20 लाख अयोग्य लाभार्थियों ने लिया 1,364 करोड़ रुपये, पूरी जानकारी

पीएम किसान योजना में धांधली : 20 लाख अयोग्य लाभार्थियों ने लिया 1,364 करोड़ रुपये, पूरी जानकारी

20 लाख अयोग्य लाभार्थियों ने लिया 1,364 करोड़ रुपये, पूरी जानकारी

Google Image | प्रतीकात्मक फोटो

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। पहले भी इस योजना में अयोग्य लाभार्थियों को निधि की राशि वितरित करने की शिकायतें मिलती रही थीं। एक आरटीआई के जवाब में मिली जानकारी से योजना में बड़े स्तर पर धांधली का पर्दाफाश हुआ है। किसान सम्मान निधि योजना के तहत 20 लाख अयोग्य लोगों को 1,364 करोड़ वितरित किया गया है। अयोग्य लोगों की संख्या इतनी बड़ी है कि इसे माननीय भूल कहना ठीक नहीं होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2019 में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत सीमांत या छोटे किसान या दो हेक्टेयर से कम कृषि भूमि वाले किसानों को एक साल में तीन बराबर किस्तों में कुल ₹6,000 रुपये की सहायता राशि दी जाती है।

आरटीआई के जवाब में केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने बताया कि अयोग्य लाभार्थियों की दो श्रेणियों की पहचान की गई है। पहली श्रेणी में 'अर्हता’ पूर्री नहीं करने वाले किसान हैं। जबकि, दूसरी श्रेणी 'आयकर’ भरने वाले किसानों की है। कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (सीएचआरआई) से संबद्ध आरटीआई आवेदक वेंकटेश नायक ने एक आरटीआई में केंद्र सरकार से इस संबंध में जानकारी मांगी थी। आरटीआई का जवाब चौंकाने वाला मिला। नायक ने बताया कि 'अयोग्य’ लाभार्थियों में आधे से अधिक (55.58 फीसदी) किसान इनकमटैक्स देते हैं। बाकी  के 44.41 फीसदी किसान योजना की अर्हता पूरी नहीं करते हैं। 

हालांकि सरकार ने अयोग्य लाभार्थियों से भुगतान की राशि वसूलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2019 में शुरू हुई पीएम-किसान सम्मान निधि योजना के तहत जुलाई, 2020 तक अयोग्य लाभार्थियों को 1,364 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं। सरकार से भी चूक हुई और अयोग्य लाभार्थी मोटी रकम हजम कर गए। आंकड़ों के मुताबिक अयोग्य लाभार्थियों की सबसे ज्यादा संख्या पांच राज्यों- पंजाब, असम, महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश में है।
     
आंकड़ों के मुताबिक पंजाब लिस्ट में सबसे ऊपर है। कुल अयोग्य लाभार्थियों में 23.6 फीसदी (4. 74 लाख) पंजाब के रहने वाले हैं। दूसरे पायदान पर असम है। असम में 16.8 फीसदी (3.45 लाख) अयोग्य लाभार्थी रहते हैं। महाराष्ट्र में अयोग्य लाभार्थियों की 14 फीसदी (2.86 लाख) आबादी रहती है। अगर इन तीनों राज्यों की स्थिति देखें, तो सिर्फ इन तीन राज्यों में ही अयोग्य लाभार्थियों की आधी से अधिक (54.03 प्रतिशत) संख्या है। विकास के मॉडल गुजरात का भी इस लिस्ट में होना दुर्भाग्यपूर्ण है। गुजरात और उत्तर प्रदेश में क्रमश: 8.05 फीसदी (1.64 लाख लाभार्थी) और 8.01 फीसदी (1.64 लाख) अयोग्य लाभार्थी रहते हैं। सिक्किम में सिर्फ एक अयोग्य लाभार्थी का पता चला है।

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