सुशांत राजपूत: बैक स्टेज डांसर से करियर की शुरुआत और महेंद्र सिंह धोनी बनने तक की पूरी कहानी

सुशांत राजपूत: बैक स्टेज डांसर से करियर की शुरुआत और महेंद्र सिंह धोनी बनने तक की पूरी कहानी

सुशांत राजपूत: बैक स्टेज डांसर से करियर की शुरुआत और महेंद्र सिंह धोनी बनने तक की पूरी कहानी

Tricity Today | सुशांत राजपूत

बिहार के छोटे से कस्बे पूर्णिया से पटना पहुंचे सुशांत राजपूत की मां का निधन हुआ। पटना से वह परिवार के साथ दिल्ली आ गए। मां की मौत के सदमे से बमुश्किल ऊबरे और दिल्ली में पुरजोर ढंग से पढ़ाई में दिल लगाया। दिल्ली कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग में पढ़ाई शुरू की और एक दिन श्यामक डावर की डांस क्लासेज में चले गए। फिर वहां से पीछे मुड़कर सुशांत राजपूत ने न तो किताबों की तरफ देखा और न दिल्ली की तरफ। 

सुशांत सिंह राजपूत के कैरियर की शुरुआत एक बैक स्टेज डांसर के तौर पर हुई। लेकिन वह दिन भी आया जब उन्होंने क्रिकेट जगत के सफलतम कप्तानों में से एक महेंद्र सिंह धोनी की आत्मकथात्मक फिल्म में धोनी बनने का मौका हासिल किया। इसके बीच वह छोटे पर्दे पर खूब छाए रहे कई शानदार दिल्ली शोज में काम किया। डांस शो 'झलक दिखला जा' के विनर बने।

दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में एक छात्र के रूप में सुशांत राजपूत ने श्यामक डावर की नृत्य कक्षाओं में दाखिला लिया। यहीं से उनके मन में अभिनय में करियर बनाने का विचार आया। क्योंकि उनके कुछ साथी छात्र अभिनय में रुचि रखते थे और बैरी जॉन की नाटक कक्षाओं में भाग ले रहे थे। उनसे प्रभावित होकर राजपूत भी अभिनय की कक्षाओं में शामिल हो गए। उन्होंने अभिनय के लिए अपना जुनून पाया, एक बार सुशांत ने कहा था, "मैं उस अनुभव को मुक्त नहीं कर पाया। मुझे एहसास हुआ कि मैं दर्शकों के साथ संवाद कर सकता हूं। मुझे लगा कि मैं हमेशा से ऐसा करना चाहता था। बस मुझे उसके बारे में अनुमान नहीं था।"

डांस क्लास में शामिल होने के कुछ महीनों के बाद राजपूत को डावर के स्टैंडर्ड डांस ट्रूप का सदस्य चुना गया। 2005 में उन्हें 51वें फिल्म फेयर अवार्ड्स में बैकग्राउंड डांसर्स के समूह के लिए चुना गया। 2006 में वह उस वह उस ग्रुप का हिस्सा थे, जिसे 2006 के राष्ट्रमंडल खेलों के उद्घाटन समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रदर्शन करने के लिए ऑस्ट्रेलिया भेजा गया था। इस समय तक इंजीनियरिंग से उनका मोह भंग हो गया था। वह नृत्य और नाटक कक्षाओं में खुश और सफल हो रहे थे। लिहाजा, सुशांत ने वही करने का फैसला किया जो उन्हें अच्छा लग रहा था। वह इंजीनियरिंग से बाहर हो गए और उन्होंने अपना पूरा समय नृत्य और अभिनय में समर्पित कर दिया।

फिल्मों में मौका तलाशने के लिए राजपूत मुंबई चले गए और नादिरा बब्बर के एकजुट थिएटर समूह में शामिल हो गए। वहां ढाई साल तक सीखते रहे। इस समय के दौरान उन्हें नेस्ले मंच के लिए एक टीवी विज्ञापन में दिखाया गया, जो पूरे भारत में प्रसिद्ध हो गया।

साल 2008 से 2014 तक सुशांत सिंह राजपूत टीवी और फिल्म में काम करते रहे। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2014 में आमिर खान और अनुष्का शर्मा अभिनीत फिल्म पीके आई थी। राजकुमार हीरानी ने पीके में सुशांत सिंह राजपूत को एक छोटा सा रोल दिया था। हालांकि इस रोल के बहाने उन्हें आमिर खान के साथ काम करने का मौका मिल गया था। बड़ा बदलाव ठीक 2 साल बाद 2016 में हुआ, जब नीरज पांडे जैसे दिग्गज निर्देशक की बायोपिक फिल्म महेंद्र सिंह धोनी में उन्हें लीड रोल मिला। सुशांत सिंह राजपूत ने ना केवल महेंद्र सिंह धोनी के किरदार को बखूबी निभाया बल्कि लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया। 

इसके बाद सुशांत सिंह राजपूत के लिए मुंबई फिल्म इंडस्ट्री के दरवाजे पूरी तरह खुल गए। आज जब सुशांत राजपूत ने आत्मघाती कदम उठाया है तो उनके पास करीब एक दर्जन शानदार फिल्में साइन हैं। सवाल बस यही छोड़कर गए हैं कि इतनी झंझावातों से गुजरने और जमीन से उठकर आसमान पर पहुंचने वाला इंसान आखिर आत्महत्या जैसा कदम क्यों उठाएगा। आज सुशांत सिंह राजपूत जिस मुकाम पर हैं, उसके पीछे गुजरे दिन इससे ज्यादा बेहतर तो नहीं थे।

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