Tricity Today | गौतमबुद्ध नगर में ब्राह्मण महासंघ के पदाधिकारियों की गिरफ्तारी पर सियासी उबाल
उत्तर प्रदेश में लगातार हो रही हत्याओं का विरोध करने के लिए ब्राह्मण महासंघ ने सोमवार की दोपहर गौतमबुद्ध नगर में कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। ब्राह्मण महासंघ के पदाधिकारी अपर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपने के बाद अपने घर वापस लौट गए थे। आरोप है कि पुलिस ने 5 लोगों को उनके घरों से गिरफ्तार किया। इस मामले में 55 लोगों पर एफआईआर दर्ज की है। यह मामला अब सियासी रंग पकड़ता जा रहा है। पूरे उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण नेताओं ने इसे प्रदेश सरकार की तानाशाही करार दिया है।
ब्राह्मण नेताओं की गिरफ्तारी पर सबसे पहले समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्रा ने ट्वीट किया। अभिषेक मिश्रा ने लिखा कि उत्तर प्रदेश में हावी अराजकता और ब्राह्मण समाज के लोगों की हत्याओं का विरोध करने के लिए ज्ञापन सौंपना भी अब कानूनी अपराध बन गया है। गौतमबुद्ध नगर में ब्राह्मण समाज के लोगों पर गलत तरीके से मुकदमा दर्ज किया गया है। लोकतांत्रिक तरीके से अपनी आवाज उठाने पर लोगों का दमन किया जा रहा है। अगर ब्राह्मण समाज अपने ऊपर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठा रहा है तो उसका दमन किया जा रहा है।
ब्राह्मणों की हत्या के विरोध में जिलाधिकारी नॉएडा कार्यालय पर अभी प्रदर्शन हुआ।पुलिस ने सचिन/चमन/सुभाष/प्रवीण शर्मा को गिरफ्तार किया व 500 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।सुरक्षा नहीं, काम नहीं, सम्मान नहीं और शांतिपूर्ण ढंग से बात भी नहीं। कोई नहीं। 2022 दूर नहीं।@yadavakhilesh pic.twitter.com/NgNu2sGJ5U
— Prof. Abhishek Mishra (@profamishra) July 27, 2020
कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने भी इस मामले पर ट्वीट किया है। जितिन प्रसाद ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ब्राह्मण शांतिपूर्वक तरीके से अपना विरोध जाहिर करने के लिए कलेक्ट्रेट गए थे। अगर किसी समाज को यह लगता है कि उसके लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन हो रहा है तो उसे विरोध करने का संवैधानिक अधिकार है। लेकिन उत्तर प्रदेश में ऐसा करना भी अपराध की श्रेणी में आता है। गौतमबुद्ध नगर के ब्राह्मण समाज पर गलत ढंग से मुकदमा दर्ज किया गया है और लोगों को जेल भेजा जा रहा है।
उ.प्र. में आये दिन ब्राह्मणों की हो रही हत्याओं एवं अत्याचार से ब्राह्ममण समाज व्यथित है।अब उसका आक्रोश सामने आने लगा है।@RPparishad द्वारा आज गौतमबुद्ध नगर में समाज का सड़को पर उतरना उसका उदहारण है। यदि समय रहते शोषण बंद न हुआ तो ब्राह्मण चुप नहीं बैठेगा ! @BrahamSamvad pic.twitter.com/QjUIOPBNta
— Jitin Prasada जितिन प्रसाद (@JitinPrasada) July 27, 2020
कांग्रेसी नेत्री पंखुड़ी पाठक ने भी इस मुद्दे पर तीखी टिप्पणी की है। पंखुड़ी पाठक ने लिखा है कि अब उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण होना भी अपराध हो गया है। ब्राह्मण समाज के लोग लोकतांत्रिक तरीके से अपनी आवाज उठा रहे थे। उन्हें अपराधियों की तरह जेल में भेज दिया गया है। पंखुड़ी पाठक ने इस मुद्दे पर एक के बाद एक कई ट्वीट किए हैं। पंखुड़ी पाठक ने कहा कि उत्तर प्रदेश में लोकतंत्र कोई मायने नहीं रखता है। आम आदमी को अपनी बात किसी भी तरह से रखने का कोई अधिकार नहीं है। राज्य सरकार पूरी तरह तानाशाही कर रही है। दूसरी ओर राज्य में गुंडे बदमाश और लुटेरे हावी हैं। अपराधियों के सामने सरकार ने घुटने टेक दिए हैं। आम आदमी पर तानाशाही की जा रही है।
ज़िले के वकीलों के द्वारा यह पता चला है कि योगी जी की पुलिस द्वारा ब्राह्मण समाज के ऐसे भी लोगों को पकड़ कर थाने ले जाया गया जो कि विरोध प्रदर्शन का हिस्सा भी नहीं थे।
— Pankhuri Pathak पंखुड़ी पाठक پنکھڑی (@pankhuripathak) July 27, 2020
इसमें एक शिक्षक भी शामिल हैं।
क्या योगी राज में उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण होना अपराध हो गया है ? https://t.co/F5ncpfxai5
सोशल मीडिया छा गया गिरफ्तारी का मुद्दा
सोशल मीडिया पर यह मुद्दा पूरी तरह छाया हुआ है। दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश और बिहार समेत तमाम दूसरे राज्यों तक लोग फेसबुक ट्विटर और दूसरे सोशल मीडिया माध्यमों पर घटना से जुड़े फोटो और वीडियो शेयर कर रहे हैं। खासतौर से ब्राह्मण समाज के युवा वर्ग में इस घटना को लेकर बेहद रोष व्याप्त है। तमाम ब्राह्मण संगठन इस घटना के विरोध में प्रतिक्रिया जाहिर कर रहे हैं। मंगलवार को पश्चिम उत्तर प्रदेश के कई जिलों में घटना के विरोध स्वरूप ज्ञापन सौंपे जाएंगे।
गिरफ्तार युवकों को हथकड़ी लगाकर कोर्ट ले गई पुलिस
इस मामले में सूरजपुर कोतवाली के एसएचओ की भूमिका पर भी कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। मसलन ब्राह्मण संगठनों का कहना है कि लोग शांतिपूर्वक तरीके से ज्ञापन देने के लिए कलेक्ट्रेट जा रहे थे। सूरजपुर के एसएचओ ने लोगों को रोककर खुद ही ज्ञापन लेने की कोशिश की। इस पर विरोध हुआ और एसएचओ ने लाठीचार्ज करने की धमकी दे डाली। इसके बाद नोकझोंक हुई। बाद में गिरफ्तार किए गए युवकों को जानबूझकर अदालत बंद होने के बाद ले जाया गया। जिससे उन्हें जमानत नहीं मिल सकी। रातभर थाने में बैठाकर रखा गया।
एसएचओ पर यह भी आरोप है कि उन्होंने अपराधियों की तरह गिरफ्तार किए गए युवकों के साथ बर्ताव किया है। उन्हें हथकड़ी लगाकर अदालत ले जाया गया है। ब्राह्मण संगठनों का कहना है कि यह युवा पढ़े-लिखे और संभ्रांत समाज से ताल्लुक रखते हैं। इनके ऊपर कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं है। किसी के फरार होने की कोई संभावना भी नहीं थी। ऐसे मामले में हथकड़ी लगाकर अदालत ले जाना असंवैधानिक और मानवाधिकारों का उल्लंघन है। ब्राह्मण संगठनों का कहना है कि हथकड़ी लगाकर अदालत ले जाने के मामले को मानवाधिकार आयोग और अदालत में चुनौती दी जाएगी।