मेडिकल इक्यूपमेंट्स और दवाओं पर ओवरचार्ज और ब्लैक मार्केटिंग शुरू, ऐसे में क्या करें

मेडिकल इक्यूपमेंट्स और दवाओं पर ओवरचार्ज और ब्लैक मार्केटिंग शुरू, ऐसे में क्या करें

मेडिकल इक्यूपमेंट्स और दवाओं पर ओवरचार्ज और ब्लैक मार्केटिंग शुरू, ऐसे में क्या करें

Tricity Today | प्रतीकात्मक फोटो

कोरोना वायरस से भयाक्रांत होकर लोग मास्क, सैनिटाइजर, दवाएं, थर्मामीटर, डिजिटल थर्मो स्कैनर और तमाम दूसरे मेडिकल इक्विपमेंट्स खरीदकर घरों में रख रहे हैं। लोगों के इस भय का लाभ उठाते हुए मेडिकल स्टोर संचालक ब्लैक मार्केटिंग और ओवर चार्ज कर रहे हैं। कुछ लोगों ने जानकारी दी है कि 10-10 गुना ज्यादा कीमतों पर यह चीजें बेची जा रही हैं ऐसे में सवाल यह उठता है कि आम आदमी को क्या करना चाहिए?

ग्रेटर नोएडा वेस्ट की गौर सिटी हाउसिंग सोसायटी में रहने वाली अनीता प्रजापति ने बताया कि जो थर्मोस्कैनर अभी तक मेडिकल स्टोर पर महज ₹ 2000 में मिल रहा था, आज उसे खरीदने गई तो 6 से लेकर ₹10,000 तक मांगे गए हैं। मास्क और सैनिटाइजर पर भी 10-10 गुना ज्यादा कीमत वसूल की जा रही है। यह केवल लोगों के भय का फायदा उठा कर लूटपाट का माहौल बनाया जा रहा है। अनीता प्रजापति का कहना है कि इस और जिला प्रशासन और सरकार को तुरंत ध्यान देने की जरूरत है।

ग्रेटर नोएडा में सीनियर सिटीजन हाउसिंग सोसाइटी के निवासी दिनेश चौधरी ने भी ऐसी शिकायत की है। दिनेश चौधरी का कहना है कि वह मार्केट में अपनी बेटी के लिए मास्क खरीदने गए थे। कई मेडिकल स्टोर पर तो मास्क उपलब्ध ही नहीं था। एक मेडिकल स्टोर पर मास्क उपलब्ध था तो उसने 800 रुपए की मांग की। सैनिटाइजर सामान्य रूप से ₹ 32 में मिल रहा था, जिसे अब ₹ 200 में बेचा जा रहा है। बाजार से फ्लू जैसी बीमारी में इस्तेमाल की जाने वाली सिट्राजिन टेबलेट गायब हो चुकी है।

नोएडा सेक्टर 34 के निवासी प्रमोद शर्मा एक एमएनसी में काम करते हैं। उनका कहना है कि मैं पिछले तीन-चार दिन से वर्क फ्रॉम होम कर रहा हूं। शुक्रवार को घर में सैनिटाइजर खत्म हो गया। मैं मेडिकल स्टोर पर लेने पहुंचा तो सैनिटाइजर उपलब्ध नहीं था। मैंने मेडिकल स्टोर संचालक से डिटॉल एंटीसेप्टिक लिक्विड मांगा। एक लीटर लिक्विड की कीमत करीब ढाई सौ रुपये होती है लेकिन मेडिकल स्टोर संचालक ने 1 लीटर डिटॉल लिक्विड के लिए ₹ 700 की मांग की। मैंने उससे कहा कि एमआरपी तो इतना नहीं है इस पर उसने कहा कि भाई साहब हमें आगे से ही महंगा मिल रहा है तो हम एमआरपी पर कैसे भेज सकते हैं। इतना ही नहीं मेडिकल स्टोर संचालक ने बिल देने से भी इनकार कर दिया।

प्रमोद शर्मा का कहना है कि अभी से जब ऐसे हालात बन गए हैं तो आने वाले दिनों में स्थिति और कितनी खराब हो सकती हैं। इस पर जिला प्रशासन को तत्काल कार्यवाही करनी चाहिए। नोएडा मेडिकल स्टोर्स एंड फार्मासिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अनूप खन्ना का कहना है कि मेडिकल स्टोर संचालक अगर एमआरपी से ज्यादा पैसा ले रहे हैं तो गलत है। लेकिन, ज्यादातर प्रोडक्ट का एमआरपी मैन्युफैक्चरर और होलसेलर ने बढ़ा दिए हैं। इसमें मेडिकल स्टोर्स वाले बदनाम हो रहे हैं।

नोएडा के निवासी अजित सिंह ने बताया कि कई फार्मेसी वाले शहर में ओवरचार्ज कर रहे हैं। मैंने गुरुवार को इनकी शिकायत जिलाधिकारी से की थी। इसके बाद मुझे बताया गया था कि ड्रग्स डिपार्टमेंट ने ऐसे मेडिकल स्टोर्स पर छापे मारे हैं। यह बहुत गलत बात है। ऐसे समय में सभी की ईमानदारी के साथ मिलकर काम करना चाहिए। आम आदमी की मजबूरी का लाभ उठाकर लूट करना न केवल कानूनी रूप से गलत है बल्कि यह नैतिक रूप से भी गलत है।

(हम संक्रमित लोगों के नाम और पते उनकी निजता को दृष्टिगत रखते हुए प्रकाशित नहीं कर रहे हैं। आपसे अनुरोध है कि पैनिक नहीं हों और धैर्य के साथ रहें। अपना और अपने परिवार का बचाव ही आपका सबसे बड़ा योगदान है। tricitytoday.com)

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