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छह महीने पहले गौतमबुद्ध नगर में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू किया गया है। जिसके लिए जिले में 38 पीपीएस और आईपीएस स्तर के अफसरों की पोस्टिंग की गई है। 1400 जूनियर लेवल के अधिकारी तैनात किए गए हैं। अभी इन लोगों के लिए सरकार आवास का इंतजाम नहीं कर पाई है। ऐसे में अस्थाई रूप से पुलिस अधिकारियों को गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी के परिसर में खाली पड़े घरों में शिफ्ट किया गया था। अब अचानक गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी ने इन घरों का किराया 5 गुना बढ़ा दिया है। इसकी वजह से पुलिस अफसर परेशान हैं। अफसरों का कहना है कि इतना महंगा किराया देना उन लोगों के लिए परेशानी का कारण बन गया है।
गौतम बुद्ध नगर में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के बाद यहां तैनाती पर आए अधिकारियों के लिए आवासीय सुविधा मुहैया कराने की जिम्मेदारी नोएडा और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को सौंपी गई थी। अधिकारियों के बीच बातचीत हुई और फैसला लिया गया कि गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी में खाली पड़े घर पुलिस अफसरों को दे दिए जाएं। दरअसल, गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी एक अंतरराष्ट्रीय आधारभूत ढांचे वाला शिक्षण संस्थान है। विश्वविद्यालय परिसर में ही करीब 1000 लोगों के लिए आवासीय सुविधाएं हैं। जिनमें विश्वविद्यालय प्रशासन, शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारी रह रहे हैं। इस सब के बावजूद वहां बड़ी संख्या में आवास उपलब्ध थे।
गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी ने एसीपी और डीसीपी स्तर के पुलिस अधिकारियों को अपने टाइप-4 घर उपलब्ध करवाए। जिनमें 2 बेडरूम, 1 ड्राइंग रूम, किचन और अटैच टॉयलेट हैं। इन घरों के लिए यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन शुरुआत में 2400 रुपए बतौर आवासीय भत्ता वसूल कर रहा था। जून महीने में यूनिवर्सिटी ने अचानक इन घरों का मासिक किराया 15,000 रुपये कर दिया है। पुलिस अफसरों को विश्वविद्यालय की ओर से बताया गया है कि किराए की यह नई दरें 1 सितंबर से लागू कर दी जाएंगी।
गौतमबुद्ध नगर में तैनात पुलिस उपायुक्त स्तर के एक अधिकारी ने कहा, "यह फैसला बदलना चाहिए। दरअसल, हम लोग अभी बिजली के बिल के रूप में हर महीने छह-सात हजार रुपए का भुगतान कर रहे हैं। अब अगर घर का किराया 15,000 रुपये तक बढ़ा दिया जाएगा तो हमें हर महीने 21-22 हजार रुपये का भुगतान करना होगा। यह धनराशि हमारे वेतन का एक तिहाई हिस्सा है।"
एक अन्य अधिकारी ने कहा, "उत्तर प्रदेश सरकार के नियमों के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में आवासीय परिसर के लिए 4,000 रुपये किराया भत्ता दिया जाता है। शहरी क्षेत्रों में यह किराया भत्ता 10,000 रुपये होता है। गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ग्रामीण क्षेत्र में है। लिहाजा, हमें वहां रहने के लिए सरकार की ओर से केवल 4,000 रुपये मिलते हैं। ऐसे में अगर किराया 15,000 हो जाएगा तो हमें 11,000 रुपये अतिरिक्त अपनी जेब से चुकाने होंगे। लिहाजा, इस मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन को पुनर्विचार करना चाहिए।
मिली जानकारी के मुताबिक जुलाई के महीने में पुलिस अधिकारियों ने गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर बीपी शर्मा से मुलाकात की थी। यूनिवर्सिटी की ओर से बढ़ाए गए किराए को वापस लेने के लिए कहा था। इस पर विश्वविद्यालय के कुलपति ने पुलिस अधिकारियों को जल्दी ही निर्णय लेने का आश्वासन दिया था। अधिकारियों का कहना है कि अगस्त महीना बीतने वाला है, लेकिन अभी तक विश्वविद्यालय प्रशासन ने कोई निर्णय नहीं लिया है। इस बारे में कुलपति डॉ बीपी शर्मा का कहना है कि उन्होंने रजिस्ट्रार को इस मसले पर उचित निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
दूसरी ओर रजिस्ट्रार एसएन तिवारी ने कहा, "किराए की दरें बढ़ाई गई थीं। विश्वविद्यालय के लिए काम नहीं करने वालों के लिए यह दरें बढ़ाई गई हैं। कुलपति के निर्देश पर पुनर्विचार कर रहे हैं। जल्दी ही इसका समाधान हो जाएगा। कुल मिलाकर ये मामला अभी अटका हुआ है। दूसरी ओर गौतम बुद्ध नगर पुलिस ने राज्य सरकार से आवासीय और कार्यालयीय सुविधाएं जल्दी से जल्दी विकसित करने के लिए एक प्रस्ताव भेजा है। इस प्रस्ताव पर राज्य सरकार का गृह विभाग विचार कर रहा है। अधिकारियों का कहना है कि जल्दी ही गौतमबुद्ध नगर पुलिस को इन सुविधाओं का विकास करने के लिए बजट उपलब्ध करवाया जाएगा।