एनआरआई सिटी के सामने शेल्टर होम बनाने का विरोध, निवासियों ने कहा- प्रशासन ने इंतजाम किए बिना सैकड़ों लोगों को मन्दिर में भर दिया

एनआरआई सिटी के सामने शेल्टर होम बनाने का विरोध, निवासियों ने कहा- प्रशासन ने इंतजाम किए बिना सैकड़ों लोगों को मन्दिर में भर दिया

एनआरआई सिटी के सामने शेल्टर होम बनाने का विरोध, निवासियों ने कहा- प्रशासन ने इंतजाम किए बिना सैकड़ों लोगों को मन्दिर में भर दिया

Tricity Today | एनआरआई सिटी के सामने शेल्टर होम बनाने का विरोध

जिला प्रसाशन ने सेक्टर ओमेगा-2 में सघन आबादी वाले क्षेत्र में प्रवासी मजदूरों के लिए शेल्टर होम बनाया है। जिससे यहां की हाउसिंग सोसायटीज में रहने वाले परिवारों ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है। लोगों का कहना है कि इससे यहां कोरोना फैलने का खतरा बढ़ गया है। यह शेल्टर होम सेक्टर ओमेगा-2 के झांडे वाले मंदिर में बनाया गया है। 

एनआरआई सिटी के निवासी एडवोकेट सुशील भाटी का कहना है कि मंदिर प्रांगण में ना तो बाथरूम बनाया गया है और ना ही सोशल डिस्टेंसिंग को देखते हुए रहने की कोई व्यवस्था की गई है। हजारों परिवार को जान का खतरा बना हुआ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि मंदिर जैसे पवित्र स्थान पर किसी प्रवासी मजदूर को नहीं रोका जाएगा। उसके बावजूद प्रशासन ने मुख्यमंत्री के आदेश को धता बताते हुए यह सारी व्यवस्था की है। जबकि, बगल में ही बहुत सारे बड़े-बड़े कॉलेज और संस्थान खाली पड़े हैं।

एडवोकेट सुशील भाटी ने कहा, इन स्कूल और कॉलेज में शेल्टर होम बनाया जाना उचित रहता। मंदिर से एनआरआई रेजिडेंसी और एनआरआई सीटी मात्र 10 मीटर की दूरी पर हैं। मंदिर प्रांगण में एक सब्जी की दुकान भी है। जिससे एनआरआई सोसाइटी और एनआरआई सिटी के अधिकांश निवासी सब्जी खरीदते हैं। मंदिर की कमेटी मंदिर लम्बे समय से मंदिर की व्यवस्था देख रही है। प्रशासन ने मंदिर समिति से भी अनुमति नहीं ली है।

मन्दिर समिति का कहना है कि मन्दिर परिसर में 50 लोगों के रुकने की व्यवस्था है। वहां सैकड़ों की संख्या में लोगों को ठहराया गया है। उन लोगों ने सोशल डिस्टेंशिंग की धज्जियां उड़ा रखी हैं। एनआरआई सिटी और एनआरआई रेजिडेंसी में रहने वाले हजारों परिवारों पर कोरोना का खतरा मंडरा रहा है। भविष्य में अगर कोई कोरोना केस आता है तो इसके लिए प्रसाशन जिम्मेवार होगा।

दूसरी ओर जिला प्रशासन का कहना है कि यह प्रवासी मजदूर दूसरे प्रांतों से चलकर पैदल अपने घर जा रहे थे। इन लोगों को यहां रोककर कुछ घंटों के लिए रखा गया है। इन्हें घर पहुंचाने के लिए बसों और ट्रेन का इंतजाम किया जा रहा है। जल्दी ही इन लोगों को यहां से रवाना कर दिया जाएगा। मंदिर परिसर को शेल्टर होम नहीं बनाया गया है। यहां कुछ घंटों की वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में मजदूरों को रखा गया है। सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करवाने के लिए मौके पर मौजूद प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को निर्देशित कर दिया जाएगा।

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