Noida: जिसके खाने का इंतजाम करते थे परिंदे अब वह हजारों परिंदों की भूख मिटा रहा है, Lockdown stories

Noida: जिसके खाने का इंतजाम करते थे परिंदे अब वह हजारों परिंदों की भूख मिटा रहा है, Lockdown stories

Noida: जिसके खाने का इंतजाम करते थे परिंदे अब वह हजारों परिंदों की भूख मिटा रहा है, Lockdown stories

Tricity Today | This person from Noida has no house of his own but has support for thousands of birds in lockdown

लॉकडाउन में इंसान घरों में क्या बन्द हुए परिंदों और पशुओं पर भी आफत आ गई है। भूखे इंसानों को खाना देने के लिए हजारों हाथ बढ़ रहे हैं लेकिन परिंदों की सुध लेने वाले कम ही हैं। नोएडा में एक ऐसा इंसान भी है जिसके सिर पर खुद की छत नहीं है, लेकिन परिंदों की भूख उसे बेचैन कर देती है। दरअसल, ये परिंदे उनके खाने का इंतजाम करते थे, अब वही खाना कबूतरों को खिला रहे हैं।

हर रोज सेक्टर-94 में दलित प्रेरणा स्थल के पास हजारों कबूतर दाना खाने आते हैं। यहां पर शिव प्रकाश (50 वर्ष) दाने बेचते हैं। सुबह से शाम तक सैकड़ों लोग शिवप्रकाश से दाना खरीदकर कबूतरों को खिलाते थे। यही उनकी रोजी रोटी है। अब लॉकडाउन के बाद दो-चार लोग ही यहां रुकते हैं। शिवप्रकाश दाने लेकर रोज पहुंचते हैं, पर खरीदार बहुत ही कम हैं। ऐसे में शिवप्रकाश खुद ही 5-7 किलो दाना अपनी ओर से पक्षियों को परोस देते हैं।

शिवप्रकाश ने बताया कि वह 5, 10, 20 रुपये प्लेट के हिसाब से दाने बेचते हैं। लॉकडाउन के बाद यहां आने वालों की संख्या घट गई है। अब हर चीज की कीमतें बढ़ गई हैं लेकिन शिवप्रकाश की प्लेट के दाम वही हैं। इतना ही नहीं उन्होंने प्लेटों में दानों की मात्रा बढ़ा दी है। उन्होंने बताया कि ये बेजुबान पक्षी किससे मदद मांगेंगे। यही सोचकर यहां समय बिताने का फैसला किया है।

शिवप्रकाश ने बताया कि वह मूलरूप से अमेठी के रहने वाले हैं। पिछले करीब 20 वर्ष से दिल्ली के कालकाजी के पास रहते हैं। यहां से हर दूसरे दिन नोएडा आते हैं। हरौला से दाने खरीदकर सेक्टर-94 में बेचते हैं। लॉकडाउन के बाद एक पुलिस कर्मी से मिन्नतें करके किसी तरह पहुंचे। यहां आकर देखा कि दिनभर में दो-चार लोग ही दाने खरीदने आ रहे हैं। वह परेशान हो गए। इसके बाद उन्होंने तय किया कि यहीं कहीं रुकेंगे और खुद कबूतरों को दाना देंगे। वहीं नाले के पास लॉकडाउन के दौरान का समय बिताने का फैसला किया। वहीं पन्नी डालकर झुग्गी बना ली है।

शिवप्रकाश कहते हैं कि अब तक इनकी बदौलत मेरी रोजी रोटी चलती आई है। अब जब बुरा वक्त आया तो मैं इनका साथ नहीं छोड़ सकता हूं। मैं रोज आ रहा हूं। कबूतरों को 4-5 लोग दाना डालने आते हैं। उससे इन हजारों कबूतर का काम नहीं चलता है। लेकिन मैं किसी को भूखा नहीं जाने देता हूं। सबको दाना खिलाता हूं। मैं रोजाना 10-15 किलोग्राम दाने इन्हें खिलाता हूं।

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