Tricity Today | High Alert in Delhi-NCR
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और इसके चारों ओर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के 24 जिलों में रह रहे करीब 6 करोड़ लोगों की जान को खतरा है। दुश्मन इन लोगों के घरों में घुस चुका है। यह कोई और नहीं पिछले एक महीने से घेरे खड़ा प्रदूषण है। गुरुवार की सुबह तो धुंध-धुंए ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। चारों तरफ धुएं की एक परत बनी हुई है। नोएडा, ग्रेटर नोएडा, दिल्ली और गाजियाबाद तो गैस चैंबर बन गए हैं। भयंकर प्रदूषण वातावरण में छाया हुआ है। डॉक्टरों और विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रदूषण अब जानलेवा लेवल तक पहुंच गया है। यह कोरोना वायरस संक्रमण के कारण फैली महामारी से भी ज्यादा खतरनाक है।
आखिर क्यों बन गए इतने बुरे हालात
हवा की गति और तापमान में गिरावट के कारण यह स्थिति पैदा हुई है। गुरुवार को वायु गुणवत्ता एक साल में सबसे खराब स्तर तक पहुंच गई है। हालात ऐसे हैं कि लोग गले में खराश के कारण खांसते घूम रहे हैं। आंखों में जलन के कारण पानी आ रहा है। परेशान लोग डॉक्टरों के पास शिकायत लेकर जा रहे हैं। विशेषज्ञों ने कहा, प्रतिकूल मौसम स्थितियों के कारण यह स्थिति बन गई है। पूरे दिल्ली-एनसीआर में शांत हवा है। सर्दी के कारण कम तापमान है। पड़ोसी राज्यों के खेतों में पराली जलाई जा रही हैं। वहां से धुआं बुधवार रात से दिल्ली की तरफ तेजी से बढ़ा है। धुंध की घनी परत छा गई है। जिसकी वजह से वायु गुणवत्ता सूचकांक "खतरनाक" हो गया है। यह स्थिति अकेले दिल्ली शहर में ही नहीं पूरे एनसीआर में उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के 24 जिलों में बनी हुई है।
गुरुवार की सुबह पीएम-10 का लेवल हवा में 561 माइक्रोग्राम तक पहुंच गया
सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में आज सुबह 8 बजे पीएम-10 का स्तर 561 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच गया है। पिछले साल 15 नवंबर के बाद यह उच्चतम स्तर है। पिछले साल 15 नवम्बर को पीएम-10 का स्तर 637 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था। भारत में 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से नीचे PM-10 का स्तर सुरक्षित माना जाता है। यह स्थिति उत्तर प्रदेश के बागपत, बुलंदशहर, गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ, मुजफ्फरनगर और शामली जिलों में बनी हुई है। ठीक ऐसा ही हाल हरियाणा के भिवानी, दादरी, चरखी, फरीदाबाद, गुरुग्राम, झज्जर, जींद, करनाल, महेंद्रगढ़, नूंह, पलवल, पानीपत, रेवाड़ी, रोहतक और सोनीपत में हैं। राजस्थान के 2 जिले अलवर और भरतपुर भी खतरनाक वायु प्रदूषण की चपेट में है।
दिल्ली-एनसीआर के निवासी बहुत परेशान, सांस लेना भी मुश्किल हुआ
दक्षिणी दिल्ली में रहने वाले शिव श्रीवास्तव ने कहा, "सांस लेना मुश्किल है। ऊपर से लोग पटाखे फोड़ रहे हैं और अभी दिवाली दूर है। शहर गैस चैंबर बन चुका है। यह हर साल होता है। पता नहीं यह कब तक जारी रहेगा। आने वाले वर्षों में तो दिल्ली-एनसीआर मौत का घर बन जाएगा।" जंगपुरा के रहने वाले पीयूष वोहरा ने कहा, "मास्क पहनने के बावजूद मैं अपने गले में प्रदूषक महसूस कर सकता हूं। मेरी आंखें जल रही हैं। यह कोरोना वायरस महामारी को बदतर बना रहा है। मुझे डर लग रहा है। कोरोना वायरस से तो बचाव संभव है, लेकिन इस प्रदूषण से कैसे बचा जाए। यह तो महामारी से भी ज्यादा खतरनाक रूप ले चुका है।"
आने वाले दिनों में हालात और ज्यादा बिगड़ने के आसार हैं, कोरोना के साथ मिलकर डबल अटैक
भारत के मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार गुरुवार की सुबह हवा की गति 5 किलोमीटर प्रति घंटा थी। पूरे दिल्ली-एनसीआर में न्यूनतम तापमान 11.2 डिग्री सेल्सियस था। शांत हवाएं और कम तापमान के कारण जल चुके प्रदूषक जमीन के करीब हैं। हवा की गति प्रदूषण को उड़ाकर ले जाने में मदद करती है। दूसरी ओर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि COVID-19 महामारी के दौरान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और पूरे एनसीआर के 24 जिलों में लगभग 6 करोड़ निवासियों पर वायु प्रदूषण डबल अटैक कर रहा है। यह एक गंभीर स्वास्थ्य चिंता का विषय बन गया है। सर गंगा राम अस्पताल के एक डॉक्टर के अनुसार, प्रदूषित हवा के प्रति 22 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर का सेवन सिगरेट पीने के बराबर है।
राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में COVID-19 के नोडल अधिकारी अजीत जैन ने कहा कि वायु प्रदूषण कोविड महामारी के साथ मिलकर तबाही का कारण बन रहा है। आईएमडी के अधिकारियों ने कहा कि हवा के पैटर्न में अचानक बदलाव के कारण "सबसिडेंस" हुआ है। एक बड़े क्षेत्र में हवा का बहाव जब ठंडा होता है तो हवा भारी होकर पृथ्वी की सतह पर आ जाता है। आईएमडी में पर्यावरण निगरानी अनुसंधान केंद्र के प्रमुख वीके सोनी ने कहा, "दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में सुबह 10 बजे के बाद हवा की गति अचानक धीमी हो गई है। तापमान में खतरनाक रूप से गिरावट आई है।"
पंजाब हरियाणा में चल रही धान की पराली ने हालात ज्यादा बिगाड़े
यह धुआं मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा में जलने वाले ठूंठ से निकल रही है। उन्होंने कहा कि प्रतिकूल मौसम स्थितियों ने इस प्रदूषण को दिल्ली-एनसीआर में फंसा दिया है। दिल्ली में आज सुबह 8 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक 561 (AQI) दर्ज किया गया है। जबकि, बुधवार को सुबह 10 बजे यह 279 था। दिल्ली के सभी 36 निगरानी स्टेशनों ने वायु गुणवत्ता को ''गंभीर '' श्रेणी में दर्ज किया है। अगर पड़ोसी शहरों की बात करें तो आज सुबह फरीदाबाद (431), गाजियाबाद (484), ग्रेटर नोएडा (463), गुरुग्राम (440) और नोएडा (461) ने भी वायु प्रदूषण के ''गंभीर'' स्तर दर्ज किए हैं। आपको बता दें कि शून्य और 50 के बीच AQI को "अच्छा", 51 और 100 "संतोषजनक", 101 और 200 "मध्यम", 201 और 300 "खराब", 301 और 400 "बहुत खराब" और 401 और 500 "खतरनाक" माना जाता है। रविवार को दिल्ली के प्रदूषण में 40 प्रतिशत तक स्टब बर्निंग का योगदान था। SAFAR के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल, दिल्ली के प्रदूषण में कृषि आग का योगदान 1 नवंबर को 44 प्रतिशत हो गया था।
दिल्ली एनसीआर में जिलों की जनसंख्या और प्रदूषण का स्तर
जिला जनसंख्या औसत प्रदूषण
(जनसंख्या के आंकड़े वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर है और वायु प्रदूषण का एक्यूआई पिछले 2 सप्ताह के दौरान केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी किए गए आंकड़ों का औसत है।)