शाहबेरी कांड की सीबीआई जांच होनी चाहिए, गौतमबुद्ध नगर के पुलिस, प्रशासन और प्राधिकरण नाकाम

शाहबेरी कांड की सीबीआई जांच होनी चाहिए, गौतमबुद्ध नगर के पुलिस, प्रशासन और प्राधिकरण नाकाम

शाहबेरी कांड की सीबीआई जांच होनी चाहिए, गौतमबुद्ध नगर के पुलिस, प्रशासन और प्राधिकरण नाकाम

Google Image | शाहबेरी कांड

लोगों ने कहा- यहां की इमारतों पर फैसला दो साल में भी नहीं हो सकाgangaविकास प्राधिकरण पर बिल्डर और भू माफियाओं से सांठगांठ का आरोपgangaप्राधिकरण सीलिंग करके जाता है और अगले दिन ही काम शुरू हो जाता हैgangaलोगों का आरोप- सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं ने प्रॉपर्टी डीलर को संरक्षण दियाgangaठीक दो साल पहले शाहबेरी में गिरी थी इमारत, 10 लोगों की मौत हो गई थी

शाहबेरी हादसे के दो साल पूरे हो गए, लेकिन अभी तक यहां की इमारतों पर कोई फैसला नहीं हो पाया। अब तो लोगों का धैर्य जवाब देने लगा है। गौतम बुध नगर जिला प्रशासन और विकास प्राधिकरण से भरोसा उठ चुका है। यहां फ्लैट खरीदकर फंसे लोग पूरे मामले की सीबीआई जांच करवाने की मांग कर रहे हैं। लोगों का आरोप है कि भूमाफिया और प्रॉपर्टी डीलरों की विकास प्राधिकरण से मिलीभगत है। सत्तारूढ़ दल के नेता भी इन लोगों को संरक्षण दे रहे हैं।

शाहबेरी की इमारतों का दिल्ली आईआईटी से सुरक्षा ऑडिट आने के बाद भी प्रभावी कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है। हालांकि, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण बीच-बीच में सीलिंग जैसी कार्रवाई करता रहता है। यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि प्रशासन के ढुलमुल रवैये से शाहबेरी का भविष्य अटका हुआ है।

वर्ष 2018 में 17 जुलाई की रात शाहबेरी में दो इमारतें गिर गई थीं। इसमें दबकर 9 लोगों की मौत हो गई थी। हादसे के बाद प्राधिकरण से लेकर सरकार तक हरकत में आई और अवैध इमारतों को गिराने की बात हुई। गिराने से पहले इमारतों की मजबूती की जांच कराने के लिए आईआईटी से जांच कराई गई। आईआईटी ने 437 इमारतों के बारे में विस्तृत विश्लेषण की सिफारिश की है। तीन इमारतों को सुरक्षित बताया है। इसमें से 76 ऐसी इमारतें हैं, जिनमें कोई नया निर्माण करने पर रोक लगाने के लिए कहा गया है। इसमें नये परिवारों के आने पर भी प्रतिबंध लगाने की सिफारिश भी की गई। आईआईटी की रिपोर्ट प्राधिकरण को जनवरी में मिल गई थी। लेकिन तब से लेकर अब तक कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई। बीच-बीच प्राधिकरण सीलिंग व तोड़फोड़ की कार्रवाई जरूर कर दी है।

अब तक 72 एफआईआर, 18 पर गैंगस्टर लगाई गई

शाहबेरी हादसे के बाद ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू हुई। अब तक इस मामले में 72 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं। 18 लोगों पर गैंगस्टर लगाया जा चुका है। प्रशासन ने 2 लोगों पर एनएसए लगा दिया है। इस मामले में दो दर्जन से अधिक लोगों की कार्रवाई हो चुकी है। हालांकि शाहबेरी की कार्रवाई में पुलिस पर भी कई बार सवाल उठे हैं।

बैंकों पर सवाल, खरीदारों ने ईएमआई देना बंद किया

शाहबेरी के खरीदार सचिन राघव ने बताया कि बैंकों ने आर्किटेक्ट व झूठी लीगल रिपोर्ट लगवाकर लोन पास कर दिया। बिना नक्शा पास होम लोन दे दिया। प्रशासन इमातरें गिराने की बात कर रहा है और बैंक अपनी ईएमआई ले रहा है। तंग आकर अब तक यहां के 60 लोगों ने बैंकों को ईएमआई देना बंद कर दिया।

जिला प्रशासन ने शाहबेरी में फ़्लैट और दुकानें कुर्क की थीं

अवैध निर्माण को लेकर बिल्डरों पर शिकंजा कसा था। गैंगस्टर लगाने के बाद उनकी संपत्ति को कुर्क करना शुरू कर दिया था। तत्कालीन डीएम बीएन सिंह के समय 100 से अधिक फ्लैट और दुकानें कुर्क की गई थीं। यह सब बिल्डरों की थीं।

लोगों ने कहा, सीबीआई जांच हो तो मिले न्याय

शाहबेरी के खरीदार अधिवक्ता हरप्रीत सिंह अरोरा, अभिनव खरे और सचिन राघव आदि खरीदारों का कहना है कि शाहबेरी में अक्टूबर 2016 से बिल्डरों और अधिकारियों का खेल शुरू हो गया था। हादसे को हुए दो साल हो गए, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि शाहबेरी के खरीदारों को न्याय दिलाने के लिए मामले की जांच  सीबीआई और ईडी से जांच कराई जाए। 

सचिन राघव ने बताया कि उन्होंने उच्च न्यायालय में इंडियन ओवरसीज बैंक के खिलाफ याचिका दाखिल की है। जबकि मीना और सोनल प्रकाश ने उच्च न्यायालय दिल्ली में जीआईसी बैंक के खिलाफ याचिका दाखिल की है। इन लोगों का कहना है कि गौतम बुध नगर में इस समस्या का कोई समाधान नहीं निकल सकता है। विकास प्राधिकरण के बड़े-बड़े अधिकारी भूमाफिया और प्रॉपर्टी डीलरों के साथ मिलकर यहां काला कारोबार चला रहे हैं। दूसरी ओर कई बड़े नेताओं के हाथ भी भूमाफियाओं के सर पर हैं। ऐसे में असली भूमाफियाओं के खिलाफ अब तक पुलिस कार्यवाही नहीं कर सकी है। यही वजह है कि इस पूरे मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए।

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