ग्रेटर नोएडा वेस्ट में गरमाया स्कूल फीस का मुद्दा, निवासी बोले- स्कूल खुल नहीं रहे तो फीस कैसी

ग्रेटर नोएडा वेस्ट में गरमाया स्कूल फीस का मुद्दा, निवासी बोले- स्कूल खुल नहीं रहे तो फीस कैसी

ग्रेटर नोएडा वेस्ट में गरमाया स्कूल फीस का मुद्दा, निवासी बोले- स्कूल खुल नहीं रहे तो फीस कैसी

Tricity Today | Greater Noida West

करीब एक महीने से स्कूल बंद पड़े हैं। कई स्कूलों में तो परीक्षा भी पूरी नहीं हुई हैं। आने वाले महीना-दो महीना स्कूलों के खुलने का कोई आसार भी नहीं है। लेकिन, प्राइवेट स्कूलों के मैनेजमेंट ने अभिभावकों से फीस मांगने शुरू कर दी है। इतना ही नहीं कई स्कूलों ने तो फीस बढ़ाने का ऐलान भी कर दिया है। दूसरी ओर अभिभावक लामबंद हो रहे हैं। ग्रेटर नोएडा वेस्ट के अभिभावकों ने तो साफ कर दिया है कि जब पढ़ाई नहीं तो फिर कैसी? यह लोग तो इस साल 30 से 50 फ़ीसदी तक स्कूल फीस में कटौती करने की मांग कर रहे हैं।

ग्रेटर नोएडा वेस्ट में सुपरटेक इकोविलेज-2 हाउसिंग सोसायटी के निवासी मिहिर गौतम का कहना है कि स्कूल की फीस को गंभीरता से देखा जाए। बिना ट्रांसपोर्ट के ट्रांसपोर्ट का फीस क्यों? एक या दो ज़ूम क्लास हो रही हैं, जिसकी क्वालिटी भी अच्छी नहीं होती है। पूरी फ़ीस क्यों दिया जाए? लॉकडाउन में सब पर असर पड़ा है। अभिभावक कहां से पूरी फ़ीस दे पाएंगे अभिभावक? मिहिर कहते हैं कि बिना सुविधा के सुविधा शुल्क कहीं से भी न्यायसंगत नहीं है। ऊपर से वार्षिक शुल्क को भी मासिक शुल्क में जोड़ा जा रहा है, जिसकी वजह से कम से कम बीस से तीस फीसदी शुल्क वृद्धि हो रही है। कौन सी ऐसी कंपनी है, जो बीस से तीस फ़ीसदी तनख्वा बढ़ा रही है?

स्प्रिंग मीडोज हाउसिंग सोसायटी के निवासी विकास कुमार का कहना है कि सभी कंपनी सैलरी कम कर रही हैं। वहीं, स्कूल फीस बढ़ा रहे हैं। सालाना चार्जेस को मंथली फीस में जोड़ दिया है। इतनी फीस पैरेंट्स कहां से देंगे? लॉकडाउन में फीस माफ होनी चाहिए और फीस बढ़ोत्तरी नहीं की जाए। स्कूलों को 30 से 50 फीसदी फीस स्कूलों को घटानी चाहिए।

रणविजय शेखावत का कहना है कि पहले ही स्कूल सालाना और ट्यूशन फीस को जोड़कर कंपोजिट फीस के नाम पर ज्यादा फीस वसूल कर रहे हैं। वहीं, इस लॉकडाउन के समय भी स्कूल अभिभावकों से सम्पूर्ण फीस की मांग कर रहे हैं। इस आपदा के समय स्कूल मैनेजमेंट को भी स्कूल फीस में कटौती और ट्रांसपोर्टेशन फीस पूरी तरह माफ की जानी चाहिए। मृत्युंजय झा ने कहा कि उम्मीद है सरकार की तरफ से सकरात्मक निर्णय लिया जायेगा ताकि अभिभावक पर आर्थिक दवाव ना हो। स्कूल की फीस को गंभीरता से देखा जाए। बिना ट्रांसपोर्ट के ट्रांसपोर्ट का फीस क्यों? एक या दो ज़ूम क्लास, जिसकी क्वालिटी भी अच्छी नहीं होती, उसके नाम पर पूरी फ़ीस क्यों दी जाए? लॉक डाउन में सब पर असर पड़ा है। कहां से पूरी फ़ीस दे पाएंगे अभिभावक?

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