वैभव कृष्ण मामला: 5 आईपीएस अफसरों पर भ्रष्टाचार के आरोपों की एसआईटी जांच पूरी, कभी भी हो सकती है बड़ी कार्रवाई

वैभव कृष्ण मामला: 5 आईपीएस अफसरों पर भ्रष्टाचार के आरोपों की एसआईटी जांच पूरी, कभी भी हो सकती है बड़ी कार्रवाई

वैभव कृष्ण मामला: 5 आईपीएस अफसरों पर भ्रष्टाचार के आरोपों की एसआईटी जांच पूरी, कभी भी हो सकती है बड़ी कार्रवाई

Tricity Today | Vaibhav Krishna IPS

विशेष जांच टीम (SIT) ने उत्तर प्रदेश के पांच आईपीएस अफसरों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच पूरी कर ली है। एसआईटी अगले हफ्ते अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप सकती है। इसके बाद सरकार को फैसला लेना है। 

इस मामले में जुड़े सभी पुलिस अफसरों और अन्य संबंधित लोगों से एसआईटी पूछताछ पूरी कर चुकी है। एसआईटी के सभी अफसर एकसाथ बैठक करके जांच पर चर्चा करेंगे। इसके बाद रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी जाएगी। शासन के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार ने भी एसआईटी को कुछ दस्तावेज मुहैया करवाए हैं। शिकायतकर्ता ने पेन ड्राइव में सभी डिजिटल दस्तावेज उपलब्ध कराए थे। इसमें दो आईपीएस अफसरों की वायस रिकॉर्डिंग भी है। इसमें ट्रांसफर पोस्टिंग के नाम पर पैसों के लेन-देन की बात कर रहे हैं।

एक जिले के कप्तान ओवरलोड गाड़ियों को पास कराने का सौदा कर रहे हैं। हालांकि ये सभी दस्तावेज एसएसपी गौतमबुद्ध नगर रहे वैभव कृष्ण ने जांच अधिकारी को पूर्व में ही सौंप दिए थे।

आईपीएस अफसरों पर निलंबन से विभागीय कार्रवाई तक संभव ट्रांसफर पोस्टिंग के नाम पर पैसों के लेन-देन मामले की एसआईटी जांच में कई ऐसे तथ्य सामने आए हैं, जो पांचों आरोपी आईपीएस अफसरों को महंगा पड़ सकता है। सीएम योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति के तहत इनमें से कुछ अफसरों के निलंबन से लेकर विभागीय जांच तक की सिफारिश की जा सकती है।

नोएडा के एसएसपी रहे वैभव कृष्ण ने जिलों में तैनात रहे पांच आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। इसमें गाजियाबाद के एसएसपी रहे सुधीर कुमार सिंह, रामपुर के एसपी रहे अजय पाल शर्मा, बांदा के एसपी रहे गणेश साहा और सुल्तानपुर के एसपी रहे हिमांशु कुमार शामिल थे।

इसके अलावा कुशीनगर में एसपी रहे राजीव नारायण मिश्रा पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। हालांकि आरोप लगने से पहले ही उन्हें कुशीनगर से हटाकर एसटीएफ का एसएसपी बना दिया गया था। जनवरी में भ्रष्टाचार का मामला उजागर होने के बाद इन सभी पांचों आईपीएस अधिकारियों को उनके पदों से हटा दिया गया था।

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