Tricity Today | Three youths of Greater Noida will give face protective shield to 50 thousand doctors, police and security personnel
इस वक्त हर कोई अपनी सामर्थ्य से कहीं ज्यादा लोगों की मदद कर रहा है। ग्रेटर नोएडा के तीन युवकों ने संसाधनों की कमी से जूझ रहे डॉक्टर्स, नर्स, स्वास्थ्य कर्मियों और पुलिस कर्मियों की मदद करने का बीड़ा उठाया है। ये लोग फेस प्रोटेक्टिव शील्ड बना रहे हैं। इसका खुद डिजाइन तैयार किया है। अब खुद ही परिवार की मदद से इनका निर्माण कर रहे हैं। इन लोगों ने लक्ष्य रखा है कि 50 हजार डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, पुलिस और सुरक्षाकर्मियों को यह शील्ड मुहैया करवाएंगे।
ग्रेटर नोएडा के निवासी एसके नागर ने बताया कि डॉक्टरों, नर्सों और पुलिस वालों के कोरोना से संक्रमित होने की खबर लगातार आ रही हैं। सरकार अपनी तरफ से लगातार पूरी जान लगाकर देशवासियों की रक्षा करने को कृतसंकल्प है। लेकिन जो स्वास्थ्यकर्मी और सुरक्षाकर्मी हमारी जान की रक्षा के लिए आज ड्यूटी पर हैं, उनके प्रति हमारी भी जिम्मेदारी है। PPE किट और फेस प्रोटेक्टिव शील्ड की कमी का सामना करने की खबर देखकर साथी सचिन पंवार, जोकि IIT से जुड़े हैं, उन्होंने प्रोटेक्टिव फेस शील्ड का डिज़ाइन तैयार किया है।
एसके नागर ने बताया, सचिन पंवार के दिशा निर्देशानुसार हम सभी साथियों ने मिलकर दिल्ली-एनसीआर में प्रोटेक्टिव फेस शील्ड बनाने और डिस्ट्रिब्यूट करना शुरू किया है, ताकि दिल्ली-एनसीआर में कुछ अस्पतालों और गंभीर इलाको में ड्यूटी पर जमे पुलिसकर्मियों तक निशुल्क Protective Face shield पहुंचाई जा सकें। प्रोटेक्टिव फेस शील्ड की कमी का सामना अभी पूरे देश के अस्पतालों को करना पड़ रहा है। अपने स्वास्थ्य कर्मियों को सुरक्षा देने के लिए इसके विकल्प के तौर पर हमने जो शील्ड तैयार की है, उसे प्रोजेक्शन में इस्तेमाल होने वाली अच्छी क्वालिटी की शीट, स्टेपल, फोम, डबल साइडेड टेप आदि का प्रयोग करके बेहद कम खर्च पर तैयार किया है।
सचिन पंवार ने बताया कि यह एक शील्ड मात्र 20 रुपये की लागत में बनाया गया है। डिस्ट्रीब्यूशन कॉस्ट मिलाकर भी 30 रुपये तक ही खर्च आएगा। जिसके लिए सामान जुटाने में प्रशासन ने मदद की है। साथ ही रॉ-मटेरियल उत्पादकों ने भी सामान पहुंचाया है। अस्पतालों और पुलिसकर्मियों तक इसे निशुल्क पहुंचाया जा सके इसके लिये काफी साथी आगे आये हैं, जिन्होंने कच्चे माल को इकट्ठा करने में हमारी मदद की और लगातार कर रहे हैं। कई साथियों ने बांटी जाने वाली शील्ड के लिये रॉ-मटेरियल की जिम्मेदारी लेकर भी हमारा सहयोग किया है, जिनकी बदौलत संवेदनशील जगहों पर काम कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों और पुलिसकर्मियों तक हम शील्ड पहुंचा पा रहे हैं।
सचिन पंवार ने कहा, कुछ अस्पतालों ने रॉ-मटेरियल खरीदने के लिए सहयोग राशि देकर भी प्रोटेक्टिव शील्ड मंगाई हैं। गौतमबुद्ध नगर में कोरोना पीड़ितों के इलाज में जुटे Government Institute Of Medical Science (GIIMS) में भी कुछ प्रोटेक्टिव फेस शील्ड को Director की मौजूदगी में डॉक्टर्स तक पहुंचाया गया है। हमारा प्रयास है कि अगले कुछ ही दिनों मे लगभग 50 हजार प्रोटेक्टिव फेस शील्ड दिल्ली-एनसीआर की उन जगहों पर पहुंचा सकें, जहां हमारे स्वास्थ्यकर्मी और सुरक्षाकर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर हमारी रक्षा करने में जुटे है।
सुनील नागर का कहना है कि इस वक्त छोटे-छोटे सहयोग की बदौलत यह बड़ी लड़ाई आसानी से जीती जा सकती है। सबसे पहले उन लोगों को सुरक्षा देने की जरूरत है, जो पूरे समाज की सुरक्षा करने के लिए दिन रात काम कर रहे हैं। इसी बात को ध्यान में रखकर हम लोगों ने फेस प्रोटेक्टिव शील्ड बनाने और इसे पुलिस, डॉक्टर, सुरक्षाकर्मियों तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है। शुरू करने के बाद जिस तरह लोग सहयोग करने के लिए खड़े हो गए, उससे हमारा मनोबल और बढ़ गया है। पहले हमने कम संख्या में लोगों तक यह फेस शील्ड पहुंचाने का लक्ष्य रखा था।
सुनील कहते हैं, जैसे-जैसे सहायता मिलती गई, हमारा मनोबल बढ़ता गया और अब हम कोशिश कर रहे हैं कि अगले कुछ दिनों में 50 हजार कर्म योगियों तक यह शील्ड पहुंचा दें। इससे सड़कों पर काम कर रहे पुलिसकर्मियों, सोसायटी, सेक्टरों और फैक्ट्री पर पहरा दे रहे सिक्योरिटी गार्ड, अस्पतालों में दिन-रात महामारी से जूझ रहे डॉक्टर-नर्सिंग स्टाफ और सफाई कर्मियों को बड़ा फायदा होगा। मास्क के ऊपर इस शील्ड का इस्तेमाल करने से दूरी सुरक्षा मिल जाती है।