मजदूर की बीवी ने चिचिलाती धूप में सड़क पर दिया बच्चे को जन्म, पैदल चलकर अपने घर जा रही थी

मजदूर की बीवी ने चिचिलाती धूप में सड़क पर दिया बच्चे को जन्म, पैदल चलकर अपने घर जा रही थी

मजदूर की बीवी ने चिचिलाती धूप में सड़क पर दिया बच्चे को जन्म, पैदल चलकर अपने घर जा रही थी

Tricity Today | प्रतीकात्मक फोटो

शहर से पैदल अपने गांव लौट रही गर्भवती महिला ने चिलचिलाती धूप में सड़क पर ही बच्चे को जन्म दिया। अभी बच्चा होने की खुशी ढंग से मनी भी नहीं थी कि महिला प्रसव के 2 घंटे बाद ही बच्चे को लेकर पैदल चलने लगी। चौंकाने वाला यह वाकया मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले का है।

लॉकडाउन में नासिक से 30 किलोमीटर पहले से पैदल चल कर कर आ रही दो मजदूरों की पत्नियां गर्भवती थी जिसमें से एक महिला शकुंतला ने महाराष्ट्र के पीपरी गांव में बच्चे को जन्म दे दिया। सड़क किनारे ही साथ चल रही महिलाओं ने साड़ी की आड़ कर महिला का प्रसव कराया। बिना हॉस्पिटल जाए, बगैर जच्चा-बच्चा के चेकअप और बगैर किसी डॉक्टर को मिले बच्चे के जन्म के बाद महिला फिर भूखे-प्यासे ही पैदल सफर पर चल दी।

यह परिवार पैदल चलते हुए रविवार को मध्य प्रदेश के सेंधवा पहुंचे। इसके साथ में चल रहे अन्य मजदूर की पत्नी 8 माह के गर्भ से थी लेकिन इस चिलचिलाती धूप में अपने सफर को जारी रखे हुए थी। पैदल चलते-चलते आखिर यह सेंधवा पंहुच गए। इन सभी को सतना जाना है। मध्य प्रदेश-महाराष्ट्र के बॉर्डर पर ग्रामीण थाना प्रभारी की नजर उन पर पड़ी। इन लोगों से बातचीत और इनका दर्द को समझने के बाद उच्च अधिकारियों से बात कर इन्हें क्वारनटीन सेंटर लाया गया। बाद में दोनों महिलाओं को सेंधवा के शासकीय हॉस्पिटल में दिखाया गया।

महिला के पति राकेश ने बताया कि हम नासिक से 30 किलोमीटर दूर रहते थे। वहां से आ रहे हैं और एमपी के सतना जिले में पैदल जा रहे हैं। मेरे साथ में मेरी पत्नी है और बच्चे हैं। वहां से चले और पीपरी गांव तक पहुंचे तो मेरी बीवी की डिलीवरी हो गई। बाई लोगों ने उसे पकड़ के साइड में लिया और साड़ियों की आड़ में डिलीवरी कराई। हम वहां 2 घंटा रुके और फिर अपने गांव अपनी पत्नी और बच्चे को लेकर पैदल चल दिए।

सेंधवा ग्रामीण के थाना प्रभारी विश्वदीप परिहार ने बताया कि यह नासिक से 30 किलोमीटर दूर किसी गांव में काम करते थे और यह सतना जिले के उपचारया गांव के रहने वाले हैं। यह करीबन 15-16 मजदूर हैं और इनके साथ 8-10 बच्चे भी हैं। इनमें से एक महिला है शकुंतला नाम की और उसके पति का नाम राकेश है। यह लोग आ रहे थे तो नासिक और धुलिया के बीच में महिला की डिलीवरी हुई है। वहां कुछ स्थानीय लोगों ने उनकी मदद की और वह वहां करीबन डेढ़-दो घंटा रुके, उसके बाद नवजात शिशु को अपने हाथ में लेकर महिला चल दी। कभी कुछ वाहन में बैठकर, कभी पैदल चलकर वह यहां तक आए हैं। जहां आकर हमें देखकर भागने लगे तो उनसे रोककर बात की और एसडीएम धनगर साहब से बात कर उनके लिए बस की व्यवस्था करवाई।

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