नोएडा में दिवाली के दिन भी आत्महत्याओं का सिलसिला जारी रहा, 25 साल के युवक ने फांसी लगाई

नोएडा में दिवाली के दिन भी आत्महत्याओं का सिलसिला जारी रहा, 25 साल के युवक ने फांसी लगाई

नोएडा में दिवाली के दिन भी आत्महत्याओं का सिलसिला जारी रहा, 25 साल के युवक ने फांसी लगाई

Google Image | प्रतीकात्मक फोटो

नोएडा में अवसादग्रस्त लोगों की आत्महत्याओं का सिलसिला दीवाली के त्यौहार पर भी जारी रहा। शहर के सेक्टर-39 थाना क्षेत्र में शनिवार की सुबह एक व्यक्ति ने अपने घर में पंखे से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। आपको बता दें कि शहर में पिछले छह महीनों के दौरान 300 से ज्यादा लोगों ने आत्महत्याएं की हैं। यह सिलसिला लगातार जारी है।

नोएडा के अपर पुलिस उपायुक्त रणविजय सिंह ने बताया कि सेक्टर-39 थानाक्षेत्र के सलारपुर कॉलोनी में रहने वाले विपिन कुमार (25 वर्ष) ने अपने घर पर पंखे से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। उन्होंने बताया कि कुमार ने कोई सुसाइड नोट नहीं छोड़ा है। उन्होंने बताया कि पुलिस मौत के कारणों का पता लगा रही है।

एक अप्रैल 2020 से 30 सितंबर तक जिले में 182 लोगों ने आत्महत्या की थीं। जून के महीने में जब पूरी तरह तालाबंदी लागू थी, सबसे ज्यादा 34 लोगों ने आत्महत्या की थीं। अप्रैल से लेकर सितंबर तक हर महीने 30 से ज्यादा लोगों ने सुसाइड किए हैं। अप्रैल के महीने में 24 लोगों ने मौत को गले लगाया। मई में 31 लोगों ने आत्महत्या की थीं। जून में सबसे ज्यादा 34 केस सामने आए। जुलाई में 30 लोगों ने सुसाइड किए थे। अगस्त में 31 और सितंबर में 32 आत्महत्या के केस दर्ज किए गए हैं। इस तरह गौतमबुद्ध नगर में 1 अप्रैल से 30 सितंबर 2020 तक 182 लोगों ने मौत को चुना है। कोरोना वायरस संक्रमण के कारण हुई मौतों के मुकाबले यह संख्या 3 गुने से भी ज्यादा है।

लॉकडाउन के बाद आत्महत्या के मामले दोगुने हो गए

कोरोना वायरस के कारण फैली विश्वव्यापी महामारी से पहले गौतमबुद्ध नगर में हर महीने औसतन 15 आत्महत्या का आंकड़ा है। गौतमबुद्ध नगर डिस्ट्रिक्ट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक जनवरी 2020 में 16 लोगों ने आत्महत्या की थी। फरवरी में 19 लोगों ने और मार्च में 15 लोगों ने सुसाइड किए थे। 23 मार्च को देशभर में लॉकडाउन लागू हुआ था। लिहाजा, एक अप्रैल के बाद हुई आत्महत्याओं की संख्या 31 मार्च तक के मामलों से दोगुने से भी ज्यादा हैं।

आत्महत्या करने वाला कोई कर्जदार तो कोई बेरोजगार

इन आत्महत्याओं के मामलों की जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ज्यादातर ऐसे लोग हैं, जो लॉकडाउन के कारण बेरोजगार हो गए हैं। उनके कारोबार डूब गए हैं। ऐसे लोगों की संख्या भी ज्यादा है, जिनके ऊपर भारी कर्ज है और चुकाने का दबाव है। दूसरी ओर आमदनी खत्म हो जाने के कारण संकट में घिर गए हैं। इन सारे दबावों में आत्मघाती कदम लोग उठा रहे हैं। बड़ी बात यह है कि आत्महत्या करने वालों में पुरुषों की संख्या महिलाओं के मुकाबले करीब तीन गुनी है।

लॉकडाउन के दौरान 160 लोगों ने सुसाइड की कोशिश की

24 मार्च 2020 को गौतमबुद्ध नगर में लॉकडाउन लागू किया गया था। यह लॉकडाउन 30 जून तक जारी रहा। इस दौरान गौतमबुद्ध नगर पुलिस कंट्रोल रूम को 160 लोगों ने आत्महत्या करने के प्रयास के बारे में जानकारी दी। पुलिस ने इन लोगों को धैर्य बंधाया। समस्या का समाधान करवाने का आश्वासन दिया। इन लोगों को काउंसलर से मिलवाया। जिससे इनकी जान बची है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि सामान्य दिनों के मुकाबले यह संख्या बहुत ज्यादा थी।

अपने ही बचा सकते हैं अपनों की जान

ग्रेटर नोएडा में गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के मनोचिकित्सा विभाग में एचओडी डॉ आनंद प्रताप सिंह का कहना है कि इस पूरे दौर में अपने ही अपनों की जान बचा सकते हैं। लगभग ज्यादातर मामलों में परिवार के सदस्यों को परेशानियों की पूरी जानकारी होती है। ऐसे में उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वह दबाव से गुजर रहे अपने परिवार के सदस्य की देखभाल करें। उसका मनोबल बढ़ाएं। समस्या का समाधान करने में उसकी भरपूर मदद करें। अगर किसी व्यक्ति में सुसाइडल टेंडेंसी डिवेलप हो रही है तो उसे तत्काल मनोचिकित्सक से मिलवाना चाहिए। ऐसा बहुत कम होता है कि पहले ही प्रयास में कोई व्यक्ति आत्महत्या कर ले। आत्महत्या से पहले प्रभावित व्यक्ति ऐसा करने का प्रयास करता है। जिसके बारे में पता चलते ही गंभीरता से लिया जाना चाहिए। 

डॉ आनंद प्रताप सिंह का कहना है कि लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था का बुरा हाल है। बड़ी संख्या में नौकरियां चली गई हैं। कम उम्र के लोग और करियर ओरिएंटेड पर्सनैलिटी ऐसी समस्याओं से जल्दी ग्रसित होते हैं। उन्हें बताया जाना चाहिए कि यह कोई बड़ी समस्या नहीं है। बुरा दौर है गुजर जाएगा। उसके बाद हालात सामान्य होंगे। लोगों को नौकरियां वापस मिलेंगी। इस बुरे वक्त में लोगों को धैर्य के साथ समस्याओं के समाधान तलाश करने की आवश्यकता है। यह बात सही है कि कोरोना संकमण के कारण इतने लोगों की मौत नहीं हुई हैं, उससे कई गुना ज्यादा लोगों ने दबाव में आकर आत्महत्या जैसे आत्मघाती कदम उठाए हैं।

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