Tricity Today | Buyers in Shahberi wrote a letter to UP CM
शाहबेरी के खरीदारों ने एकबार फिर रविवार को अपना मामला उठाया है। यहां फ्लैट खरीदकर बिल्डर और भूमाफिया के झांसी में आए खरीददारों ने कहा है कि गौतमबुद्ध नगर पुलिस उनकी एफआईआर दर्ज नहीं कर रही है। पुलिस और प्राधिकरण की ओर से बिल्डरों और भूमाफिया पर दर्ज की गई एफआईआर बवेमायने हैं। उन पर अब तक कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की गई है। इतना ही नहीं खरीददारों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र भेजा है। जिसमें 9 सवाल पूछे हैं। खरीदारों का कहना है कि अगर सरकार इन 9 सवालों के जवाब तलाश कर ले तो ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण, लोन देने वाले बैंक, जिला प्रशासन और पुलिस की पोल खुल जाएगी।
यूपी की बजाय केंद्रीय जांच एजेंसी से इन्वेस्टिगेशन करवाने की मांग
शाहबेरी के फ्लैट खरीदारों ने मुख्यमंत्री को एक पत्र भेजा है। जिसमें उनकी एफआईआर दर्ज कराने, खरीदारों और प्राधिकरण की दर्ज शिकायतों की जांच किसी ऐसी एजेंसी से कराने की मांग की है, जो सरकार के अधीन न आती हो। इसके अलावा खरीदारों ने बैंकों से भी पूछा है कि उन्होंने जीरो रजिस्ट्री को कैसे बंधक रख ली हैं। शाहबेरी के खरीदार सचिन राघव, अभिनव खरे और मीना मोहपात्रा ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में लिखा है कि खरीदारों की ओर से बिल्डरों और भूमाफिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। अब तक खरीदारों और ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण की ओर से दर्ज की शिकायत की जांच किसी ऐसी एजेंसी से कराएं, जो राज्य सरकार के अन्तर्गत न आती हो। राज्य सरकार के अंतर्गत आने वाली कोई भी एजेंसी निष्पक्ष और ईमानदारी से सारे तथ्यों के साथ जांच नहीं कर सकती।
विकास प्राधिकरण, पुलिस, प्रशासन और रजिस्ट्री डिपार्टमेंट के अफसरों पर कार्रवाई हो
इन लोगों का कहना है कि अवैध निर्माण के समय तैनात रहे जिलाधिकारी, दादरी के प्रोपर्टी रजिस्ट्रार, विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी, प्राधिकरण के सीईओ, एसीईओ, सीनियर मैनेजर, मैनेजर, इंजीनियर और पुलिस के बिसरख थाना क्षेत्र में तैनात रहे पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई करें। खरीदारों को यूपी रिहैबिलिटेशन एक्ट 2013 के तहत शाहबेरी के अवैध घरों के बदले सुरक्षित घर देने की की मांग की गई है। खरीदारों ने बताया कि वह अब बैंकों से नोटिस, ईमेल और फोन पर पूछ रहे हैं कि शून्य रजिस्ट्री बंधक (गिरवी) कैसे रख ली गई हैं। बैंक ने अपनी लीगल और आर्किटेक्ट की रिपोर्ट में क्या लिख रखा है। लीगल और आर्किटेक्ट रिपोर्ट खरीदारों को मांगने पर क्यों नहीं दी जा रही।
हाईकोर्ट का स्थगन आदेश होने के बावजूद फ्लैट बने और लोन दिया गया
जब 1994 को शाहबेरी ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के क्षेत्र में आ चुका था। यहां पर किसी भी निर्माण से पहले अथॉरिटी से नक्शा पास होना जरूरी होता है। ऐसे में बैंकों ने अथॉरिटी से पास नक्शा क्यों नहीं लिया। शाहबेरी के जमीन मालिकों ने भूमि अधिग्रहण रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय में 25 याचिकाएं दाखिल की थीं। जिसमें सभी पक्षकारों को शाहबेरी में यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया था, जो अभी भी लागू है। ऐसी जमीन जिस पर हाईकोर्ट का स्थगनादेश है, उस भूमि पर हजारों फ्लैटों का निर्माण कैसे कर दिया गया है? इन फ्लैटों को बैंकों ने कैसे बंधक रख लिया। आईआईटी दिल्ली की रिपोर्ट में शाहबेरी की बिल्डिंग खतरनाक श्रेणी में हैं तो रिपोर्ट में इनकी उम्र 80-85 साल कैसे आ गई।
बैंक और खरीदार की ऑडियो हो रही है वायरल
शाहबेरी के खरीदारों ने बताया कि अभी एक रिकॉर्डिंग सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। जिसमे बैंक मैनेजर शाहबेरी के खरीदार को ईएमआई जमा करने के लिए फोन करता है तो खरीदार भड़क जाता है। क्योंकि खरीदार पिछले एक साल से नोटिस, ईमेल व फोन के माध्यम से बैंक से इन सवालों के जबाब मांग रहा है। खरीदार कह रहा है, "मैं ईएमआई जब दूंगा, जब आप मुझे मेरी बिल्डिंग को वैध करा देंगे। बिल्डिंग की गुणवत्ता की गारंटी लेंगे कि यह बिल्डिंग नहीं गिरेगी। अवैध फ्लैट के लिए वह लोग ईएमआई क्यों दें।"
एक साल से पुलिस ने बिल्डरों पर खरीददारों की एफआईआर दर्ज नहीं कीं
शाहबेरी के खरीदार अभिनव खरे का कहना है कि बैंकों ने आरबीआई के नियमों का उल्लंघन करके बिल्डरों से सांठगांठ कर शाहबेरी की जनता को फंसाया है। 80 खरीदारों की 20 शिकायतें दिए हुए 14 महीने से ज्यादा समय हो गया, लेकिन अभी तक पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की। पुलिस ने नवंबर 2019 में सभी बैंकों को नोटिस दिए थे और सभी बैंकों से जबाब भी आ गया था। जिसमें सब जबाब गुमराह करने वाले और झठे थे। इसके बाबजूद पुलिस ने 12 महीनों में बैंकों पर कोई कार्रवाई नहीं की है।
शाहबेरी के खरीदार ने मुख्यमंत्री को भेजे यह सवाल -
1- बैंकों ने शून्य रजिस्ट्री बंधक (गिरवी) कैसे रख ली? इसकी एवज में हजारों फ्लैट खरीदारों को करोड़ों रुपए के कर्ज कैसे दिए गए?
2- बैंक ने अपनी लीगल और आर्किटेक्ट की रिपोर्ट में क्या लिख रखा है? लीगल और आर्किटेक्ट रिपोर्ट खरीदारों को मांगने पर क्यों नहीं दी जा रही हैं?
3 - जब 21 फरवरी 1994 को शाहबेरी ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के क्षेत्र में आ चुका था और औद्योगिक विकास अधिनियम-1976 की धारा 9 के अनुसार किसी भी निर्माण से पहले अथॉरिटी से नक्शा पास होना जरुरी होता है तो बैंकों ने अथॉरिटी से पास नक्शा क्यों नहीं लिया?
4 - जब 29 जून 2013 से शाहबेरी में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया लंबित है और भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 4 व 6 की कार्यवाही हो चुकी है और सर्वोच्च न्यायलय में दाखिल CIVIL APPEAL No. 8003/2019 "शिव कुमार बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया व अन्य" में यह निर्धारित किया गया कि “भूमि अधिग्रहण अधिनियम-1974 की धारा-4 के बाद खरीद राज्य के विरुद्ध शून्य है, फिर अवैध निर्माण पर होम लोन देकर हमें कैसे फंसाया गया?
5 - शाहबेरी के जमीन मालिकों ने भूमि अधिग्रहण रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय इलाहाबाद में 25 याचिकाएं दाखिल की थीं, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार, कलेक्टर गौतमबुद्ध नगर, विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी पक्षकार हैं। उन याचिकाओं पर दिनांक 16 अक्टूबर 2014 को उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने सभी पक्षकारों को शाहबेरी में यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया था, जो अभी भी लागू है। ऐसी जमीन जिसकी प्रक्रिया उच्च न्यायालय इलाहाबाद में लंबित है, उस पर फ्लैट कैसे बने? इन फ्लैटों को बैंकों ने कैसे बंधक रख लिया?
6 - जब आईआईटी दिल्ली की रिपोर्ट में हमारी बिल्डिंगें खतरनाक श्रेणी में हैं तो आपकी रिपोर्ट में 80-85 साल उम्र कैसे आ गयी?
7- होम लोन के लिए आरबीआई के सर्कुलर के अनुसार-
i) बैंक द्वारा नियुक्त एक वास्तुकार को ऋण के संवितरण से पहले यह भी प्रमाणित करना होगा कि निर्मित संपत्ति कड़ाई से स्वीकृत योजना और/या उप-कानूनों के अनुसार है।
ii) उन संपत्तियों के संबंध में कोई ऋण नहीं दिया जाना चाहिए जो अनाधिकृत कॉलोनियों की श्रेणी में आते हैं, जब तक कि उन्हें नियमित और विकसित नहीं किया गया है और अन्य शुल्क भुगतान नहीं किए गए हैं। इसके बावजूद बैंकों ने आरबीआई के नियमों का उल्लंघन करके हमें क्यों फंसाया?
8 - अवैध फ्लैट के लिए हम ईएमआई क्यों दें? और बैंक मैनेजर खरीदार को गलत जानकारी के साथ गुमराह कर रहा है कि शाहबेरी में पहले जिला पंचायत नक्शा पास करती थी, उसके बाद चुनाव नहीं हुआ और जिला पंचायत रद्द हो गई।