यूपी के टॉप बिल्डरों की प्रॉपर्टी नीलाम होंगी, गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद और लखनऊ के सबसे ज्यादा

यूपी के टॉप बिल्डरों की प्रॉपर्टी नीलाम होंगी, गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद और लखनऊ के सबसे ज्यादा

यूपी के टॉप बिल्डरों की प्रॉपर्टी नीलाम होंगी, गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद और लखनऊ के सबसे ज्यादा

Google Image | यूपी रेरा

यूपी रेरा प्रदेश के टॉप डिफाल्टर बिल्डरों की संपत्तियां नीलाम करेगा। इसके लिए यूपी रेरा की लखनऊ और ग्रेटर नोएडा बैंच आदेश भी जारी कर चुकी हैं। इन डिफॉलटर बिल्डरों में नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद और लखनऊ के सबसे ज्यादा हैं। इतना ही नहीं ये बिल्डर रेरा के आदेशों का पालन भी नहीं कर रहे हैं। लिहाजा, डेरा ने अब इनकी प्रॉपर्टी नीलम करने का फैसला लिया है।

सबसे पहले लखनऊ की बात करते हैं। राजधानी में अंसल और सहारा सबसे बड़े डिफॉलटर बिल्डर हैं। अंसल एपीआई और सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड के सहारा सिटी होम्स योजना में खली पड़ी संपत्तियों को सबसे पहले नीलाम करने की तैयारी है। इसके लिए रेरा ने लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के उपाध्यक्ष को पत्र लिखकर इनकी खली पड़ी संपत्तियों का ब्यौरा मांगा है। नीलामी से मिलने वाली रकम आवंटियों को वापस की जाएगी।

दरअसल, रेरा के आदेश के बावजूद राज्य के तमाम बड़े बिल्डर आवंटियों को न तो मकान, प्लॉट और फ्लैट दे रहे हैं और न उनकी जमा रकम वापस कर रहे हैं। आदेश न मानने वाले प्रदेश के टाप 25 बिल्डरों की सूची रेरा ने तैयार की है। इसमें से सबसे पहले टाप-10 बिल्डरों की सम्पत्तियां नीलाम होंगी। इन्हें आरसी भी जारी हुई थी लेकिन वसूली नहीं हो पाई। इसीलिए रेरा ने अब नीलामी का निर्णय लिया है। नीलामी जिलाधिकारियों के माध्यम से कराई जाएगी। इनमें ज्यादातर बिल्डर एनसीआर के हैं।

नोएडा और ग्रेटर नोएडा में सबसे बुरा हाल सुपरटेक बिल्डर का है। इसी तरह लाजिक्स ग्रुप, पैरामाउण्ट, जेपी एसोसिएट और पार्श्वनाथ डेवपलर्स के खिलाफ शिकायतों के अम्बार हैं। दूसरी ओर गाजियाबाद में उप्पल चड्ढा, सनसिटी हाईटेक, कृष्णा एस्टेट डेवलपर्स और कान्सेप्ट इन्फ्रा की स्थिति खराब है। ये सारे बिल्डर घर खरीदारों को रेरा का आदेश जारी होने के बावजूद पैसा वापस नहीं लौटा रहे हैं। इन सभी के खिलाफ रेरा ने आरसी जारी कर दी हैं।

लखनऊ के अंसल व सहारा की खाली संपत्तियों की नीलामी के लिए रेरा ने एलडीए उपाध्यक्ष को पत्र लिखा है। 5 अगस्त को पत्र एलडीए को मिल गया। रेरा ने एलडीए से दोनों बिल्डरों की परियोजनाओं में न बिकने वाले मकान, प्लॉट तथा फ्लैटों के साथ-साथ परियोजनाओं में रिक्त भूमि का भी पूरा विवरण मांगा है। रेरा ने 11 अगस्त तक ब्यौरा भेजने को कहा है।

यूपी के 25 डिफाल्टर बिल्डरों के खिलाफ 9746 शिकायतें
यूपी रेरा के पास लगभग 25 हजार शिकायतें दर्ज हैं। इसमें से 9740 शिकायतें लखनऊ, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और लखनऊ के इन टॉप-25 बिल्डरों के खिलाफ मिली हैं। इसमें से रेरा ने 6935 शिकायतों का निस्तारण कर दिया है। आवंटियों को कब्जा देने के 3223 आदेश दिए गए हैं। ब्याज सहित पैसा वापस करने के लिए 1883 आदेश हुए हैं। 692 मामलों में इन 25 बिल्डरों के खिलाफ आरसी जारी हो चुकी हैं। बिल्डरों से 172 मामले में पूरी या आंशिक रिकवरी हो सकी हैं। बाकी 520 आरसी के सापेक्ष एक रुपया जमा नहीं हुआ है।

यूपी रेरा के सचिव अबरार अहमद का कहना है कि राज्य के टाप-25 बिल्डरों के खिलाफ जल्दी कार्रवाई शुरू होगी। इनकी सूची तैयार है। 30 जून 2020 तक जिन बिल्डरों ने रेरा के आदेश का अनुपालन नहीं किया है, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यूपी रेरा के चेयरमैन राजीव कुमार ने कहा, बिल्डरों को काफी समय दिया गया है, लेकिन आदेशों की अवहेलना ही जा रही है। अब उनकी सम्पत्तियों की नीलामी करके आवंटियों को पैसा वापस दिया जाएगा। आदेश नहीं मानने पर रेरा बिल्डर पर पेनाल्टी लगा सकता है। 

राजीव कुमार का कहना है कि कुछ मामलों में रेरा के आदेशों पर हाईकोर्ट ने स्थगन दिया है। नोएडा में 3-सी बिल्डर, लॉजिक्स, सुपरटेक और जेपी एसोसिएट्स के मामलों में इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा रखी है। यूपी रेरा के चेयरमैन राजीव कुमार का कहना है, "हम एक बार फिर बिल्डरों को बुला रहे हैं। उनसे पूछा जा रहा है कि वह आदेशों का पालन क्यों नहीं कर रहे हैं।"

असंल प्रापर्टीज के खिलाफ 2546 शिकायत हैं। इनमें से 1784 का यूपी रेरा ने निस्तारण कर दिया है। 263 में बिल्डर के खिलाफ रिकवरी का आदेश दिया गया है। इसी तरह सुपरटेक के खिलाफ 1806 शिकायतों में से 1100 का निस्तारण हो गया है। अब तक 111 मामलों में रिकवरी आर्डर हुआ है। नोएडा के लाजिक्स ग्रुप के खिलाफ 796 शिकायत हैं। 672 में यूपी डेरा ने आर्डर कर दिया है। बिल्डर के खिलाफ 35 रिकवरी आर्डर पेंडिंग हैं। गाजियाबाद और नोएडा के उप्पल चड्ढा ग्रुप के खिलाफ 494 शिकायतों में से 376 का निस्तारण कर दिया गया है। बिल्डर के खिलाफ 18 रिकवरी आदेश जारी हो चुके हैं।

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