ग्रेटर नोएडा की पद्मावती बन्दोपध्याय को पदम् श्री, उनके नाम एक से बढ़कर एक रिकॉर्ड

ग्रेटर नोएडा की पद्मावती बन्दोपध्याय को पदम् श्री, उनके नाम एक से बढ़कर एक रिकॉर्ड

ग्रेटर नोएडा की पद्मावती बन्दोपध्याय को पदम् श्री, उनके नाम एक से बढ़कर एक रिकॉर्ड

Tricity Today | Padmavati Bandopadhyay

एयर मार्शल डॉ. पद्मावती बंदोपाध्याय (पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएसएम) को गणतंत्र दिवस के मौके पर पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। डॉ. पद्मावती वायु सेना से रिटायर होने के बावजूद एयरो-मेडिसिन पर काम कर रही हैं। पद्मावती वायु सेना की भी कोई मामूली अफसर नहीं हैं। उन्हें सही मायने में मार्ग प्रशस्त करने वाली महिला कहा जा सकता है। मतलब, उन्होंने वायु सेना में न केवल काम किया बल्कि महिलाओं के लिए वह सारे दरवाजे खोले, जहां तक पहले कोई महिला पहुंची नहीं थी। डॉ. पद्मावती की निजी जिंदगी और वायु सेना को दिया समय, दोनों बेहद प्रेरणा स्रोत हैं। फिलहाल, ग्रेटर नोएडा की एडब्ल्यूएचओ सोसायटी में रह रहीं एयर मार्शल डॉ. पद्मावती बंदोपाध्याय शहर की शान हैं। उनके नाम पर दर्ज रिकॉर्ड्स की लंबी फेहरिस्त है।

डॉ. पद्मावती बंदोपाध्याय भारतीय वायु सेना की पहली महिला एयर मार्शल हैं। वह तीन-सितारा रैंक हासिल करने वाली भारतीय सशस्त्र बलों की दूसरी महिला हैं। डॉ. बंदोपाध्याय का जन्म 4 नवंबर 1944 को आंध्र प्रदेश के तिरुपति में हुआ था। उसकी मां को तपेदिक की बीमारी थी। लिहाजा, पद्मा ने 4-5 साल की उम्र में ही उनकी प्राथमिक देखभाल करनी शुरू कर दी थी। आगे उपचार के लिए उनकी मां को नई दिल्ली लाया गया। यहां गोल मार्केट में उनके पड़ोस में उनकी हमनाम और लेडी हार्डिंग हॉस्पिटल में मेडिसिन की प्रोफेसर डॉ. एस पद्मावती रहती थीं। उन्होंने बताया कि सफदरजंग अस्पताल में अपनी मां की बीमारी के लिए अस्पताल में भर्ती होने का अनुभव और उनके नाम के साथ एक पड़ोसी महिला डॉक्टर होने के कारण उनके अंदर डॉक्टर बनने की प्रारंभिक प्रेरणा पैदा हुई थी।

उन्होंने मानविकी में अध्ययन किया था। स्नातक होने के बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में मानविकी से विज्ञान स्ट्रीम में कठिन और असामान्य परिवर्तन किया। उन्होंने किरोड़ीमल कॉलेज में प्री-मेडिकल की पढ़ाई की और फिर 1963 में सशस्त्र बल मेडिकल कॉलेज पुणे में दाखिला लिया। वह 1968 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुईं। उन्होंने वायु सेना अधिकारी सतीनाथ बंदोपाध्याय से शादी की। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उनके शानदार काम के लिए उन्हें विशिष्ट सेवा पदक (वीएसएम) से सम्मानित किया गया था। डॉ. पद्मावती के नाम एक और अनूठा रिकॉर्ड है। उनके पति सती नाथ और वह एक ही परेड में राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त करने वाले भारतीय वायु सेना के युगल थे। 

अपने करियर में वह एयरोस्पेस मेडिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया की फेलो बनने वाली पहली महिला हैं। पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव पर वैज्ञानिक शोध करने वाली पहली भारतीय महिला हैं। वह 1978 में रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज पाठ्यक्रम पूरा करने वाली पहली महिला सशस्त्र बल अधिकारी भी हैं। वह एयर हेडक्वार्टर में डायरेक्टर जनरल मेडिकल सर्विसेज (एयर) थीं। 2002 में वह एयर वाइस मार्शल (टू-स्टार रैंक) में पदोन्नत होने वाली पहली महिला बनीं। बंदोपाध्याय एक विमानन चिकित्सा विशेषज्ञ और न्यूयॉर्क एकेडमी ऑफ साइंसेज की सदस्य हैं।

डॉ पद्मा बंदोपाध्याय सेना में महिलाओं के कामकाज पर कहती हैं, "सेना की वर्दी उन युवतियों के लिए नहीं है, जो महज रोमांच के लिए इस सेवा में आना चाहती हैं। अगर कोई लड़की मानसिक तौर पर तैयार नहीं होगी तो यह सर्विस उसके लिए एवरेस्ट को फतह करने से कहीं ज्यादा मुश्किल साबित हो सकती है। सेना में कई मुश्किल हालात का सामना करना पड़ सकता है। इनसे उन्हें एक आम सैनिक की तरह निबटना होता है और महिला होने के नाते वे इससे बच नहीं सकतीं। वैसे किसी महिला अधिकारी के आत्महत्या करने से यह नहीं माना जाना चाहिए कि सेना महिलाओं को रखने में सक्षम नहीं है। इस सर्विस में आने वाली कठिनाइयों को चैलेंज के रूप में भी लिया जा सकता है और सजा के तौर पर भी। यह सब माइंडसेट पर निर्भर करता है।" अब डॉ. पद्मावती बन्दोपध्याय को भारत सरकार ने पदम् श्री से सुशोभित किया है।

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