण देगा।
  3. -जमीन को विकसित करने में जो भी खर्च आएगा, उसका वहन प्राधिकरण ही करेगा।
  4. -नक्शा और भू उपयोग के नियम प्राधिकरण के ही लागू होंगे।
  5. -विकसित जमीन को बेचने के समय किसानों को स्थानांतरण शुल्क नहीं देना होगा।

यमुना एक्सप्रेस वे  प्राधिकरण अपनाएगा यह नीति

यमुना प्राधिकरण आगामी बोर्ड बैठक में इस प्रस्ताव को रखेगा। प्रस्ताव को अपने प्राधिकरण क्षेत्र में लागू करेगा। इसके बाद जमीन लेते समय किसानों को यह भी विकल्प दिया जाएगा। यह किसानों पर निर्भर करेगा कि योजना को अपनाते हैं या नहीं। हालांकि अफसरों का कहना है कि किसानों से सीधे जमीन खरीद व अधिग्रहण से डेढ़ से दो गुना अधिक लाभ मिलेगा।

इस बारे में यमुना प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. अरुणवीर सिंह, सीईओ का कहना है विकास योजनाओं में किसानों को भागीदार बनाने के लिए यह योजना सरकार लाई है। लैंड पूलिंग योजना किसानों की सहमति से लागू होगी। अब जमीन देने के किसानों के पास तीन विकल्प होंगे। वह अपनी पंसद से विकल्प चुन सकेंगे।

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