खेती बचाओ यात्रा में बोले राहुल गांधी- कृषि कानूनों के विरोध की लड़ाई केवल किसानों की नहीं, बल्कि पूरे देश की है

खेती बचाओ यात्रा में बोले राहुल गांधी- कृषि कानूनों के विरोध की लड़ाई केवल किसानों की नहीं, बल्कि पूरे देश की है

खेती बचाओ यात्रा में बोले राहुल गांधी- कृषि कानूनों के विरोध की लड़ाई केवल किसानों की नहीं, बल्कि पूरे देश की है

Social Media | Rahul Gandhi

Kheti Bachao Yatra:  कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नए कृषि कानूनों के मुद्दे पर केंद्र सरकार के प्रति अपना हमलावर रुख मंगलवार को भी जारी रखा और कहा कि इन कानूनों के विरुद्ध लड़ाई केवल किसानों और मजदूरों की नहीं है, बल्कि यह “भारत की लड़ाई है।” मोगा जिले से रविवार को शुरू हुई “खेती बचाओ” यात्रा के समापन पर पटियाला जिले के सनौर के पास स्थित फ्रांसवाला गांव में एक सभा को संबोधित करते हुए गांधी ने कहा कि अगर इन कानूनों को लागू कर दिया गया तो किसान और मजदूर कुछ कारपोरेट घरानों के “गुलाम” बनकर रह जाएंगे। 

राहुल गांधी ने मंगलवार की देर रात हरियाणा के कुरुक्षेत्र में भी एक जनसभा को सम्बोधित किया है। उन्होंने किसानों से कहा कि एक या दो साल में उनकी जमीनें कुछ “चुनिंदा” कारपोरेट हड़प लेंगे। उन्होंने कहा, “आप इस पर विश्वास करना चाहें या नहीं, लेकिन यह याद रखें कि राहुल और अमरिंदर सिंह ने कभी आपको बताया था कि आपकी जमीन हड़प ली जाएगी।” सभा में कई किसान अपने ट्रैक्टर लेकर आए थे।

राहुल गांधी ने कहा, “यह कार्रवाई करने का समय है। यदि आप छह महीने या साल भर रुक गए तो कोई फायदा नहीं होगा।” पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि नुकसान केवल किसानों, खेतिहर मजदूरों और छोटे व्यापारियों का ही नहीं बल्कि देश का है। गांधी ने कहा कि नए कानून लागू होने से अगर किसान प्रभावित हुए तो भारत की खाद्य सुरक्षा समाप्त हो जाएगी। उन्होंने कहा, “अगर यह होता है तो पूरा देश पुनः गुलाम बन जाएगा।” उन्होंने कहा, “यह लड़ाई केवल किसानों और मजदूरों की नहीं बल्कि पूरे भारत की है।” 

उन्होंने किसानों से कहा कि कारपोरेट कंपनियां नियम बनाएंगी और जिस मूल्य पर खरीदना चाहेंगी, वह किसानों को मानना होगा। कांग्रेस नेता ने कहा, '' जब आपकी जमीन चली जाएगी, तब वे मॉल और फ्लैट बनाएंगे। हम ऐसा नहीं होने देना चाहते। कांग्रेस ऐसा करने की अनुमति नहीं देगी। मैं आपको गारंटी दे सकता हूं कि हम एक कदम भी पीछे नहीं हटेंगे और इस लड़ाई को जारी रखेंगे। जब हमारी सरकार बनेगी तो हम इन कानूनों को रद्द कर देंगे।''
     
केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए गांधी ने कहा कि छह साल में सरकार ने गरीबों, कमजोर वर्ग के लोगों, किसानों और छोटे दुकानदारों के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा, “छह साल तक, उन्होंने किसानों के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने जो कुछ भी किया, वह अमीर वर्ग के लिए किया।” गांधी ने कहा कि केंद्र सरकार ने अमीर उद्योगपतियों के साढ़े तीन लाख करोड़ के ऋण माफ कर दिए लेकिन किसानों को कुछ नहीं दिया। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के बीच केंद्र सरकार तीन कृषि कानून लायी।

गांधी ने पूछा, '' किस बात की जल्दी थी, छह महीने या एक साल बाद क्यों नहीं?'' साथ ही दावा किया, '' ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि भाजपा नीत केंद्र सरकार ने सोचा कि कोविड-19 काल के दौरान पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान के किसान खड़े नहीं हो सकते और इन कानूनों को लाने का यह सबसे उचित समय है।'' उन्होंने कहा, '' लेकिन वह (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) नहीं जानते कि किसान मजबूत है और इन कानूनों के खिलाफ लड़ेगा।'' कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि अगर यह कानून किसानों के हित में थे तो सरकार ने इन कानूनों पर संसद में बहस क्यों नहीं की और चर्चा क्यों नहीं की गई?

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