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करीब पांच-छह वर्षों से ग्रेटर नोएडा शहर में प्रॉपर्टी बाजार बुरे दौर से गुजर रहा है। आलम यह है कि एक समय था, जब ग्रेटर नोएडा के हर बाजार, हर सोसाइटी और तो और गली-नुक्कड़ में प्रॉपर्टी डीलर व कंसलटेंट के बोर्ड और दफ्तर दिखाई पड़ते थे। महिलाएं घरों से प्रोपर्टी बेचने का काम कर रही थीं। यह एक तरह से ग्रेटर नोएडा शहर का कुटीर उद्योग था।
वक्त बदला और प्रॉपर्टी डीलरों ने अपना काम बदल लिया। आज की तारीख में शहर के बड़े-बड़े और नामचीन प्रॉपर्टी डीलर छोटी-मोटी दुकानें चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। शायद लोग अंदाजा नहीं लगा सकते एक जमाने के बड़े प्रॉपर्टी डीलर आज रेस्टोरेंट, क्रोकरी की दुकान, बुक सेलर और कैब ड्राइवर बनकर कर गुजारा कर रहे हैं। लेकिन एक बार फिर ग्रेटर नोएडा के प्रॉपर्टी बाजार में बूम के आसार बन गए हैं। वह दिन दूर नहीं जब ग्रेटर नोएडा का प्रॉपर्टी बाजार एक बार फिर गुलजार होगा। इसकी कुछ खास वजह हैं। जिनका आकलन ट्राइसिटी टुडे ने किया है। पेश है या खास रिपोर्ट।
सबसे पहले हम यह जानने का प्रयास करते हैं कि ग्रेटर नोएडा में प्रॉपर्टी बाजार क्यों गिरा? जानकारों के मुताबिक इसके कुछ बड़े कारण हैं। शहर के अच्छे प्रॉपर्टी डीलरों में शुमार सुभाष भाटी कहते हैं कि ग्रेटर नोएडा के साथ सबसे बड़ी समस्या ओवर इन्वेस्टमेंट की रही। देसी नहीं दुनिया भर के लोगों ने ग्रेटर नोएडा में प्रॉपर्टी खरीद कर डाल दी। इन लोगों का मकसद शहर में आकर बसना नहीं था बल्कि, कीमतें बढ़ने पर मुनाफा हासिल करना था। ऐसे में शहर के पुराने सेक्टर भी खाली पड़े रह गए। जिसकी वजह से शहर में भूतहा घरों की संख्या बेतहाशा बढ़ गई और लोगों का भरोसा उठने लगा। कुल मिलाकर इन्वेंटरी ज्यादा थी और मार्केट में डिमांड कम थी। लिहाजा, कीमतें गिरना लाजिमी था।
एक और सबसे बड़ी समस्या यहां की खराब कानून व्यवस्था थी। लूटपाट और धोखाधड़ी आम बात हो गई थी। लोकल मजदूर यूनियन उद्योगों पर हावी थीं। संगठित आपराधिक गिरोह शहर में आने वाले कारोबारियों और उद्यमियों से रंगदारी और गुंडा टैक्स वसूल रहे थे। कम्पनियों के बड़े अफसरों की सरेआम हत्याएं कर दी गईं। जिससे निवेशकों ने ग्रेटर नोएडा से हाथ खींच लिया। दूसरी ओर किसान आंदोलन हुए। बादलपुर, बझेड़ा, घोड़ी बछेड़ा और फिर भट्टा परसौल में किसानों के साथ खूनी संघर्ष हो गए। मामले हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के हथौड़े के नीचे पहुंचे तो विकास योजनाएं थमना लाजिमी था। इस सब का असर ग्रेटर नोएडा की कारोबारी और औद्योगिक गतिविधियों पर पड़ा।
ग्रेटर नोएडा में प्रॉपर्टी मामलों के विशेषज्ञ एडवोकेट मुकेश शर्मा भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं और आगे कहते हैं, पिछली दो सरकारों का कामकाज नीतियों पर आधारित नहीं था। सरकारों ने शहर के औद्योगिक विकास पर ध्यान नहीं दिया और बिल्डरों को बेतहाशा जमीन बेच डाली। बिल्डरों ने एक के बाद एक सैकड़ों रेजिडेंशियल फ्लैट स्कीम लॉन्च कर दीं। आप अंदाजा नहीं लगा सकते कि आज की तारीख में करीब दो लाख घर बिना बिके पड़े हुए हैं। बिल्डरों को इन दो लाख फ्लैट्स के लिए खरीददार ढूंढने से भी नहीं मिल रहे हैं। दूसरी ओर प्राधिकरण ने अपनी खुद की रेजिडेंशियल स्कीम्स लॉन्च करना बंद कर दिया। दरअसल, आम आदमी का भरोसा सरकारी योजनाओं पर ज्यादा होता है और बिल्डरों पर कम। यह बात सच भी साबित हुई जब ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट में बिल्डरों ने धड़ाधड़ लाखों फ्लैट्स तो बेच दिए लेकिन 10-10 साल देरी के बावजूद अब तक उनकी डिलीवरी लोगों को नहीं मिल पाई है। ऐसे में शहर बदनाम हो गया और लोग यहां निवेश करने से डरने लगे।
एक बार फिर अब यह हालात बदलने की और हैं। उम्मीद है कि जल्दी ही ग्रेटर नोएडा के प्रॉपर्टी बाजार में फिर उछाल आएगा। इसकी जो प्रमुख वजह हैं, वह हम आपको बताते हैं। ग्रेटर नोएडा अब से 10 साल पहले तक कनेक्टिविटी के मामले में बेहद पिछड़ा हुआ था। गाजियाबाद, बुलंदशहर, मेरठ, कानपुर, आगरा, फरीदाबाद, गुड़गांव और दिल्ली तक जाने के लिए लोगों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी। यह समस्या अब पूरी तरह दूर हो चुकी है। ग्रेटर नोएडा और नोएडा के बीच एक्वा लाइन मेट्रो शुरू हो चुकी है। एक्वा लाइन मेट्रो का एक लिंक सीधे बॉटनिकल गार्डन से शहर को जोड़ने के लिए जल्दी ही शुरू होने वाला है। ग्रेटर नोएडा वेस्ट भी नोएडा से मेट्रो के जरिए जोड़ने वाला है। ऐसे में ग्रेटर नोएडा में रहकर नोएडा, दिल्ली और गाजियाबाद में नौकरी करना आसान हो जाएगा।
ग्रेटर नोएडा शहर पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे के जरिए पूरे दिल्ली-एनसीआर से अच्छी तरह जुड़ चुका है। दिल्ली के चारों ओर बागपत, सोनीपत, पानीपत, गुड़गांव, फरीदाबाद, गाजियाबाद से ग्रेटर नोएडा 1 से 2 घंटे की समयावधि में सिमट गया है। तीसरा सबसे बड़ा कारण जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्रोजेक्ट पर काम शुरू होने का लोगों को इंतजार है। जेवर एयरपोर्ट वैसे तो यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के दायरे में बनेगा लेकिन इसका सबसे बड़ा लाभ ग्रेटर नोएडा शहर को ही मिलने वाला है। दरअसल, अभी यमुना प्राधिकरण के क्षेत्र में आवासीय सुविधाओं को विकसित होने में कम से कम 10 वर्ष का समय लगेगा। इस दौरान जेवर एयरपोर्ट से जुड़ी गतिविधियों में शामिल होने वाले लोगों को रहने के लिए ग्रेटर नोएडा शहर में ही ठिकाने तलाश करने पड़ेंगे। वैसे भी जेवर एयरपोर्ट के सबसे नजदीक एक वर्ल्ड क्लास शहर के तौर पर ग्रेटर नोएडा ही सबसे बड़ा विकल्प है।
चौथी वजह है दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल फ्रेट कॉरिडोर है। इस रेलवे कॉरिडोर का निर्माण अंतिम चरण में चल रहा है और उम्मीद जताई जा रही है कि अगले एक वर्ष में यह काम करना शुरू कर देगा। यह रेलवे कोरिडोर ग्रेटर नोएडा से शुरू होकर करीब 1400 किलोमीटर दूर मुंबई में जवाहरलाल नेहरू पोर्ट तक जाता है। इसके लिए ग्रेटर नोएडा शहर में इंटीग्रेटेड टाउनशिप बसाई जा रही है। इस टाउनशिप में चीन, कोरिया, ताइवान, जापान, अमेरिका और यूरोप की 180 कंपनियों का निर्माण चल रहा है। जिसमें करीब 5 लाख लोग काम करेंगे। इस प्रोजेक्ट का जबरदस्त फायदा ग्रेटर नोएडा शहर को मिलेगा।
पांचवी वजह ग्रेटर नोएडा शहर के प्रति निवेशकों का विश्वास लौटना है। ग्रेटर नोएडा वेस्ट में फंसे हुए बिल्डरों के प्रोजेक्ट लगभग झंझट से बाहर निकल चुके हैं। उम्मीद है कि अगले डेढ़ से दो वर्षों में सभी फ्लैट खरीदारों को उनके घर मिल जाएंगे। आम्रपाली और सुपरटेक जैसे बड़े बिल्डरों को सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार की स्ट्रेस रिलीफ फंड के जरिए उबरने का बड़ा मौका मिला है। एडवोकेट मुकेश शर्मा कहते हैं कि इसमें कोई दो राय नहीं कि आने वाले समय में ग्रेटर नोएडा शहर का भविष्य और बेहतर है। उनका मानना है कि जब चीजें अव्यवस्थित हो जाती हैं तो उन्हें सुधरने में वक्त लगता है। इस दौरान सभी को नुकसान उठाना पड़ता ही है। यह अकेले ग्रेटर नोएडा शहर के साथ ही नहीं हुआ है, यह दुनिया और देश के बाकी नए बसने वाले शहरों के साथ भी होता रहा है। दरअसल सिस्टम का फायदा उठाकर पैसा कमाने वाले लोग गड़बड़ियां पैदा करते ही हैं। अब इस समस्या का समाधान होता नजर आ रहा है और बहुत जल्दी ग्रेटर नोएडा शहर दोबारा पटरी पर लौट आएगा।
छठी वजह सरकार की प्राथमिकता है। मौजूदा योगी आदित्यनाथ सरकार ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा में पुलिस कमिश्नरेट लागू की है। जिससे शहर में पुलिस का रसूख बढ़ गया है। संगठित अपराध को खत्म करने में मदद मिलेगी। शहर के आम बाशिंदे के साथ निवेशक और कारोबारी में सुरक्षा की भावना आई है। रविवार को मुख्यमंत्री ने कहा है, सशक्त पुलिस से भरोसा बढ़ता है और भरोसा निवेश में तब्दील होता है। इसमें कोई शक नहीं कि कानून-व्यवस्था सुधरने का लाभ शहर को मिलेगा।
कुल मिलाकर साफ है ग्रेटर नोएडा शहर अगले 1 से 2 वर्षों में एक बड़े रोजगार हब के रूप में विकसित होने जा रहा है। जब यहां रोजगार मिलेंगे तो आकर बसने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ेगी। यह असर दिखने लगा है और ग्रेटर नोएडा शहर के बाहरी सेक्टरों में भी बड़ी संख्या में लोग आकर बस गए हैं। एक अनुमान है कि अगले एक दशक में करीब 20 लाख लोगों को इस शहर में नए रोजगार मिलेंगे। मतलब, वर्ष 2020 से 2030 के बीच हर साल दो लाख लोगों को नौकरियां ग्रेटर नोएडा शहर देगा।