Google Image | सुदीक्षा भाटी
ग्रेटर नोएडा के डेरी स्केनर गांव की होनहार छात्र सुदीक्षा भाटी की मौत से जुड़े मामले का बुलंदशहर पुलिस ने आखिरकार रविवार को पटाक्षेप कर दिया है। बुलंदशहर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने रविवार की दोपहर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की ओर इस पूरे मामले का खुलासा किया है। पुलिस ने साफ किया है कि सुदीक्षा की मौत हादसे में हुई थी। उनके साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की गई थी। हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों को गिरफ्तार करके जेल भी भेजा है। इनके कब्जे से एक बुलेट मोटरसाइकिल बरामद की गई है, जो हादसे की वजह बनी थी।
बुलंदशहर के एसएसपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया की सुदीक्षा भाटी की मौत हादसे में हुई है। उनके साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ की घटना नहीं हुई थी। सुदीक्षा के परिजनों की ओर से दर्ज करवाई गई एफआईआर में कहा गया है कि बाइक उनके चाचा सतेंद्र भाटी चला रहे थे। यह तथ्य गलत पाया गया है। सतेंद्र भाटी बाइक नहीं चला रहे थे। सुदीक्षा का चचेरा भाई निगम भाटी बाइक चला रहा था। निगम भाटी नाबालिग है। पुलिस ने खुलासे की पुष्टि करने के लिए सत्येंद्र भाटी के मोबाइल की सीडीआर और टावर लोकेशन रिपोर्ट पेश की हैं।
एसएसपी का कहना है कि एफआईआर में बताया गया कि बुलेट मोटरसाइकिल पर सवार युवकों ने एक-दो बार आगे पीछे किया और छेड़छाड़ की कोशिश की गई। पूरे प्रकरण की जांच पड़ताल में छेड़खानी की घटना सामने नहीं आई है। इसलिए मुकदमे में छेड़खानी की धारा को शामिल नहीं किया गया है। बुलंदशहर एआरटीओ कार्यालय से 10,719 बुलेट मोटर साइकिल के नंबर मिले थे। घटनास्थल के आसपास बुलंदशहर कोतवाली देहात, औरंगाबाद, खानपुर, जहांगीराबाद, नरसेना, स्याना और अगौता में रहने वाले लोगों के नाम यह मोटरसाइकिल रजिस्टर्ड हैं। इन सभी लोगों के मोबाइल नंबरों की सीडीआर हासिल की गई। मोबाइल की टावर लोकेशन निकाल कर देखा गया कि घटना के वक्त इन लोगों में से कौन घटनास्थल के आसपास मौजूद थे।
पुलिस ने सिकंदराबाद टोल प्लाजा से 12 सीसीटीवी फुटेज निकाले। जिसमें सुदीक्षा भाटी अपनी मोटरसाइकिल पर सवार होकर जाती दिख रही हैं। जिसमें सुदीक्षा का चचेरा भाई निगम भाटी बाइक चला रहा है। पुलिस ने टोल प्लाजा के अलावा हॉस्पिटल और तमाम दूसरी जगह पर लगे सीसीटीवी कैमरे से भी वीडियो फुटेज लेकर जांच पड़ताल की है। पुलिस ने हिंदुस्तान पेट्रोलियम के पेट्रोल पंप की भी सीसीटीवी फुटेज ली हैं। बुलंदशहर में मोती बाग और दूसरे इलाकों में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी पुलिस ने हासिल की।
अंततः कई दिन चली छानबीन के बाद पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की है। पुलिस ने पहले चौधरी दीपक सोलंकी नाम के व्यक्ति को गिरफ्तार किया। उससे पूछताछ की गई तो उसने हादसे की बात स्वीकार कर ली। आरोपी दीपक सोलंकी ने पुलिस की छानबीन और परेशानी से बचने के लिए अपनी बुलेट मोटरसाइकिल को 10 हजार रुपये खर्च करके मॉडिफाई करवा लिया था। उसने समाचारों में आई जानकारी के आधार पर बुलेट का रंग बदलवा दिया। हादसे के वक्त बुलेट मोटरसाइकिल का रंग काला था। मॉडिफिकेशन में बुलेट का रंग आर्मी कलर का कर दिया गया है। पुलिस ने बुलेट मोटरसाइकिल और उससे हटाए गए ऑटो पार्ट्स बरामद कर लिए हैं।
गौतलब है कि डेरी स्किनर गांव के रहने वाले जितेंद्र भाटी की बेटी सुदीक्षा भाटी ने एचसीएल फाउंडेशन के स्कूल विद्या ज्ञान से पढ़ाई की थी। वर्ष 2018 की सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में सुदीक्षा ने 98 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे। अच्छे अंक आने के बाद सुदीक्षा को अमेरिका के बाॅबसन कॉलेज में दाखिला मिल गया। जिसके बाद उसे 3.83 करोड़ रुपये की स्काॅलरशिप दी गई थी। जून माह में वह कोरोना संक्रमण में लाॅकडाउन के कारण गांव आई हुई थी। आगामी 20 अगस्त को उसे वापस अमेरिका लौटना था। सोमवार को उसकी मौत हो गई थी।
सुदीक्षा भाटी ने सीबीएसई की 12वीं की परीक्षा में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में 98 फीसदी अंकों के साथ टॉप किया था। सिकंदराबाद के दुल्हेरा गांव के विद्या ज्ञान स्कूल की छात्रा सुदीक्षा भाटी ने 12वीं कक्षा में अंग्रेजी विषय में 95, इतिहास में 100, राजनीति विज्ञान में 96, भूगोल में 99, अर्थशास्त्र में 100 अंक हासिल किए थे।
सुदीक्षा का चयन साल 2011 में विद्याज्ञान लीडरशिप एकेडमी स्कूल में हुआ। वहीं से उनकी जिंदगी में बदलाव आया था। अब सुदीक्षा बॉबसन कॉलेज से आंत्रेप्रेन्यॉरशिप में ग्रैजुएशन कर रही थीं। सुदीक्षा भाटी बचपन से ही पढ़ने में काफी तेज थीं। आपको बता दें कि स्कूल की ओर से स्कॉलरशिप के लिए अमेरिका में आवेदन किया था। सुदीक्षा का कहना था कि उसका सपना सच हो गया। सुदीक्षा अगस्त 2018 में अमेरिका गई थीं। सुदीक्षा की कामयाबी इसलिए और ज्यादा बड़ी थी क्योंकि वह एक गरीब परिवार से आई थीं। उनके पिता चाय बेचने का काम करते हैं, लेकिन उन्होंने कभी भी इस बात को सुदीक्षा की पढ़ाई के आड़े नहीं आने दिया था।