Tricity Today | एसएचओ और उनकी डीएसपी पत्नी
अधिकांश अस्पतालों को खून की कमी का सामना करना पड़ रहा है। तालाबंदी के कारण ब्लड डोनर अस्पताल नहीं पहुंच रहे हैं। ग्रेटर नोएडा के शारदा अस्पताल में कोरोना संक्रमण के कारण भर्ती की गई महिला किडनी की बीमारी से भी पीड़ित थीं। उन्हें खून की जरूरत थी। ऐसे में नॉलेज पार्क के एसएचओ बलजीत सिंह और उनकी डीएसपी पत्नी आगे आए। दोनों शारदा अस्पताल पहुंचे और मरीज के लिए रक्तदान किया। महिला मरीज कोविड-19 से ठीक हो गई हैं। अस्पताल ने उनका डायलिसिस करके घर भेज दिया है।
53 वर्षीय महिला का इलाज ग्रेटर नोएडा के शारदा अस्पताल में चल रहा था। महिला को गुरुवार को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। इस महिला मरीज को कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद शारदा अस्पताल भेजा गया था। उन्हें डायलिसिस की भी जरूरत थी। दरअसल, ऐसे लोगों में जिनके शरीर में किडनी काम करना कम कर देती हैं, उनके शरीर के रक्त से अतिरिक्त पानी और विषाक्त पदार्थों को निकालने की एक प्रक्रिया है।
महिला को डायलिसिस के लिए रक्त की आवश्यकता थी और अस्पताल के कर्मचारियों को इसकी व्यवस्था करना मुश्किल हो रहा था। क्योंकि उनके रक्त कोष में खून की उपलब्धता नहीं थी। आजकल रक्तदाताओं की संख्या कम हो गई है। अस्पताल नॉलेज पार्क पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में आता है। 38 साल के एसएचओ बलजीत सिंह को अस्पताल की ओर से इस संकट के बारे में बताया गया। उन्होंने मदद का फैसला लिया।
बलजीत सिंह ने कहा, "मुझे बताया गया कि रोगी का रक्त समूह O पॉजिटिव है। इत्तेफाक से मेरा ब्लड ग्रुप भी O पॉजिटिव है। मेरी पत्नी रजनी सिंह मेरठ सीबीसीआईडी में डीएसपी हैं। वह भी घर आई हुई थीं। मैं अस्पताल जाने लगा तो उन्होंने कहा कि वह भी चलेंगी। उनका रक्त समूह A पॉजिटिव है।"
दरअसल, महिला के रिश्तेदार रक्त देने के लिए आगे आने से हिचक रहे थे क्योंकि उसे कोविड-19 था लेकिन एसएचओ बलजीत सिंह और डीएसपी रजनी सिंह के आगे आने के बाद रिश्तेदार भी रक्तदान के लिए आगे आ गए। मेरठ में डीएसपी के रूप में तैनात 44 वर्षीय उनकी पत्नी रजनी भी शहर में थीं। जब सिंह ने रक्तदान करने का फैसला किया तो उन्होंने भी स्वेच्छा से रक्त दिया।
महिला मरीज कोविड-19 से ठीक हो गई हैं और उन्हें गुरुवार की अस्पताल से छुट्टी देकर घर भेज दिया गया है। बलजीत सिंह ने कहा, "मुझे पता चला था कि अस्पताल को महिला के लिए रक्त की आवश्यकता है। मैंने स्वयं सेवक बनने का फैसला किया। मुझे खुशी है कि मेरी पत्नी ने भी स्वेच्छा से ऐसा किया। लॉकडाउन के चलते ब्लड बैंकों में रक्त की कमी का सामना करना पड़ रहा है। हम खुश हैं कि महिला ठीक हो गई हैं।" बलजीत सिंह ने कहा कि इस संकट में हर व्यक्ति को एक-दूसरे की मदद के लिए आगे आना चाहिए।
रोटरी नोएडा ब्लड बैंक स्वयं सेवकों को आगे आने और रक्तदान करने के लिए प्रोत्साहित करने की कोशिश कर रहा है। रोटरी नोएडा ब्लड बैंक के ट्रस्टी सुधीर वालिया ने कहा, "हम अपने स्वयं सेवकों और अन्य लोगों से आगे आने और रक्त दान करने की अपील कर रहे हैं। हम वैज्ञानिक और रक्त इकट्ठा करने के सबसे सुरक्षित तरीके का पालन कर रहे हैं। डोनर्स को डरने की जरूरत नहीं है। हमने हाल ही में जिले में दो रक्तदान शिविरों का आयोजन किया था और कई लोगों ने इन शिविरों में भाग लिया था।"
शारदा मेडिकल कॉलेज के रजिस्ट्रार अजित सिंह ने कहा, "जब हमें पता लगा कि महिला को डायलिसिस करने की जरूरत होगी तो हम मरीज के लिए खून की व्यवस्था करने में जुट गए। नॉलेज पार्क के एसएचओ बलजीत सिंह को फोन किया गया था कि शायद कोई पुलिसकर्मी रक्तदान के लिए आगे आ जाए। एसएचओ ने ब्लड ग्रुप पूछा। उन्हें बताया गया कि O पॉजिटिव चाहिए। इस पर एसएचओ खुद ही तैयार हो गए क्योंकि उनका ब्लड ग्रुप मैच कर गया। वह आए तो उनकी डीएसपी पत्नी भी साथ आ गईं। उन्होंने और उनकी पत्नी ने रक्तदान किया। हमें ऐसे अधिकारियों और लोगों की जरूरत है, जो मरीजों की मदद के लिए आगे आएं। महिला कोविड-19 से ठीक होकर अपने घर चली गई हैं। उन्हें लगभग 20 दिनों से कोविड-19 है और डायलिसिस किया जा रहा है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा कि प्रशासन को उन लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए और उनकी सराहना करनी चाहिए जो रक्तदान करने के लिए सामने आ रहे हैं। “यह महत्वपूर्ण है कि लोगों को रक्त दान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए क्योंकि देश में स्वास्थ्य संकट है। अगर हम ऐसे स्वयं सेवकों के काम की सराहना करेंगे तो यह दूसरों को प्रेरित करेगा। आईएमए नोएडा के अध्यक्ष डॉ एनके शर्मा ने कहा कि लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रशासन को दानदाताओं को पिकअप और ड्रॉप सुविधाएं देनी चाहिएं।