इस साल आईएएस एग्जाम के टॉपर प्रदीप सिंह ने कहा- कभी हताश हों तो खुद को दिलासा दें, हरियाणा पर बड़ा नाज है

इस साल आईएएस एग्जाम के टॉपर प्रदीप सिंह ने कहा- कभी हताश हों तो खुद को दिलासा दें, हरियाणा पर बड़ा नाज है

इस साल आईएएस एग्जाम के टॉपर प्रदीप सिंह ने कहा- कभी हताश हों तो खुद को दिलासा दें, हरियाणा पर बड़ा नाज है

Google Image | IAS Exam topper Pradeep Singh

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा में पहला स्थान प्राप्त कर प्रदीप सिंह ने कुरुक्षेत्र की प्राचीन धरोहर, राग, रंग, रागिनियों की सांस्कृतिक विरासत और कुश्ती, अखाड़े, पहलवानी की जमीन से जुड़ी परंपरा पर नाज करने वाले हरियाले हरियाणा को इतराने की एक और वजह दे दी है।

हरियाणा के सोनीपत से ताल्लुक रखने वाले प्रदीप सिंह के लिए पिछले सप्ताह के मंगलवार के दिन की शुरुआत हुई तो सूरज उगने से थी, लेकिन उस दिन उनकी किस्मत के सितारे इस कदर जगमगाए कि उनका आने वाला जीवन उजाले से भरने का वादा कर गए।

समोय स्कूल से पढ़े और एसएससी से इनकम टैक्स में नौकरी की

सोनीपत के शंभू दयाल मॉडर्न स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद प्रदीप ने मुरथल से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया और एसएससी की परीक्षा पास करके आयकर विभाग में नौकरी करने चले गए। यूपीएससी की परीक्षा को सबसे कठिन परीक्षाओं में शुमार बताने वाले प्रदीप सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने चौथे प्रयास में यह कामयाबी हासिल की।

उन्होंने बताया कि पहले दो प्रयास में वह प्रारंभिक परीक्षा भी उत्तीर्ण नहीं कर पाए। पिछले वर्ष उनकी रैंक 260 रही और उन्हें आईआरएस (भारतीय राजस्व सेवा) कैडर मिला, लेकिन उन्हें हमेशा यह विश्वास रहा कि वह इससे बेहतर कर सकते हैं और इस दौरान उनके पिता उनके सबसे बड़े प्रेरणास्रोत बने। नौकरी करने के दौरान इतनी बड़ी कामयाबी हासिल करना आसान नहीं था, लेकिन नियोजित ढंग से तैयारी और खुद को खुद ही हौसला देते रहने की उनकी तरकीब आखिर उन्हें सफलता के सबसे ऊंचे मुकाम पर ले आई।

यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करने वालों के लिए प्रदीप की ख़ास सलाह

यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करने वालों के लिए प्रदीप की सलाह है कि परीक्षा के तीनों पड़ावों- प्रारंभिक, मुख्य और साक्षात्कार को एक-दूसरे से एकदम अलग रखें और इनकी तैयारी भी उसी हिसाब से करें। प्रारंभिक परीक्षा में जहां सामयिक विषयों पर पकड़ और तथ्यों की जानकारी हासिल करें ,वहीं मुख्य परीक्षा के लिए लिखने का हुनर और विश्लेषण की विशेषता विकसित करें। अगर इन दोनों पड़ावों को सफलतापूर्वक पार कर लिया तो तीसरी और अंतिम कसौटी पर खरा उतरने के लिए सामयिक विषयों की जानकारी के साथ ही सामान्य ज्ञान और अपने आसपास की बहुत छोटी-छोटी चीजों पर पैनी नजर रखने की आदत डालनी होगी। 

परीक्षा की तैयारी थकाने और कई बार हताश करने वाली प्रक्रिया है

प्रदीप का मानना है कि परीक्षा की तैयारी एक बहुत ही थका देने वाली और कई बार हताश कर देने वाली प्रक्रिया है। ऐसे में बहुत बार यह बात भी जहन में आती है कि ''यह मेरे बस का नहीं या मुझसे यह नहीं हो पाएगा। कभी लगता है कि मैं इसके लिए नहीं बना या छोड़ो कुछ और कर लेंगे पर ऐसे किसी विचार को खुद पर हावी न होने दें और जब भी हताशा हो तो उस मकसद को याद करें, जिसके लिए आपने इस परीक्षा की तैयारी शुरू की थी। खुद को खुद ही दिलासा दें और नयी ऊर्जा के साथ तैयारी में जुट जाएं। 

प्रदीप के पिता सुखबीर सिंह मलिक अपने पुत्र की सफलता को सपना सच होने जैसा मानते हैं। प्रदीप की कामयाबी को उसकी अथक मेहनत का परिणाम बताते हुए उन्होंने कहा कि इस सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं है। जो मेहनत करेगा, वह एक न एक दिन जरूर सफल होगा।     

प्रदीप गरीबों के कल्याण के लिए कुछ करना चाहते हैं

अपने माता पिता, भाई और बहन के अलावा अपने दोस्तों को अपनी कामयाबी के लिए धन्यवाद देने वाले प्रदीप को देश की बहुत सी समस्याएं परेशान करती हैं और वह गरीबों के कल्याण के लिए कुछ करना चाहते हैं।

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