ग्रेटर नोएडा में आरडब्ल्यूए को मान्यता देने के खिलाफ खड़े हुए लोग, बोले- जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहा है प्राधिकरण

ग्रेटर नोएडा में आरडब्ल्यूए को मान्यता देने के खिलाफ खड़े हुए लोग, बोले- जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहा है प्राधिकरण

ग्रेटर नोएडा में आरडब्ल्यूए को मान्यता देने के खिलाफ खड़े हुए लोग, बोले- जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहा है प्राधिकरण

Google Image | Greater Noida Authority

ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने मंगलवार को हुई बोर्ड बैठक में आरडब्ल्यूए, एओए और कोऑपरेटिव सोसायटी को मान्यता देने का निर्णय लिया है। अब शहर में इस फैसले का विरोध शुरू हो गया है। शहर के लोगों का कहना है कि प्राधिकरण अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहा है। रखरखाव का काम प्राधिकरण का है। आरडब्ल्यूए इसे किस तरह से करेंगी। फंडिंग को लेकर भी तमाम तरह के सवाल हैं। 

लोगों का कहना है कि आरडब्ल्यूए को मान्यता मिले, लेकिन रखरखाव व फंडिंग जैसे मामले प्राधिकरण अपने पास रखे। पंजीकृत आरडब्लयूए  को मान्यता देने के लिए बुधवार को शहर की आरडब्ल्यूए के पदाधिकारियों की बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई। इसकी अध्यक्षता देवेंद्र टाइगर और संचालन आजाद आधाना ने किया। देवेन्द्र टाइगर ने कहा कि  प्राधिकरण मान्यता के नाम पर सेक्टर की आरडब्ल्यूए के ऊपर बोझ डाल रहा है। इसका विरोध किया जाएगा। 

सेक्टर डेल्टा-3 के महासचिव दिनेश एडवोकेट ने कहा कि वह इसका विरोध करते हैं। फेडरेशन के उपाध्यक्ष आलोक नागर ने कहा कि वह किसी भी सूरत में ऐसी व्यवस्था स्वीकार नहीं करेंगे। सेक्टर डेल्टा टू आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष अजब सिंह प्रधान ने कहा कि वह किसी प्रकार का अतिरिक्त भार वहन करने की स्थिति में नहीं हैं। ना ही कोई अतिरिक्त भार ग्रहण करेंगे। सेक्टर डेल्टा-1 के अध्यक्ष ऋषिपाल ने कहा कि वह भी इसका विरोध करते हैं। हमारी पूरी आरडब्ल्यूएन है विकास प्राधिकरण के इस फैसले को गलत माना है।

आरडब्ल्यूए पदाधिकारी विशेषज्ञ नहीं हैं: एक्टिव सिटीजन टीम

एक्टिव सिटीजन टीम के वरिष्ठ सदस्य आलोक सिंह ने कहा कि लोग प्राधिकरण पर भरोसा करके उनके क्षेत्र में मकान और दुकान खरीदते हैं। अगर यह नई व्यवस्था शुरू होगी तो आवंटियों का विश्वास खत्म हो जाएगा। आरडब्ल्यूए सेक्टर के लोगों और प्राधिकरण के बीच पुल का कार्य करती है। आरडब्ल्यूए के पदाधिकारियों का अपना काम होता है। कोई नौकरी करता है तो कोई व्यापार कर रहा है। ये लोग रखरखाव के कामों को लेकर विशेषज्ञ भी नहीं होते हैं। ऐसे में अगर आरडब्ल्यूए को रखरखाव का जिम्मा दिया जाएगा तो शहर की हालत खराब हो जाएगी। आरडब्ल्यूए को मान्यता मिले, लेकिन उसे रखरखाव के काम और आर्थिक अधिकार नहीं दिए जाने चाहिए। विकास प्राधिकरण ने इस फैसले को लेने से पहले विचार-विमर्श नहीं किया है। तकनीकी पक्षों पर भी अध्ययन नहीं किया गया है।

अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहा है प्राधिकरण

सेक्टर पी-3 के निवासी एडवोकेट आदित्य भाटी ने कहा कि प्राधिकरण अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहा है। प्राधिकरण का काम लोगों को बेहतर सुविधाएं देना हैं। अगर यह काम आरडब्ल्यूए करेगी तो प्राधिकरण का क्या काम रह जाएगा। क्या प्राधिकरण बस प्रॉपर्टी डीलिंग करने तक ही सीमित रह जाएगा। सेक्टर-37 के निवासी देवराज नागर ने कहा कि आरडब्ल्यूए को इस तरह की मान्यता देकर बिना पूर्णकालिक देखरेख के विकास कार्यों में ना केवल विकृति आएगी बल्कि एक अलग तरह का भ्रष्टाचार भी जन्म लेगा। यदि आरडब्ल्यूए को कार्य दिए जाएं तो उसके लिए धन आवंटित किया जाए। इसको लेकर पिछले साल सितंबर में प्राधिकरण को सुझाव दिए थे, लेकिन उस पर अमल नहीं किया। 

मदन कुमार झा ने कहा कि प्राधिकरण को रजिस्ट्री से जो आय होती है, वह आरडब्ल्यूए  को दे दें तो सभी कार्य हो जाएंगे। यह फैसला ग्रेटर नोएडा के विकास में ग्रहण लगा देगा। समाज सेविका अंजू पुंडीर ने कहा कि आरडब्ल्यूए अपने खर्चे से सुरक्षा की ज़िम्मेदारी भी ठीक से नहीं चला पा रहे हैं। वह अन्य कार्यों के लिए पैसा कहां से लाएंगे। प्राधिकरण चालाकी से अपना पल्ला झाड़ रहा है। पिछले कई वर्षों से प्राधिकरण रखरखाव और विकास कार्यों के प्रति उदासीन हो गया है। शहर के सेक्टरों में सड़कों सीवर, पार्क, ग्रीन बेल्ट और पेयजल आपूर्ति का बुरा हाल है।

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