Google Image | प्रतीकात्मक फोटो
तकरीबन 20 दिन पूर्व ईकोटेक 3 थाना क्षेत्र में फैक्ट्री के अंदर हुई मजदूर की हत्या में न्याय न मिलने से निराश उसके परिजन अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर न्याय की गुहार लगाएंगे। इस बाबत परिजनों ने मुख्यमंत्री से समय मांगा है।
मालूम हो कि 6 सितंबर 2020 की रात ईकोटेक तीन थाना क्षेत्र में स्थित सरस इंपैक्ट उद्योग केंद्र फैक्ट्री में चंद्र प्रताप सिंह नामक मजदूर की सुरक्षा गार्ड विष्णु दयाल ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। कंपनी के प्रबंधन ने पुलिस के साथ सांठगांठ करके मृतक मजदूर के शव को अज्ञात में दशा कर पोस्टमार्टम में करा दिया। इस बाबत मृतक के परिजनों को जानकारी मिलने पर चंद्र प्रकाश सिंह के परिजन तुरंत नोएडा पहुंचे तथा शव को कब्जे में लेकर उसका अंतिम संस्कार किया।
परिजनों ने इस मामले को लेकर थाना प्रभारी अनीता चौहान से एफ आई आर दर्ज करने की गुहार की। लेकिन पुलिस ने अभी तक मृतक परिजनों की एफ आई आर दर्ज नहीं की। इस मामले को लेकर हिंद मजदूर सभा तथा अन्य श्रमिक संगठनों ने नगर मजिस्ट्रेट कार्यालय पर प्रदर्शन भी किया था तथा मुख्यमंत्री को प्रेषित एक ज्ञापन नगर मजिस्ट्रेट को सौंपा था। इस बीच पुलिस के आला अधिकारियों ने थाना प्रभारी पर कार्रवाई करने के बजाय उसका मलाईदार थाने में तबादला भी कर दिया।
मृतक के परिजनों तथा मजदूर संगठनों का आरोप है कि मृतक चंद्र प्रताप सिंह इस फैक्ट्री में वर्ष 2009 से लगातार कार्य कर रहा था। कोरोना काल में लॉकडाउन के कारण वह गांव चला गया था। 26 अगस्त को नोएडा आया था तथा कंपनी में नौकरी के लिए गया। लेकिन कंपनी प्रबंधन ने उसे नौकरी देने से मना कर दिया। चंद्र प्रताप सिंह ने पीएफ के बकाया ढाई लाख रुपए कि जब मांग की तो उसे कंपनी प्रबंधन ने धमकाया तथा आजकल कहकर टरकाते रहे। 6 सितंबर की रात फैक्ट्री के सुरक्षा गार्ड विष्णु दयाल ने यह आरोप लगाकर चंद प्रताप सिंह की छाती पर गोली मारकर उसकी हत्या कर दी कि वह चोरी की नियत से फैक्ट्री में घुसने का प्रयास कर रहा था। सुरक्षा गार्ड का कहना है कि चंद्र प्रताप के साथ चार पांच लोग और भी थे। लेकिन पुलिस अभी तक सीसीटीवी कैमरा की फुटेज नहीं दिखा पाई।
इस मामले में खास बात यह है कि मृतक मजदूर यहां पिछले तकरीबन 12 वर्ष से कार्य कर रहा था तथा गोली मारने वाला सुरक्षा कार्ड विष्णु दयाल भी उसको अच्छी तरीके से जानता था। इसके बावजूद भी मजदूर के शव को अज्ञात दिखा कर पोस्टमार्टम क्यों करा दिया गया तथा उसकी शिनाख्त क्यों नहीं करवाई गई। उधर इस मामले में जांच अधिकारी द्वारा पीड़ित के परिजनों को फ ोन करके समझौता करने का दबाव डालना भी कई सवाल खड़े कर रहा है।
खास बात यह है कि चंद्र प्रताप की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में 2 दिन पूर्व मौत का जिक्र किया गया है। इस मामले में अभी तक पुलिस द्वारा एफ आई आर दर्ज किया जाना कई सवाल खड़े करता है। इसको लेकर परिजनों तथा मजदूर संगठनों में क़ाफी आक्रोश है।