BIG NEWS: गौतमबुद्ध नगर में कोरोना से केवल 40 लोगों की जान गईं, इसके तनाव में 115 ने आत्महत्या कर लीं

BIG NEWS: गौतमबुद्ध नगर में कोरोना से केवल 40 लोगों की जान गईं, इसके तनाव में 115 ने आत्महत्या कर लीं

BIG NEWS: गौतमबुद्ध नगर में कोरोना से केवल 40 लोगों की जान गईं, इसके तनाव में 115 ने आत्महत्या कर लीं

Social Media | प्रतीकात्मक फोटो

कोरोना वायरस कम और इसका तनाव ज्यादा लोगों की जान ले रहा है। नोएडा में पहला कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज 8 मार्च को मिला था। तब से अब तक गौतमबुद्ध नगर जिले में संक्रमण के कारण 40 लोगों की जान गई हैं। दूसरी ओर इसके तनाव की वजह से 115 लोगों ने आत्महत्या कर ली हैं। दूसरी ओर विशेषज्ञों का कहना है कि यह कोरोना का ही दबाव है।

नोएडा, ग्रेटर नोएडा, ग्रेटर नोएडा वेस्ट और बाकी देहात में रविवार की शाम 3 बजे तक 4,748 लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। जिनमें से 40 लोगों की इस बीमारी के कारण मौत हो गई हैं। दूसरी ओर रविवार तक जिले में 40 लोगों की महामारी के कारण मौत हुई हैं। दूसरी ओर कोरोना संक्रमण के कारण 23 मार्च को देशभर में लॉकडाउन लागू कर दिया गया। इससे गौतमबुद्ध नगर भी पूरी तरह बन्द हो गया। जिसकी वजह से बड़ी संख्या में लोग अवसाद का शिकार हो रहे हैं। अवसाद का ही असर है कि अब तक गौतमबुद्ध नगर जिले में 115 लोगों ने आत्महत्या की हैं।

नोएडा में 2 दिन में 4 लोगों ने आत्महत्या की

नोएडा में 24 जुलाई और 25 जुलाई को 4 लोगों ने आत्महत्या की हैं। इनमें एक युवती भी शामिल है। युवती ने सुसाइड नोट लिखा है। जिसमें उसने लिखा कि वह अपनी मां के लिए खाने का भी इंतजाम करने में सक्षम नहीं है। युवती केवल हाई स्कूल पास थी और कोरोना वायरस के बाद लागू हुए लॉकडाउन में उसकी नौकरी चली गई थी। पिछले करीब 2 महीने से वह नौकरी की तलाश में जुटी हुई थी, लेकिन नौकरी नहीं मिली। अंततः उसने गुरुवार को आत्महत्या कर ली। इसके अलावा शहर में अलग-अलग जगहों पर तीन और लोगों ने आत्महत्या की हैं। इनकी आत्महत्या के कारण भी नौकरी चले जाना और आर्थिक तंगी है।

लॉकडाउन पीरियड में 160 लोगों ने सुसाइड की कोशिश की

पुलिस कंट्रोल रूम के मुताबिक 24 मार्च 2020 को लॉकडाउन लागू हुआ और 30 जून 2020 को खत्म हुआ। इस अवधि के दौरान डायल-112 को गौतमबुद्ध नगर से 160 कॉल मिली हैं, जिनके कॉलर ने आत्महत्या का प्रयास किया था। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर इन लोगों की जान बचाई है। दूसरी और अगर 01 जनवरी 2020 से 23 मार्च 2020 तक आत्महत्या के प्रयास का आंकड़ा देखें तो इस तरह की केवल 137 कॉल पुलिस कंट्रोल रूम को मिली थीं।

लॉकडाउन में आत्महत्या बड़ी चुनौती साबित हुई है

इसमें कोई दो राय नहीं है कि लॉकडाउन बेहद चुनौती भरा रहा है। आम आदमी के साथ-साथ पुलिस ने भी बड़ी परेशानियों का सामना किया है। लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने आत्महत्या की हैं। जिनके पीछे मुख्य वजह नौकरी चले जाना, कामकाज डूब जाना, आर्थिक तंगी और अवसाद हैं। ऐसे में लोगों को आजीविका चलाने के लिए जरूरत के हिसाब से छोटे-छोटे काम शुरू कर देना चाहिए। खुद को व्यस्त रखने की कोशिश करनी चाहिए। अपनी बात दूसरों को बताएं और ज्यादा परेशानी होने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने भी लोगों की इस तरह की समस्या का समाधान करने के लिए ग्रेटर नोएडा नॉलेज पार्क में काउंसलिंग सेंटर स्थापित किया है। लोग वहां संपर्क कर सकते हैं।

गौतमबुद्ध यूनिवर्सिटी के काउंसलिंग सेंटर से संपर्क करें

लॉकडाउन का बुरा असर देखने के लिए मिलेगा, यह बात विशेषज्ञों को शुरू से ही मालूम थी। इस बात का ध्यान रखते हुए गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय में एक 24 घंटे का सलाह केंद्र स्थापित कर दिया गया था। जिसमें मानसिक रूप से परेशान लोगों की काउंसलिंग करने के लिए 10 विशेषज्ञों की नियुक्ति की गई है। इस केंद्र के मुखिया प्रोफेसर आनंद प्रताप सिंह ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उनके केंद्र ने करीब 10 हजार लोगों की काउंसलिंग की है। गौतमबुद्ध नगर ही नहीं पूरे दिल्ली-एनसीआर और देश के तमाम हिस्सों से उन्हें कॉल करके लोगों ने सलाह ली है।

आनंद प्रताप सिंह ने बताया, "हम लोगों ने फोन कॉल और वीडियो कॉल के जरिए लोगों से बातचीत की। कई-कई दौर की बातचीत लोगों से की गई हैं। लॉकडाउन के कारण हुए नुकसान के चलते लोगों में आत्महत्या करने की टेंडेंसी बहुत तेजी के साथ बढ़ी थी। सबसे ज्यादा परेशानी आर्थिक संकट के कारण हो रही है। नौकरी चले जाना लोगों की सबसे बड़ी समस्या बन गई है। लेकिन इसका समाधान आत्महत्या नहीं है। बहुत सारे ऐसे समाधान हैं, जिनको अपनाकर आत्मघाती कदम उठाने से बचा जा सकता है।

कर्ज, कंगाली और बेकारी आत्महत्या की प्रमुख वजह

  1. 10 जुलाई को नोएडा के सेक्टर-51 होशियारपुर गांव में एक दंपति ने अपने किराए के घर में आत्महत्या कर ली। 8 माह की बच्ची को छोड़कर दोनों फांसी के फंदे पर लटक गए। दंपति के पास कोई काम नहीं था और खर्च चलाने के लिए पैसा खत्म हो चुका था।
  2. 17 जुलाई को नोएडा के सेक्टर-27 में रॉयल रेजिडेंसी होटल के भीतर लॉजिक्स मॉल के मैनेजर ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। मैनेजर मनीष शर्मा ने एक सुसाइड नोट लिखकर छोड़ा था। मनीष ने लिखा कि उसके ऊपर भारी कर्ज है और वह कर्ज चुकाने में असमर्थ हो गया है। जिसके चलते आत्महत्या जैसा कदम उठा रहा है। उसकी आत्महत्या के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है।
  3. 22 जुलाई की रात नोएडा के सेक्टर-126 रायपुर गांव में 19 वर्षीय युवती ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। युवती पिछले 2 महीने से नौकरी की तलाश कर रही थी। नौकरी चले जाने के कारण उसके पास घर चलाने के लिए पैसा नहीं बचा था। मजबूर होकर उसने यह कदम उठाया। युवती ने अपने सुसाइड नोट में इस बात का जिक्र किया है।
  4. 10 जून को ग्रेटर नोएडा वेस्ट की हाउसिंग सोसायटी में रहने वाले युवक ने आत्महत्या कर ली थी। युवक पर फ्लैट और कार की ईएमआई चल रही थी। अप्रैल में उसकी नौकरी चली गई थी। ईएमआई चुकाने के लिए उसके पास पैसा नहीं बचा था। युवक यहां अकेला रहता था और अवसाद ग्रस्त कुकर आत्मघाती कदम उठा लिया।

27 मार्च को पति और 24 जून को पत्नी ने किया सुसाइड

कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन कितना घातक साबित हुआ है, इसका अंदाजा ग्रेटर नोएडा वेस्ट की पंचतत्व हैबीटेक हाउसिंग सोसायटी में रहने वाले परिवार की बर्बादी से लगाया जा सकता है।  सोसायटी में रहने वाले सर्वेश गर्ग ने 27 मार्च 2020 को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। उनकी पत्नी पारूल गर्ग भी अवसाद में आ गई और उन्होंने 24 जून को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पारुल ने सुसाइड नोट छोड़ा। जिसमें उन्होंने लिखा कि वह बेहद अकेलापन महसूस कर रही हैं और सर्वेश के आत्महत्या कर लेने से बेहद परेशान हैं।

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