पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे पर पुलिस और संचालक कंपनी की लापरवाही से मर रहे हैं लोग

पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे पर पुलिस और संचालक कंपनी की लापरवाही से मर रहे हैं लोग

पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे पर पुलिस और संचालक कंपनी की लापरवाही से मर रहे हैं लोग

Google Image | पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे

जिस द्रुतगामी मार्ग को जाम से मुक्ति हादसों पर रोक के लिए बनाया गया था। वह आज पुलिस व संचालन कर रही कंपनी की लापरवाही के कारण द्रुतगामी मौत मार्ग बन गया है। लेकिन जिम्मेदार विभाग कार्यवाही को तैयार नहीं। सोनीपत से पलवल तक जाने वाले ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे पर दुपहिया वाहन प्रतिबंधित है। लेकिन फिर भी आए दिन दुपहिया वाहन चालक दुर्घटनाग्रस्त होते हैं। मौत भी हो जाती हैं, लेकिन अपनी जिम्मेदारी कोई भी ठीक तरह से निभाने के लिए तैयार नहीं है। 

दिल्ली को जाम फ्री बनाने के लिए 135 लंबे ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे का निर्माण किया गया था। यह देश का पहला ऐसा एक्सप्रेस-वे है जिस पर न्यूनतम गति सीमा 80 और अधिकतम 120 रखी गई है। भारी वाहनों के लिए न्यूनतम गति 80 किलोमीटर प्रति घंटे निर्धारित है। जबकि कारों की गति 120 किलोमीटर प्रति घंटे की हैं। गति सीमा को देखते हुए फिलहाल एक्सप्रेस-वे पर बाइक चलने की अनुमति नहीं दी गई है। 

एनएचएआई के अफसरों का कहना है कि अभी बाइक चलने का प्रस्ताव पारित नहीं हुआ है। मुरादनगर जिस द्रुतगामी मार्ग को जाम से मुक्ति हादसों पर रोक के लिए बनाया गया था। वह आज पुलिस व संचालन कर रही कंपनी की लापरवाही के कारण द्रुतगामी मौत मार्ग बन गया है। लेकिन जिम्मेदार विभाग कार्यवाही को तैयार नहीं सोनीपत से पलवल तक जाने वाले ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे पर दुपहिया वाहन प्रतिबंधित है। लेकिन फिर भी आए दिन दुपहिया वाहन चालक दुर्घटनाग्रस्त होते हैं। मौत भी हो जाती हैं, लेकिन अपनी जिम्मेदारी कोई भी ठीक तरह से निभाने के लिए तैयार नहीं है। 

कहा गया था कि यह हाईवे तैयार होने के बाद दिल्ली से रोजाना करीब 50 हजार वाहनों का दवाब कम हो जाएगा। हरियाणा राजस्थान मध्यप्रदेश से हिमाचल पंजाब उत्तराखंड समेत कई राज्य के वाहनों की आवाजाही रहती थी। जिसकी वजह से दिल्ली में ट्रैफिक का दवाब अधिक रहता था। दिल्ली से ट्रैफिक के दवाब और लोगों को शानदार सफर देने के लिए एक्सप्रेस-वे का निर्माण किया गया है।

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